गर्भावस्था के दौरान यदि आपको भी श्रोणि (Pelvic; पेल्विक) में दर्द होता है, तो घबराएं नहीं ऐसा महसूस करने वाली आप अकेली महिला नहीं हैं। लगभग 80 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं पेल्विक दर्द का अनुभव करती हैं। इसका अनुभव करने वाली अधिकतर महिलाएं गर्भावस्था की अंतिम तिमाही में इस दर्द से गुजरती है, क्योंकि इस समय ही उनकी श्रोणि (पेल्विक) क्षेत्र पर तनाव विशेष रूप से तीव्र हो जाता है।

एक बार इसको महसूस करने के बाद यह बार-बार महसूस होना आम बात है। यह दर्द तब भी होता है जब बच्चा प्रसव के दो से चार सप्ताह पहले जन्म के लिए तैयार होकर पेल्विक क्षेत्र में होता है। हालांकि गर्भावस्था में लगभग किसी भी समय पर पेल्विक क्षेत्र में दर्द हो सकता है। इसके प्रभाव में श्रोणि क्षेत्र में भारीपन और तनाव महसूस होता है। इस समस्या में पीठ के पिछले हिस्से में व पेट के निचले हिस्से में संवेदनशीलता बढ़ जाती है। इस समस्या को सही रूप से बता पाना बेहद ही मुश्किल होता है, क्योंकि इस दर्द की परेशानी के कारण कई बार व्यापक भी हो सकते हैं।

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  1. गर्भावस्था में पेल्विक पेन (श्रोणि में दर्द) के लक्षण - Symptoms of pelvic pen in pregnancy in Hindi
  2. प्रेग्नेंसी में होने वाले पेल्विक (श्रोणि) दर्द के कारण - Causes of pelvic pain during pregnancy in Hindi
  3. प्रेग्नेंसी में होने वाले पेल्विक दर्द का इलाज - Pain treatment in pelvic during pregnancy in Hindi
  4. पेल्विक दर्द होने पर डॉक्टर के पास कब जाएं - When to see your doctor for pelvic pain during pregnancy in Hindi
  5. पेल्विक दर्द व नॉर्मल डिलीवरी - Pelvic pain and normal delivery in Hindi

गर्भावस्था के समय पेल्विक पेन में कई तरह के लक्षण दिखाई देते है। इसमें पेट के निचले हिस्से में ऐंठन होने लगती है। इसके अलावा पेल्विक (श्रोणि) क्षेत्र के आगे व पीछे हल्का-हल्का दर्द बना रहता है। गर्भावस्था के दौरान श्रोणि में होने वाला दर्द आपके बच्चे के लिए किसी भी तरह से हानिकारक नहीं होता है। लेकिन यह श्रोणि क्षेत्र के आसपास गंभीर दर्द का कारण बन सकता है और आपको इससे मुश्किल हो सकती है।

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अलग-अलग महिलाओं में इसके अलग-अलग लक्षण देखें जाते है, जो निम्नलिखित हैं -

  • नाभि के ठीक नीचे जघन (Pubic;प्यूबिक) की हड्डी पर दर्द
  • आपके पीठ के हिस्से की निचली ओर एक या दोनों तरफ दर्द होना (और पढ़ें - गर्भावस्था में कमर दर्द)
  • आपकी योनि और गुदा के बीच के क्षेत्र में दर्द होना

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यह दर्द आपकी जांघों तक फैल सकता है और कुछ महिलाएं इसमें श्रोणि के क्षेत्र में हड्डियों के टकराने या घिसने की आवाज को महसूस करती हैं। यह दर्द निम्न परिस्थितियों में सबसे ज्यादा पता चलाता है।

  • चलते समय (घूमने पर)
  • सीढ़ियों पर चढ़ते समय (और पढ़ें - गर्भावस्था में पैरों में दर्द)
  • जब आप एक पैर पर खड़े होते है (जैसे, कपड़े पहनते समय)
  • बिस्तर में एक तरफ लेटना
  • आपके पैरों के सक्रिय होने पर भी यह दर्द हो सकता है जैसे, गाड़ी से बाहर निकलते समय

(और पढ़ें - पैर में दर्द के घरेलू उपाय और गर्भावस्था में पेट दर्द)

इस दर्द का इलाज ही इससे होने वाली परेशानियों को कम कर सकता है। अगर आपको सही सलाह और उपचार जल्दी मिल जाए, तो आप इस समस्या के लक्षणों को कम से कम कर सकती हैं।

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प्रेग्नेंसी में पेल्विक क्षेत्र का दर्द सभी महिलाओं पर अलग-अलग तरह का प्रभाव दिखाता है। इसके मुख्य कारणों के बारे में तो कुछ कहा नहीं जा सकता, लेकिन इसके पीछे कई कारक देखें जाते हैं जैसे, पहले कभी पेल्विक (श्रोणी) क्षेत्र में लगी कोई चोट, पेल्विक जोड़ों का हिलना व प्रेग्नेंसी के समय गर्भ में बच्चा व उसकी स्थिति शामिल हैं।

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निम्न वो कारक हैं जिनके होने पर किसी भी महिला के पेल्विक क्षेत्र में दर्द होने का जोखिम बढ़ सकता है -

  • पहले कभी पीठ के निचले हिस्से या पेल्विक(श्रोणी) क्षेत्र में दर्द रहा हो (और पढ़ें - पीठ दर्द)
  • पहले कभी किसी दुर्घटना में पेल्विक (श्रोणि) क्षेत्र में चोट लगना
  • शारीरिक रूप से कार्य करने वाली नौकरी करना

