क्रोनिक किडनी रोग (सीकेडी) को क्रोनिक रीनल डिजीज के नाम से भी जाना जाता है। यह किडनी की एक ऐसी बीमारी है जिससे किडनी धीरे धीरे काम करना बंद कर देती है, इसलिए इसे किडनी फेल होना कहा जाता है। किडनी का मुख्य कार्य खून को फिल्टर करना और यूरिन का निर्माण करना है। यह यूरिन मूत्रमार्ग के माध्यम से शरीर से बाहर निकल जाता है। लेकिन क्रोनिक किडनी रोग के कारण किडनी को नुकसान होने से शरीर में अधिक अपशिष्ट और तरल पदार्थों का जमाव हो जाता है। इससे शरीर में इलेक्ट्रोलाइट संतुलन बिगड़ जाता है और जिसके परिणामस्वरूप आपको थकान, भूख न लगना और बीमार महसूस होने जैसी परेशानियां हो सकती है।

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क्रोनिक किडनी रोग बाद में कई अन्य जटिलताओं को भी जन्म दे सकता है जैसे कि एनीमिया, हृदय रोग, हड्डी रोग, कैल्शियम के स्तर में कमी, हाई फास्फोरस, हाई पोटेशियम और जीवन की गुणवत्ता में कमी, आदि। जब किडनी पूरी तरह से काम करना बंद कर देती है, तो इसे किडनी फेल होना या एंड-स्टेज रीनल डिजीज (ईएसआरडी) कहा जाता है। इस चरण में उपचार के लिए डायलिसिस या किडनी प्रत्यारोपण के विकल्प अपनाएं जाते हैं।

प्रारंभिक चरण में, क्रोनिक किडनी रोग के कोई प्रमुख लक्षण नहीं दिखाई देते हैं। इसलिए, खून और पेशाब की जांच से ही इस चरण में क्रोनिक किडनी रोग का पता लगाया जा सकता है। क्रोनिक किडनी रोग होने के प्रमुख जोखिम कारकों में हाई बीपी, हृदय रोग, मोटापा और क्रोनिक किडनी रोग का आनुवंशिक इतिहास शामिल हैं। एक अनुमान के अनुसार, डायबिटीज और हाई बीपी भारत में क्रोनिक किडनी रोग के 40-60% मामलों के कारण हैं। 

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क्रोनिक किडनी रोग के अन्य सामान्य कारणों में पॉलीसिस्टिक किडनी रोग (किडनी में सिस्ट बनना), किडनी में संक्रमण, ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस, भारी धातुओं जैसे लेड से विषाक्तता, ऑटोइम्यून विकार, बढ़े हुए प्रोस्टेट के कारण मूत्र प्रवाह में रुकावट और किडनी की पथरी आदि शामिल हैं। कुछ दवाओं जैसे कि गैर-स्टेरायडल एंटी इंफ्लेमेटरी दवाएं (एनएसएआईडी) या लिथियम का लंबे समय तक उपयोग और दुर्लभ आनुवंशिक रोग भी क्रोनिक किडनी रोग को जन्म दे सकते हैं।

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भारतीय आबादी की लगभग 12.5% जनसंख्या ही इलाज के लिए ​​होम्योपैथी पर निर्भर करती है। पारंपरिक चिकित्सा में केवल रोग के लक्षणों के अनुसार दवा दी जाती है, जबकि होम्योपैथी में दवा का प्रिस्क्रिप्शन रोगी की शारीरिक और मानसिक स्थिति द्वारा निर्धारित किया जाता है। इस प्रकार, प्रत्येक रोगी के लिए बीमारी का उपचार अलग अलग हो सकता है। क्रोनिक किडनी रोग का इलाज करने के लिए होम्योपैथी में एपिस मेलिफिका, आर्सेनिकम एल्बम, बेलाडोना, बेंजोइकम एसिडम और कैंथारिस जैसी दवाएं उपयोग की जाती हैं।

  1. होम्योपैथी में किडनी फेल होने का इलाज कैसे होता है? - Homeopathy me Chronic Kidney Disease ka upchar kaise hota hai?
  2. किडनी फेल होने की होम्योपैथिक दवा - Chronic Kidney Disease ki homeopathic medicine
  3. होम्योपैथी में किडनी फेल होने के लिए खान-पान और जीवनशैली के बदलाव - Homeopathy me Chronic Kidney Disease ke liye khan pan aur jeevan shaili ke badlav
  4. किडनी फेल होने के होम्योपैथिक इलाज के नुकसान और जोखिम कारक - Chronic Kidney Disease ke homeopathic upchar ke nuksan aur jokhim karak
  5. किडनी फेल होने के होम्योपैथिक उपचार से जुड़े अन्य सुझाव - Chronic Kidney Disease ke homeopathic upchar se jude anya sujhav
किडनी फेल होने की होम्योपैथिक दवा और इलाज के डॉक्टर

