अडेनोइड सिस्टिक कार्सिनोमा - Adenoid Cystic Carcinoma in Hindi

Dr. Ayush PandeyMBBS,PG Diploma

February 12, 2020

August 25, 2021

अडेनोइड सिस्टिक कार्सिनोमा
अडेनोइड सिस्टिक कार्सिनोमा

अडेनोइड सिस्टिक कार्सिनोमा (एसीसी) एक दुर्लभ प्रकार का कैंसर है, जो आमतौर पर लार बनाने वाली ग्रंथियों में शुरू होता है। ये आपके जीभ के नीचे और जबड़े के चारों तरफ होती हैं। यह ग्रंथियां आपके मुंह और गले या शरीर के अन्य हिस्सों में भी हो सकती हैं।

हर साल कैंसर के 500,000 मामलों में से करीब 1,200 लोगों को अडेनोइड सिस्टिक कार्सिनोमा होता है। यह पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अधिक प्रभावित करता है। यह किशोरावस्था से लेकर आगे किसी भी उम्र में हो सकता है।

यह बीमारी धीरे-धीरे बढ़ती है, इससे पहले कि आप किसी भी लक्षण को नोटिस करें यह शरीर के किसी भी हिस्से में फैल सकती है। यदि किसी हिस्से में कैंसर था और उसका सफलतापूर्वक इलाज किया जा चुका है, तो भी यह वापस से प्रभावित कर सकता है और यह आपके फेफड़ों, लिवर या हड्डियों में फैल सकता है।

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अडेनोइड सिस्टिक कार्सिनोमा के लक्षण - Symptoms of Adenoid Cystic Carcinoma

इस बीमारी का सबसे पहला संकेत है जीभ के नीचे या गाल के अंदर मुंह में गांठ होना। ये गांठ आमतौर पर धीरे-धीरे बढ़ती हैं, लेकिन इनसे दर्द नहीं होता। हां, प्रभावित व्यक्ति को निगलने में कठिनाई या आवाज में बदलाव होने का अनुभव हो सकता है, जो सुनने में किसी को अच्छी न लगे।

इस प्रकार का कैंसर नसों में फैल सकता है, इसलिए आपके चेहरे पर दर्द या सुन्न जैसी समस्या हो सकती है। यदि आप इनमें से किसी भी लक्षण को नोटिस करते हैं, तो अपने डॉक्टर को तुरंत बताएं।

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अडेनोइड सिस्टिक कार्सिनोमा का कारण - Cause of Adenoid Cystic Carcinoma

डॉक्टरों को अभी तक इस बीमारी का सटीक कारण पता नहीं चल पाया है, लेकिन उनका मानना है कि यह कुछ कार्सिनोजेंस (कैंसरकारी तत्व) जैसे प्रदूषण से जुड़ा हो सकता है। इसके अलावा यह गैर-वंशागत, आनुवंशिक परिवर्तनों की वजह से भी हो सकता है। ये आनुवंशिक परिवर्तन केवल कैंसर कोशिकाओं में मौजूद होते हैं।

इन परिवर्तनों की वजह से वातावरण में जोखिम के कारण हो सकते हैं। हालांकि, एसीसी के लिए किसी विशिष्ट पर्यावरणीय जोखिम कारकों की पहचान नहीं की गई है। सिर और गर्दन में होने वाले कुछ कैंसर के विपरीत, एसीसी को तंबाकू या अल्कोहल के सेवन या एचपीवी वायरस से जोड़ा नहीं जा सकता है।

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अडेनोइड सिस्टिक कार्सिनोमा का निदान - Diagnosis of Adenoid Cystic Carcinoma

यदि आपके डॉक्टर को लगता है कि आपको अडेनोइड सिस्टिक कार्सिनोमा हो सकता है, तो ऐसे में सबसे पहले बायोप्सी की जरूरत होती है। डॉक्टर इसमें सुई या कट की मदद से ट्यूमर का एक छोटा नमूना ले​ते हैं। इसके बाद विशेषज्ञ कैंसर के संकेतों को पहचानने के लिए नमूने का अध्ययन करेंगे।

ट्यूमर अलग-अलग रूप में हो सकते हैं। वे ठोस या गोलाकार और खोखले हो सकते हैं, जैसे कि कोई ट्यूब या क्रिब्रीफॉर्म, जिसका मतलब है कि उनमें पनीर की तरह छेद दिखाई दे सकते हैं। आमतौर पर ठोस ट्यूमर तेजी से बढ़ते हैं।

फिलहाल डॉक्टर ट्यूमर के आकार और स्थान का पता लगाने के अलावा कैंसर के फैलने के संकेतों की पहचान कर सकते हैं। इसके लिए निम्न परीक्षण हो सकते हैं :

अडेनोइड सिस्टिक कार्सिनोमा का इलाज - Treatment of Adenoid Cystic Carcinoma

आमतौर पर कैंसर मरीज की देखभाल के लिए विभिन्न प्रकार के डॉक्टर उपचार योजना बनाने के लिए एक साथ काम करते हैं। इसे एक बहु-विषयक टीम कहा जाता है। इस टीम में कई अन्य स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर भी शामिल होते हैं जैसे : मेडिकल एंड रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट, सर्जन, ओटोलैरिंगोलॉजिस्ट जो कान, नाक और गले के डॉक्टर होते हैं। प्लास्टिक या रिकंसट्रक्शन सर्जन, विशेषज्ञ जो सिर और गर्दन के हिस्सों में रिस्टोरेटिव सर्जरी करते हैं। दांत के डॉक्टर, फिजिकल थेरेपिस्ट, स्पीच पैथोलॉजिस्ट, ऑडियोलॉजिस्ट, मनोचिकित्सक, नर्स, डायटीशियन और सोशल वर्कर। 

यह बहुत जरूरी है कि उपचार शुरू होने से पहले यह विशेष टीम एक व्यापक और सटीक उपचार योजना बनाए।

इस बीमारी में सर्जरी के बाद रेडिएशन ट्रीटमेंट की जरूरत पड़ती है। इस दौरान डॉक्टर न केवल ट्यूमर को ठीक करते हैं, बल्कि इसके आस-पास के कुछ स्वस्थ ऊतकों को भी हटा दिया जाता है।

कुछ प्रकार के कैंसर लिम्फ नोड्स के माध्यम से शरीर के अन्य हिस्सों में जा सकते हैं, लेकिन अडेनोइड सिस्टिक कार्सिनोमा नसों के जरिए फैल सकता है। इसलिए डॉक्टर नसों की जांच करके यह सुनिश्चित करने की कोशिश करते हैं कि कैंसर आसपास के हिस्सों में तो नहीं फैला है। इसके बाद वह किसी भी कैंसरग्रस्त ऊतक को बिना नुकसान पहुंचाए निकालने की कोशिश करते हैं।

कभी-कभी, पूरी तरह से कैंसर को ठीक करने के लिए तंत्रिका के प्रभावित हिस्से को निकालना पड़ सकता है। इसका मतलब है कि आप प्रभावित हिस्से को हिलाने में असमर्थ हो सकते हैं। ऐसे में डॉक्टर क्षतिग्रस्त तंत्रिका को दूसरे स्वस्थ तंत्रिका के साथ फिर से जोड़ने की कोशिश कर सकते हैं, ताकि आप प्रभावित हिस्से का सामान्य तौर पर इस्तेमाल कर सकें।

उपचार के बाद, व्यक्ति को नियमित जांच की आवश्यकता हो सकती है। क्योंकि कुछ मामलों में वापस से ट्यूमर आने का जोखिम रहता है।

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