इम्यूनोफिक्सेशन इलेक्ट्रोफोरेसिस सीरम टेस्ट क्या है?

यह टेस्ट सीरम में इम्यूनोग्लोब्युलिन (एंटीबॉडीज) की जांच करता है। एंटीबॉडीज प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा बनाए जाने वाले वे प्रोटीन है जो कि संक्रमण और बीमारी से लड़ने में शरीर की मदद करते हैं। विशेष एंटीजन (बाहरी पदार्थ या सूक्ष्मजीव) के खिलाफ विशेष एंटीबॉडीज बनाए जाते हैं।

इम्यूनोग्लोब्युलिन अलग-अलग तरह के हो सकते हैं जिनमें आइजीए, जी, एम, ई और डी शामिल हैं। सभी इम्यूनोग्लोब्युलिन एक एंटीबॉडी मॉलिक्यूल द्वारा बनाए जाते हैं जिसे मोनोक्लोनल इम्यूनोग्लोब्युलिन कहते हैं। विशेष स्वास्थ्य स्थितियों में इनका स्तर बढ़ सकता है।

इम्यूनोफिक्सेशन ब्लड टेस्ट न केवल रक्त में मौजूद किसी विशेष एंटीबॉडी अधिकता के बारे में बताता है बल्कि असामान्य इम्यूनोग्लोब्युलिन की पहचान करने में भी मदद करता है। 

इस टेस्ट की मदद से रक्त में मौजूद प्रोटीन को एक जेल पर उनके आकार और इलेक्ट्रिक चार्ज के अनुसार अलग किया जाता है। अलग करने के बाद ये अपनी चौड़ाई के अनुसार अलग-अलग बैंड बनाते हैं, इसके बाद परिणामों के लिए इनका अध्ययन किया जाता है।

  1. इम्यूनोफिक्सेशन इलेक्ट्रोफोरेसिस सीरम टेस्ट क्यों किया जाता है - Immunofixation Electrophoresis Serum Kyu Kiya Jata Hai
  2. इम्यूनोफिक्सेशन इलेक्ट्रोफोरेसिस सीरम टेस्ट से पहले - Immunofixation Electrophoresis Serum Se Pahle
  3. इम्यूनोफिक्सेशन इलेक्ट्रोफोरेसिस सीरम टेस्ट के दौरान - Immunofixation Electrophoresis Serum Ke Dauran
  4. इम्यूनोफिक्सेशन इलेक्ट्रोफोरेसिस सीरम टेस्ट के परिणाम का क्या मतलब है - Immunofixation Electrophoresis Serum Ke Parinam Ka Kya Matlab Hai

इम्यूनोफिक्सेशन इलेक्ट्रोफोरेसिस सीरम टेस्ट किसलिए किया जाता है?

आपके डॉक्टर इस टेस्ट की सलाह विशेष प्रकार के कैंसर की जांच करने के लिए दे सकते हैं जो कि असामान्य इम्यूनोग्लोब्युलिन की मौजूदगी से जुड़े होते हैं जैसे मल्टीपल मायलोमा और वाल्डेनस्ट्रॉम मैक्रोग्लोब्युलिनेमिया।

यह प्राइमरी ऐमाइलोयडोसिस नामक स्थिति की जांच करने के लिए किया जाता है। प्राइमरी ऐमाइलोयडोसिस एक दुर्लभ विकार है जिसमें एमिलॉइड नामक असामान्य प्रोटीन ऊतकों और अंगों में जमा होने लगता है। इससे गंभीर लक्षण जैसे त्वचा में बदलाव, दिल की धड़कन असामान्य होनाजीभ में सूजन, फेफड़ों में सूजन, किडनी फेलियर और नसों से संबंधित समस्याएं दिखाई दे सकते हैं।

इसके अलावा, यदि आप भोजन से कुछ विशेष प्रोटीन अवशोषित नहीं कर पा रहे हैं तो भी इस टेस्ट की सलाह दी जा सकती है।

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इम्यूनोफिक्सेशन इलेक्ट्रोफोरेसिस सीरम टेस्ट की तैयारी कैसे करें?

इस टेस्ट के लिए किसी भी विशेष तैयारी की जरूरत नहीं होती। हालांकि, यदि आप किसी भी तरह की दवा, हर्बल सप्लीमेंट ले रहे हैं तो टेस्ट से पहले ही इनके बारे में डॉक्टर को बता दें।

इम्यूनोफिक्सेशन इलेक्ट्रोफोरेसिस सीरम टेस्ट कैसे किया जाता है?

यह एक सामान्य ब्लड टेस्ट है जिसमें डॉक्टर आपकी बांह की नस में सुई लगाकर ब्लड सैंपल लेते हैं।

कुछ लोगों को टेस्ट के दौरान दर्द हो सकता है। हालांकि, सुई के त्वचा में लगने से आपको चुभन महसूस हो सकती है। टेस्ट के बाद, सुई लगी जगह पर कुछ समय के लिए नील भी पड़ सकता है।

इस ब्लड टेस्ट से निम्न खतरे जुड़े हुए हैं -

यदि सुई लगने वाली जगह को साफ किया जाता है तो संक्रमण का खतरा कम हो जाता है। पहले से ही उचित उपाय अपनाने से अन्य जोखिमों को भी कम किया जा सकता है।

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इम्यूनोफिक्सेशन इलेक्ट्रोफोरेसिस सीरम टेस्ट के परिणाम क्या बताते हैं?

सामान्य परिणाम

सामान्य परिणाम नेगेटिव रिजल्ट होता है, जिसका मतलब है कि आपके शरीर में कोई भी असामान्य प्रोटीन नहीं है।

असामान्य परिणाम

असामान्य या पॉजिटिव परिणाम का मतलब है कि आपके रक्त में अधिक या असामान्य इम्यूनोग्लोब्युलिन है। चूंकि यह मोनोक्लोनल प्रोटीन की मात्रा का पता नहीं लगाता है इसीलिए इस टेस्ट की कोई संदर्भ रेंज नहीं है। पॉजिटिव परिणाम निम्न के कारण हो सकते हैं -

  • विशेष प्रकार के कैंसर 
  • मल्टीपल मायलोमा 
  • वाल्डेनस्ट्रॉम मैक्रोग्लोब्युलिनेमिया
  • ऐमाइलोयडोसिस
  • ल्यूकेमिया
  • बिना स्पष्ट कारण के मोनोक्लोनल गैमोपैथी

यदि आपको ऊपर बताई गई स्थितियों में से कोई भी एक रोग है तो इम्यूनोफिक्सेशन इलेक्ट्रोफोरेसिस सीरम टेस्ट को एक नियमित अंतराल पर किया जाता है। ऐसा करने से पता लगता है कि इलाज कितने अच्छे से काम कर पा रहा है।

संदर्भ

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