क्रोनिक किडनी रोग के शुरुआती चरण में इस बीमारी को आगे बढ़ने से रोका जा सकता है, यहां तक ​​कि इसे पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है। रोगी के लक्षणों, चिकित्सा इतिहास और स्वास्थ्य के आधार पर विशेष होम्योपैथिक उपचार किया जाता है। होम्योपैथी आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को उत्तेजित करके क्षतिग्रस्त किडनी या अन्य अंगों की मरम्मत करने में मदद करती है, इससे क्रोनिक किडनी रोग ठीक हो सकता है।

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एंड-स्टेज रीनल डिजीज के रोगियों में डायलिसिस की जटिलताओं और संख्या को कम करने में भी होम्योपैथिक उपचार फायदेमंद हैं। इसके अलावा, होम्योपैथिक दवाएं डोनर रिजेक्शन की दर को कम करके किडनी प्रत्यारोपण प्रक्रिया में सहायता कर सकती हैं। एक शोध अध्ययन से पता चला है कि होम्योपैथिक उपचार न केवल किडनी रोगियों की उम्र को बढ़ाने में मदद करता है बल्कि उनके जीवन स्तर को भी बेहतर करता है।

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निम्नलिखित कुछ होम्योपैथिक दवाएं हैं जो क्रोनिक किडनी रोग के उपचार में उपयोगी हैं:

  • एपिस मेलिफिका (Apis Mellifica)
    सामान्य नाम: हनी बी (Honey Bee)
    लक्षण: जिन व्यक्तियों को एपिस मेलिफिका से लाभ होता है, उनमें निम्नलिखित में से कुछ लक्षण दिखाई देते हैं:

  • आर्सेनिकम एल्बम (Arsenicum Album)
    सामान्य नाम: आर्सेनिक एसिड - आर्सेनिक ट्राईऑक्साइड (Arsenious Acid- Arsenic Trioxide)
    लक्षण: आर्सेनिकम एल्बम निम्नलिखित लक्षणों का अनुभव करने वाले व्यक्तियों को दी जाती है: 

  • बेलाडोना (Belladonna)
    सामान्य नाम: डेडली नाइटशेड (Deadly nightshade)
    लक्षण: यह दवा उन रोगियों के लिए उपयुक्त है जो किडनी में दर्द के साथ-साथ सूजन से पीड़ित हैं। बेलाडोना निम्नलिखित लक्षण वाले रोगियों को दी जाती है:

    • त्वचा का बढ़ती घटती लालिमा और पीलापन
    • गर्म, सूजा हुआ और चमकदार चेहरा
    • ठंडा पानी पीने का बहुत मन करना
    • किडनी से मूत्राशय तक फैली हुई जलन और चुभन वाला दर्द
    • ऐंठन के साथ थोड़ा सा पेशाब आना (और पढ़ें - पेट में ऐंठन का इलाज)
    • गहरा और मिट्टी के रंग का फॉस्फेट युक्त पेशाब आना
    • लगातार और बार बार पेशाब आने के साथ पेशाब रोकने में मुश्किल होना (और पढ़ें - बिस्तर गीला करने की समस्या का इलाज)
    • पेशाब में खून आना
    • प्रोस्टेट का बढ़ जाना
    • गर्दन की ग्रंथियां में सूजन
    • छूने, शोर या लेटने के बाद हालत बिगड़ जाना
       
  • बेंजोइकम एसिडम (Benzoicum Acidum)
    सामान्य नाम: बेंजोइक एसिड (Benzoic acid)
    लक्षण: क्रोनिक किडनी रोग के साथ गाउट के लक्षण दिखने वाले रोगियों के लिए यह दवा उपयुक्त है। इस दवा के लिए मूत्र का रंग सबसे महत्वपूर्ण लक्षण है। यह निम्नलिखित लक्षणों वाले व्यक्तियों के लिए सबसे उपयुक्त है:

  • कैन्थरिस वेसिकेटोरिया (Cantharis Vesicatoria)
    सामान्य नाम: स्पेनिश फ्लाई (Spanish fly)
    लक्षण: यह दवा दोनों किडनी में दर्द के साथ पेशाब करने की लगातार इच्छा व्यक्त करने वाले रोगियों के लिए उपयोगी है। पेशाब करने के लिए असहनीय और दर्दनाक इच्छा होना, उन मुख्य लक्षणों में से एक है जिनके लिए यह दवा दी जाती है। निम्नलिखित कुछ अन्य लक्षण हैं जिनमें कैन्थरिस वेसिकेटोरिया से राहत पा सकते हैं:

  • कन्वैल्लैरिया मैजालिस (Convallaria Majalis)
    सामान्य नाम: लिली ऑफ वैली (Lily of the valley)
    लक्षण: हार्ट की बीमारियों के कारण होने वाले क्रोनिक किडनी रोग के लिए कन्वैल्लैरिया मैजालिस का उपयोग किया जाता है। यह निम्नलिखित लक्षणों वाले व्यक्तियों के लिए उपयुक्त है:

