नवजात शिशु को गैस होना आम बात है। शिशु को दूध पिलाने का कोई निश्चित समय नहीं होता है, इसलिए वह कभी भी मां का दूध पीने लगते हैं। ऐसे में शिशु पूरे दिन में करीब 16 से 20 बार तक गैस निकाल सकते हैं। गैस की वजह से शिशुओं को कुछ हद तक परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। कुछ शिशुओं को गैस बाहर निकालने में परेशानी नहीं होती है, जबकि कुछ शिशुओं को गैस अधिक परेशान कर सकती है। अगर आपका शिशु बिना किसी कारणवश बैचेन होकर बार-बार रो रहा हो, तो यह उसकी गैस होने की समस्या का संकेत हो सकता है।

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शिशुओं की इसी परेशानी को आगे विस्तार से बताया जा रहा है। इसमें नवजात शिशु को गैस होने के लक्षण, शिशु को गैस के कारण, नवजात शिशुओं की गैस का इलाज, शिशु को गैस होने पर डॉक्टर के पास कब लेकर जाएं और नवजात शिशु को गैस होने पर बचाव आदि विषयों के बारे में भी विस्तार से बताया गया है।

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  1. नवजात शिशु को गैस होने के लक्षण - Navjaat shishu ko gas hone ke lakshan
  2. नवजात शिशु को गैस के कारण - Navjat shishu ko gas ke karan
  3. छोटे बच्चों में गैस की समस्या का इलाज - Chote bacho me gas ki samasya ka ilaj
  4. नवजात शिशु को गैस से बचाव - Navjat shishu ko gas se bachav
  5. नवजात शिशु को गैस होने पर डॉक्टर के पास कब जाएं - Navjaat shishu ko gas hone pr doctor ke pass kab le jaye
नवजात शिशु को गैस के डॉक्टर

शिशु रोकर अपनी जरूरत को बताने की कोशिश करते हैं। शिशु अपनी भूख, दर्द, परेशानी, थकान, अकेलापन, और पेट में गैस की समस्या को भी रो कर ही बताते हैं। माता-पिता इससे ही अपने शिशु की जरूरत और परेशानी को समझने का प्रयास करते हैं।  

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नीचे कुछ लक्षणों को बताया जा रहा है, जिनको आप शिशुओं में गैस होने के दौरान महसूस कर सकते हैं।

कुछ मामलों में शिशु गैस के दौरान बेहद ही असहज और पीड़ा महसूस करते हैं। जानकारों का कहना है कि अगर शिशु सामान्यतः खुश रहे और केवल गैस छोड़ने के दौरान ही कुछ सेकंड के लिए बैचेन हो, तो यह एक सामान्य स्थिति होती है। यहां तक कि शिशु का चेहरा लाल हो रहा हो या वह रो रहा हो, तो इसका मतलब यह नहीं है कि वह परेशान हो रहा है। अगर वह गैस छोड़ने के दौरान परेशान नहीं है और वह खुश है तो यह किसी भी समस्या की ओर इशारा नहीं करता है।

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शिशु में गैस होने के कई कारण होते हैं। जन्म के बाद पहले तीन महिनों तक शिशु को गैस से दर्द होना आम बात है। इस समय शिशु की आंतें विकसित हो रही होती हैं। मां के दूध और डिब्बे वाले दूध में जो प्रोटीन और फैट मौजूद होता है, उसकी पाचन क्रिया के दौरान शिशु को गैस बनती है। 6 से 12 माह के शिशु ठोस आहार लेना शुरु कर देते हैं और ऐसे में नए खाद्य पदार्थों को खाने से भी उनको गैस की समस्या का सामना करना पड़ता है। शिशु में गैस होने के कुछ अन्य कारणों को नीचे विस्तार से बताया जा रहा है।

  • शिशु के गलत तरीके से स्तनपान करने या बोतल से दूध पीने के दौरान अतिरिक्त हवा पेट में चली जाती है। (और पढ़ें - स्तनपान से जुड़ी समस्याओं के समाधान)
     
  • नवजात शिशु की आंतें जन्म के बाद से ही निरंतर विकसित होने की प्रक्रिया में होती है। इस स्थिति में शिशु का शरीर भोजन को पचाने और मल को बाहर करने की प्रक्रिया को समझता है, जिस कारण गैस बनने लगती है। (और पढ़ें - नवजात शिशु को सर्दी जुकाम इलाज)
     
  • इसके अलावा शिशु की आंतों में स्वस्थ बैक्टीरिया विकसित होने के परिणामस्वरूप भी उसको गैस की समस्या होने लगती है। (और पढ़ें - बैक्टीरियल संक्रमण का इलाज)
     
  • अतिरिक्त भोजन करना शिशु की आंतों में दबाव बनाने का कार्य करता है, इसकी वजह से भी शिशु को गैस उत्पन्न होती है। स्तनपान के दौरान मां के शुरुआती दूध (foremilk) में शुगर की मात्रा अधिक होती है और बाद (hindmilk: अंतिम) के दूध में फैट अधिक मात्रा में होता है। ज्यादा लैकटोज से शिशु में गैस और चिड़चिड़ापन बढ़ सकता है।  
     
