कॉम्प्लीमेंट 4 (सी4) टेस्ट क्या है?

कॉम्पलिमेंट 4 या सी 4 पूरक प्रणाली (कॉम्पलिमेंट सिस्टम) के 20 प्रोटीन में से एक है। कॉम्पलिमेंट सिस्टम हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली का एक महत्वपूर्ण तत्व है। ये रक्त और शरीर के द्रव में असक्रिय रूप से मौजूद होता है और शरीर में किसी एंटीजन या संक्रामक एजेंट के आने पर ही सक्रिय होता है। कॉम्प्लीमेंट सिस्टम या पूरक प्रणाली का मुख्य कार्य सफेद रक्त कोशिकाओं को सक्रिय करना होता है, ताकि संक्रमण से बचने के लिए शरीर में आए बैक्टीरिया और वायरस को नष्ट किया जा सके। ये शरीर से मृत कोशिकाओं को हटाने में भी मदद करता है। हालांकि कॉम्प्लीमेंट सिस्टम में विकार के कारण प्रतिरक्षा प्रणाली स्वस्थ कोशिकाओं पर हमला कर सकती है, जिसके कारण सूजन और स्व-प्रतिरक्षित रोग हो सकते हैं।

सी 4 टेस्ट रक्त में सी4 प्रोटीन के स्तर की जांच करता है। यह सामान्य तौर पर सी3 टेस्ट के साथ किया जाता है। ऐसा बार-बार हो रहे संक्रमण का कारण जानने और स्व-प्रतिरक्षित विकारों का परीक्षण करने के लिए किया जाता है, जिनमें सिस्टमिक लुपस एरिथेमैटोसस (एसएलई), रूमेटाइड आर्थराइटिस और रुमेटिक फीवर आदि शामिल हैं।

(और पढ़ें - लैब टेस्ट क्या है)

  1. कॉम्प्लीमेंट 4 (सी4) टेस्ट क्यों किया जाता है - Complement 4 (C4) Test Kyu Kyu Kiya Jata Hai
  2. कॉम्प्लीमेंट 4 (सी4) टेस्ट की से पहले - Complement 4 (C4) Test Se Pahle
  3. कॉम्प्लीमेंट4 (सी4) टेस्ट के दौरान - Complement 4 (C4) Test Ke Dauran
  4. कॉम्प्लीमेंट4 (सी4) टेस्ट के परिणाम और नॉर्मल रेंज - Complement 4 (C4) Test Result and Normal Range

सी4 टेस्ट क्यों किया जाता है?

सी4 एक ब्लड टेस्ट है, जो कि कॉम्प्लिमेंट सिस्टम की कार्य प्रक्रिया की जांच करने के लिए किया जाता है। रोग की प्रक्रिया व उसकी प्रकृति के अनुसार सी3 और सी4 प्रोटीन के स्तर प्रभावित हो सकते हैं। ऐसा कैंसर, रूमेटाइड आर्थराइटिस और एसएलई जैसी स्थितियों में हो सकता है। सी4 टेस्ट रोग की गंभीरता की जांच करने और ट्रीटमेंट का प्रभाव देखने में भी मदद करता है। सी 4 टेस्ट की सलाह डॉक्टर निम्न लक्षण दिखने पर दे सकते हैं:

  • जोड़ों में जकड़न, खासतौर पर सुबह चलने पर
  • जोड़ों में सूजन और दर्द 
  • हाथ और पैरों के छोटे जोड़ों जैसे कलाई, एड़ी, उंगली और टखनों में बड़े जोड़ों जैसे घुटने और कूल्हों में ज्यादा दर्द होना
  • नाक व मुंह में छाले
  • शरीर में सूखापन जिससे मुंह सूखना, योनि के स्राव में कमी और कम आंसू बनना आदि लक्षण विकसित हो जाते हैं
  • बाल झड़ना 
  • त्वचा पर लाल चकत्ते, खासतौर पर चेहरे, नाक और गालों पर (तितली के आकार के)
  • पीली उंगलियां जो कि ठंड के संपर्क में सुन्न पड़ जाती हैं 
  • बुखार 
  • वजन कम होना 
  • अत्यधिक थकान और कमजोरी 

सी3 और सी4 टेस्ट के साथ टोटल कॉम्प्लिमेंट एक्टिविटी टेस्ट (सीएच50), एरिथ्रोसाइट सेडीमेंटेशन रेट (ईएसआर), विशेष एंटीबॉडी की पहचान के लिए टेस्ट किए जा सकते हैं। इसके अलावा किडनी, हार्ट, लिवर और मांसपेशियों की जांच के लिए किए जाने वाले टेस्ट के साथ भी ये किया जा सकता है। ये टेस्ट रूमेटाइड आर्थराइटिस और एसएलई जैसे रोगों के परीक्षण की पुष्टि के लिए किया जाता है।

(और पढ़ें - ब्लड टेस्ट क्या है)

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सी4 टेस्ट की तैयारी कैसे करें?