    • मूत्राशय में दर्द
    • मूत्राशय फूला हुआ महसूस होना
    • असहनीय गंध और कम मात्रा में बार-बार पेशाब आना
    • सांस लेने में कठिनाई होना
       
  • मर्क्यूरियस कोरोसिवस (Mercurius corrosivus)
    सामान्य नाम: कोरोसिव सब्लीमेट (Corrosive Sublimate)
    लक्षण: गर्भावस्था के दौरान किडनी में सूजन के साथ एल्बुमिनुरिया (पेशाब में एल्बुमिन और ग्लोब्युलिन की अधिक मात्रा) वाले व्यक्तियों के लिए मर्क्यूरियस कोरोसिवस को सबसे अच्छी दवा माना जाता है। यह क्रोनिक किडनी रोग के निम्नलिखित लक्षणों के उपचार में उपयोग की जाती है:

    • चेहरे में रुक-रुक कर दर्द होना
    • मूत्रमार्ग में तेज जलन
    • हरे रंग के स्राव के साथ गर्म, एल्बुमिन प्रोटीन युक्त और खूनी पेशाब आना
    • मूत्राशय में ऐंठन
    • पेशाब के बाद पसीना आना
    • मूत्रमार्ग में अत्यधिक दर्द जो मूत्राशय तक फैल जाता हो
    • रात में हालत खराब हो जाना
       
  • टेरिबिन्थिना ओलियम (Terebinthinae oleum)
    सामान्य नाम: तारपीन का तेल (Turpentine)
    लक्षण: तारपीन के तेल का उपयोग निम्नलिखित लक्षण होने पर करते हैं:

    • पूरे शरीर में सूजन और उनींदापन
    • मूत्राशय में जलन, जिससे गंभीर दर्द और पेशाब करने की बहुत अधिक इच्छा होना
    • पेशाब में खून आना
    • कम यूरिन तत्वों वाला बैंगनी रंग का पेशाब आना 
    • लगातार ऐंठन
    • यूरेथ्राइटिस (और पढ़ें - यूरिन इन्फेक्शन का इलाज)
    • किडनी में सूजन 
    • किडनी के आसपास पीठ में जलन वाला दर्द

किडनी की बीमारी वाले रोगी के आहार और जीवन शैली में होम्योपैथी के अनुसार निम्नलिखित परिवर्तन किए जाते हैं:

क्या करें:

  • हर मौसम में ताजा हवा में एक्सरसाइज करके एक सक्रिय जीवन शैली बनाए रखें, जैसे कि नियमित वॉकिंग करना या हल्का फुल्का शारीरिक काम करना, आदि। (और पढ़ें - पैदल चलने के फायदे)
  • पर्याप्त नींद लें।
  • पौष्टिक, गैर औषधीय खाद्य और पेय पदार्थों का सेवन करें।
  • खुद की और आसपास स्वच्छता बनाए रखें।

क्या न करें:

होम्योपैथिक दवाएं उपयोग करने से कोई भी साइड इफेक्ट नहीं है क्योंकि उनको बहुत अधिक घोल कर बनाया जाता हैं। इनकी लत भी नहीं लगती हैं। हालांकि, खुद से दवा लेने या इन दवाओं की अधिक खुराक का सेवन करने के कुछ दुष्प्रभाव हो सकते हैं।

होम्योपैथिक डॉक्टर रोगी के प्रभावी और पूर्ण उपचार के लिए रोग के लक्षणों के साथ-साथ व्यक्तिगत मिआस्म (miasm) को भी ध्यान में रखते हैं। दवा की खुराक रोगी में दिखने वाले लक्षणों पर निर्भर करती है। इसलिए, यह आवश्यक है कि इन दवाओं को एक प्रमाणित होम्योपैथिक चिकित्सक की सलाह पर ही लिया जाए।

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क्रोनिक किडनी रोग को किडनी के कार्य में नुकसान के रूप में देखा जाता है जो समय के साथ धीरे-धीरे गंभीर होता जाता है। यह शरीर में अपशिष्ट पदार्थ के निर्माण, एनीमिया और हृदय रोगों जैसी स्वास्थ्य जटिलताओं को जन्म देता है। इस रोग के मरीजों में किडनी फेल होने का खतरा भी बढ़ जाता है। क्रोनिक किडनी रोग के उपचार के लिए उपयोग की जाने वाली होम्योपैथिक दवाएं प्रभावी होने के साथ-साथ कोई दुष्प्रभाव भी पैदा नहीं करती है। यह उपचार उन लोगों के लिए विशेष रूप से सहायक है जो पारंपरिक उपचार के साथ-साथ किसी वैकल्पिक उपचार का उपयोग करना चाहते हैं।

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Dr. Rupali Mendhe

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संदर्भ

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