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फिजियोथेरेपी को अपनाकर प्रेग्नेंसी में होने वाले पेल्विक दर्द में आपको आराम मिलता है। इस प्रक्रिया से मांसपेशियों का संचालन ठीक होता है। इसके साथ ही पेल्विक जोड़ की स्थिति में मजबूती आती है। इसके अलावा पेल्विक पेन के इलाज के लिए निम्न तरीकों को अपनाया जाता है।

  • बिना किसी यंत्र के हाथों से की जाने वाली मैनुअल थेरेपी (Manual therapy) से आप पेल्विक(श्रोणी) के जोड़, कूल्हों व रीढ़ की हड्डी को भी आराम से घुमा पाते हैं। इससे आपका दर्द भी कम हो जाता है। (और पढ़ें - रीढ़ की हड्डी में चोट)
  • एक्सरसाइज करके आपको अपने पेल्विक क्षेत्र, पेट, पीठ व कूल्हों की मांसपेशियों को मजबूत बना सकती है।
  • पानी में की जाने वाली एक्सरसाइज को करें। (और पढ़ें - गर्भावस्था में व्यायाम)
  • विशेषज्ञों से इस बारे में सलाह लें कि आपको इस दौरान सेक्स व प्रसव के समय किस तरह की पोजिशन को अपनाना चाहिए। जिससे दर्द की तीव्रता को कम किया जा सके। (और पढ़ें - गर्भावस्था में सेक्स और sex karne ka tarika)
  • दर्द से आराम के लिए टेन्स (TENS- इसमें हल्के इलैक्ट्रिक करंट से दर्द को दूर किया जाता है) प्रक्रिया को अपनाएं।
  • पेल्विक क्षेत्र में ज्यादा भार या दबाव न पड़े, इसलिए आप किसी बैसाखी की मदद लें या पेल्विक सपोर्ट बेल्ट को पहनें।  

जब आपको पेल्विक क्षेत्र में हल्का-हल्का दर्द महसूस हो रहा हो या आपको इसके कारण परेशानी हो रही हो तब आपको डॉक्टर के पास जाना चाहिए या इसके विषय में अपने डॉक्टर व घर के सदस्यों से बात करनी चाहिए। इसकी पुष्टि होने के बाद आप फिजियोथेरेपी की मदद लेकर इसके दर्द को न सिर्फ कम कर सकती है बल्कि इस क्षेत्र में होने वाले जोड़ के दर्द को भी दूर करके, सामान्य तरह से सभी काम को आसानी से कर सकती है।

(और पढ़ें - गर्भावस्था के दौरान डॉक्टर से चेकअप)

वैसे प्रेग्नेंसी के दौरान इस तरह की समस्या को बच्चें के जन्म से पहले पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता है। लेकिन इसके दर्द को दूर कर सामान्य दिनचर्या में आने वाली परेशानियों को कम किया जा सकता है।

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पेल्विक दर्द को महसूस करने वाली कई महिलाएं की भी नॉर्मल डिलीवरी होती है। अपनी डॉक्टर से आप नॉर्मल डिलीवरी के लिए बात करके सही योजना बना सकती हैं। जब आप पेल्विक दर्द में इस तरह की योजना बनाती हैं तो आपको कुछ समय बाद प्रसव काल के दौरान होने वाले दर्द का एहसास रहता है। इस योजना में आप अपनी सहूलियत के मुताबिक प्रसव के समय अपनी आरामदायक पोजिशन को चुन सकती है। प्रसव को पानी में करना आपके जोड़ों पर पड़ने वाले दर्द को कम कर देता है। साथ ही आपको इसमें ज्यादा आराम भी मिलता है। इसलिए आप पानी में बच्चें के जन्म के विकल्प को भी चुन सकती है। लेकिन इस बारे में आपको अपनी डॉक्टर से बात करना बेहद ही जरूरी है।

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ऐसी पोजीशन को पहचानें जिसमें आपको दर्द न होता हो।

अगर आपको अपने पैरों को खोलने में दर्द महसूस होता है तो आप को ऐसी पोजीशन को चुनना होगा जिसमें आपको बेहद ही कम दर्द महसूस होता हो। इसके लिए आपको अपनी पीठ के बल पर लेटना होगा। इस दौरान आप किसी कुर्सी के किनारे पर बैठे और अपने पैरों को उतना खोलने की कोशिश करें जिसमें आपको दर्द महसूस न हो। इसके बाद आप अपने पैरों के बीच की दूरी को किसी इंचीटेप से नाप लें, क्योंकि यही आपका पेन फ्री यानि की दर्द कम महसूस होने वाली पोजीशन की सही स्थिति है।

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इस दौरान आप अपने जोड़ों का बचाव करते हुए, बच्चे के जन्म के समय अपने पैरों को ज्यादा न खोलें। किसी तरह का दर्द दूर करने वाला इंजेक्शन लेने के बाद भी आपको अपने जोड़ों पर ज्यादा दबाव नहीं डालना चाहिए। इसलिए इस तरह के इंजेक्शन को लेने के बाद भी आपको अपने जोड़ों पर कम दवाब डालने के लिए अपनी दर्द मुक्त वाली पोजीशन के बारे में पता होना चाहिए।

कई बार बच्चे के जन्म के समय आपको अपनी दर्द मुक्त पोजीशन को भूलकर पैरों को अधिक खोलना भी पड़ता है। लेकिन यह सब आप किसी विशेषज्ञ की देखरेख में ही करें व आपकी प्रसूति को कराने वाली डॉक्टर को आपके पेल्विक क्षेत्र में होने वाले दर्द की पूरी स्थिति के बारे में पता होना बेहद जरूरी है। अगर आपको बच्चे के जन्म के समय पेल्विक क्षेत्र के जोड़ों पर अधिक दबाव डालना भी पड़ता है तो इसके बाद आप फिजीयोथेरेपी के मदद से इसको ठीक कर सकती हैं। 

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