  • खाने से पहले शिशु के ज्यादा रोने की वजह से भी हवा उसके पेट में चली जाती है। कई बार गैस बनने के कारण भी शिशु ज्यादा रोता है। शिशु के लगातार रोने से गैस बनती है और बाद में इसका एक चक्र बन जाता है। (और पढ़ें - शिशु का टीकाकरण चार्ट)
     
  • मां के द्वारा खाएं जाने वाले भोजन के तत्व दूध में मिल जाते हैं। स्तनपान के दौरान मां का ड्राई फ्रूट, कॉफी, मसाले, दूध से बने उत्पाद जैसे चीज, मक्खनघी आदि शिशु में गैस की समस्या को बढ़ाते हैं।  

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नवजात शिशु की गैस के इलाज के लिए कुछ दवाओं का भी उपयोग किया जा सकता है, लेकिन इन दवाओं को लेने से पहले आपको अपने डॉक्टर से बात करनी चाहिए। इसके साथ ही शिशु को दवा देने से पहले आप डॉक्टर से इन दवाओं के अन्य दुष्प्रभावों के बारे में भी पता कर लें। यदि दवाएं शिशु में किसी भी तरह की एलर्जी की वजह न बनें, तो आप अपने शिशु को सही मात्रा में दवाएं देें सकती हैं।

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शिशु की गैस दूर करने के लिए गैस ड्रोप (दवा) दिया जा सकता है, लेकिन यह किस हद तक प्रभावी होता है इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है।

  • ग्राइप वाटर (Gripe water) – कई सालों से शिशु की गैस को दूर करने के लिए ग्राइप वाटर का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसे कई माता-पिता इस्तेमाल कर चुकें हैं। गैस की समस्या होने पर ग्राइप वाटर तेजी से काम करता है। आमतौर पर यह पांच मिनट में अपना प्रभाव दिखाने लगता है। बाज़ार में यह आसानी से उपलब्ध है। (और पढ़ें - डाबर ग्राइप वाटर)
     
  • प्रोबायोटिक्स – कुछ नई रिसर्च से पता चला है कि शिशु को दिए जाने वाले प्रोबायोटिक्स से कुछ सप्ताह के हो चुके शिशुओं की गैस की समस्या में राहत मिलती हैं। अगर आपके शिशु ने ठोस आहार लेना शुरू कर दिया है तो आप शिशु के आहार में थोड़ा दही जरूर मिलाएं। इससे शिशु की आंते पेट में मौजूद अच्छे बैक्टीरिया को पहचान पाती हैं।

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नीचे बताए गए कुछ तरीकों को अपनाकर आप शिशु में गैस बनने को होने से रोक सकते हैं।

  • शिशु को डकार दिलाएं –
    शिशु को गैस की समस्या से बचाव के लिए आप इसको दूध पिलाते समय व उसके बाद डकार दिलाएं। अगर शिशु को डकार नहीं आ रहीं हो तो आप उसको कुछ मिनट के लिए पेट के बल नीचे लेटा दें और थोड़े समय के बाद इसे प्रक्रिया को दोहराते रहें।
     
  • दूध की बोतल को बदलें – 
    अगर आपका शिशु बोतल से दूध पीता है तो आप उसको ऐसी बोतल से दूध दें, जिसमें से कम मात्रा में दूध निकलता हो। (और पढ़ें - नवजात शिशु को खांसी क्यों होती है)
     
  • शिशु को सही पोजीशन में खाना खिलाएं – 
    शिशु को स्तनपान या बोतल से दूध पिलाते समय उसके सिर को पेट से ऊपर रखने का प्रयास करें। इससे शिशु के अंदर जाने वाला दूध पेट के निचले हिस्से में पहुंच जाता है और हवा ऊपर की तरफ आ जाती है, जो डकार के द्वारा आसानी से बाहर आ जाती है। साथ ही बोतल को थोड़ा ऊपर की ओर उठाते हुए, ध्यान दें कि उसमें हवा का कोई बुलबुला न रहें। इसके अलावा दूध पिलाते समय शिशु के सिर के नीचे किसी मुलायम तकिए को रखें। (और पढ़ें - नवजात शिशु को कफ का इलाज)
     
  • शिशु को मसाज दें –
    शिशु को गैस से बचाव के लिए आप उसको हल्की मसाज दें। इसके अलावा जब शिशु पीठ के बल लेटा हो तो उसके टांगों को गोल-गोल (साइकिल चलाने की तरह) घुमाएं। शिशु को गर्म पानी से स्नान कराने से भी गैस की समस्या में आराम मिलता है।

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यदि शिशु की गैस के कारण आपको बार-बार उसके उपाय करने पड़ रहे हैं और ऐसा लगातार कई दिनों से हो रहा हो, तो आपको उसे डॉक्टर को दिखा लेना चाहिए। गैस के साथ ही शिशु को उल्टी, दस्त और बुखार होने पर भी आपको तुरंत डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए। इससे शिशु को फूड एलर्जी, पेट में इन्फेक्शन और गर्ड (GERD: एसिड भाटा रोग) आदि गंभीर समस्या भी हो सकती है।  

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