सी4 टेस्ट के लिए किसी विशेष तैयारी की जरूरत नहीं होती। इस टेस्ट के लिए भूखे रहने की जरूरत नहीं होती। यह ध्यान रखना जरूरी है कि यदि आप डॉक्टर की सलाह से या बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी दवा, विटामिन या हर्बल सप्लीमेंट ले रहे हैं तो इसके बारे में डॉक्टर को बता दें।

सी4 टेस्ट कैसे किया जाता है?

बांह की नस में सुई लगाकर ब्लड सैंपल ले लिया जाता है और सैंपल को लाल ढक्कन वाली एक टेस्ट ट्यूब में रख लिया जाता है। टेस्ट कड़ी साफ-सफाई और कीटाणुरहित स्थितियों में किया जाता है। टेस्ट के रिजल्ट आमतौर पर एक दिन में आ जाते हैं। 

इस टेस्ट में कुछ छोटे-छोटे साइड इफ़ेक्ट होते हैं जैसे रक्त ली गई जगह पर संक्रमण, नील पड़ना, अत्यधिक रक्त स्त्राव या त्वचा में रक्त का जमना (हीमेटोमा) जिन लोगों की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है उन्हें बुखार, चक्कर और कमजोरी जैसा भी महसूस हो सकता है।

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सी4 टेस्ट के परिणाम और नॉर्मल रेंज

सामान्य परिणाम:
इस टेस्ट के लिए सामान्य वैल्यू 15-45 mg/dL (माइक्रोग्राम प्रति डेसीलिटर) या 0.15-0.45 g/L (ग्राम प्रति लीटर) है। 

सामान्य परिणाम इस बात का संकेत हैं कि शरीर में कोई संक्रमण, स्व-प्रतिरक्षित विकार या शरीर में सी4 की कमी नहीं है। ये इस बात का संकेत है कि कॉम्प्लिमेंट सिस्टम ठीक प्रकार से कार्य कर रहा है। 

असामान्य परिणाम:
सी 4 के बढ़े हुए स्तर निम्न स्थितियों की उपस्थिति की ओर संकेत करते हैं:

  • संक्रमण 
  • मेटास्टैटिक कैंसर 
  • नेक्रोटिसिंग डिसॉर्डर जैसे नेक्रोटाइजिंग फेसाइटिस। यह एक स्व-प्रतिरक्षित विकार है, जो कि फैसिया (मांसपेशियों और त्वचा के बीच में कनेक्टिव टिशू की पतली परत) या किसी संक्रमित टिशू के मृत हो जाने पर होता है। इस स्थिति के लक्षणों में बुखार के साथ दर्द, लालिमा और संक्रमित जगह पर सूजन शामिल है। प्रभावित क्षेत्र में लाल, काले, नीले और बैंगनी रंग के धब्बे हो जाते हैं और इन धब्बों के बीच की त्वचा में द्रव की फुंसियां हो जाती हैं। 
  • रूमेटाइड आर्थराइटिस 
  • रुमेटिक फीवर 
  • अल्सरेटिव कोलाइटिस। यह बड़ी आंत का एक ऑटोइम्यून विकार है जिसमें मल त्यागने की तीव्र इच्छा, भूख कम लगना, जी मिचलाना, एनीमिया, बुखार और अत्यधिक थकान जैसे लक्षण शामिल हैं। 

सी 4 के कम स्तर निम्न स्थितियों की उपस्थिति की ओर संकेत करते हैं:

  • कंजेनिटल सी4 डेफिशियेंसी (सी4 की जन्म से कमी)
  • लिवर संबंधी कुछ दीर्घकालिक जैसे सिरोसिस और हेपेटाइटिस (लिवर में सूजन)
  • किडनी के विकार जैसे एक्यूट ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस, किडनी ट्रांसप्लांट में शरीर द्वारा ऑर्गन का रिजेक्शन, यूरेमिया 
  • रक्त स्त्राव और रक्त के थक्के जमने से जुड़े विकार जैसे डिससेमिनटेड इंट्रावैस्कुलर कोएग्यूलोपैथी (डीआईसी), स्प्रिंग फीवर और क्रायोग्लोबुलिनेमिया 
  • वैसक्यूलाइटिस (रक्त वाहिकाओं की दीवारों में सूजन)
  • हृदय के विकार जैसे सब एक्यूट बैक्टीरियल एंडोकार्डिटिस 
  • इम्यून सिस्टम के विकार जैसे मल्टीपल स्क्लेरोसिस और सीरम सिकनेस 
  • हेरेडिटरी एंजियोन्यूरोटिक एडिमा

संदर्भ

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