ऑर्थोडॉन्टिक्स में उपयोग किये जाने वाले उपकरण को टीथ ब्रेसेस या डेंटल ब्रेसेस कहा जाता है। इसे दांतों में तार लगाना भी कहा जाता है। टीथ ब्रेसेस दांतों को एक पंक्ति में ला सीधा करते हैं। इससे भोजन चबाने की प्रक्रिया में भी सुधार होता है तथा दांतों का स्वास्थ्य भी सुधरता है। ब्रेसेस दांतों के बीच की खाली जगह भरने में भी मदद करते हैं।

टीथ ब्रेसेस का उपयोग अक्सर तब किया जाता है जब नीचे या ऊपर के जबड़े के दांत अधिक बाहर निकले हों (जिसे अंडर बाइट्स या ओवर बाइट्स कहा जाता है), दांत सही पंक्ति में न हो या आगे पीछे हो (मेलौक्लुशंस: malocclusions), दोनों जबड़ों के बीच के दांत आपस में नहीं मिलते हों या केवल बीच के दांत ही आपस में मिलते हों (ओपन बाइट्स या डीप बाइट्स), कुछ दांत अधिक अंदर तो कुछ अधिक बाहर हो (क्रॉस बाइट्स), टेढ़े मेढ़े दांत (क्रूक्ड टीथ) और दांतों और जबड़े में कई अन्य तरह की गड़बड़ियाँ हो।

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इस लेख में आप विस्तार से जानेंगे की टीथ ब्रेसेस क्या होते हैं, इनके कितने प्रकार होते हैं और दांतों में तार कैसे लगाए जाते हैं। इसके साथ ही आप यह भी जानेंगे कि टीथ ब्रेसेस के क्या लाभ या फायदे और नुकसान हो सकते हैं तथा दांत में तार लगाने का कितना खर्च आता है।

  1. टीथ ब्रेसेस क्या है - Teeth braces kya hai in hindi
  2. टीथ ब्रेसेस के प्रकार - Teeth braces types in hindi
  3. दांतों में तार कैसे लगाते हैं - Teeth braces process in hindi
  4. दांतों में तार लगाने के लाभ - Teeth braces benefits in hindi
  5. दांतों में तार लगाने के नुकसान - Teeth braces side effects in hindi
  6. दांतों में तार लगाने का खर्च - Teeth braces cost in hindi

टीथ ब्रेसेस तार वाले उपकरण होते हैं जिनका उपयोग ऑर्थोडॉन्टिस्ट अस्तव्यस्त और टेढ़े मेढ़े दांत या जबड़े ठीक करने में करते हैं। इसीलिए इसको दांतों में तार लगाना भी कहा जाता है।

कई लोग जिनको टीथ ब्रेसेस की जरुरत होती हैं उनको ये किशोर अवस्था की शुरूआत में ही लगा दिए जाते हैं किंतु वयस्क लोगों को भी ब्रेसेस लगाने से फायदा हो सकता है।

दांतों में तार लगाने का उद्देश्य आपको भोजन सही से चबाने में सक्षम बनाना और एक खूबसूरत मुस्कान देना है।

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मामूली सुधार के लिए एक दूसरा विकल्प भी उपलब्ध है इसमें एक अलग प्रकार का उपकरण उपयोग किया जाता है जिसे “अलाइनर” या “इनविजिबल ब्रेसेस” कहा जाता है। ये आपके द्वारा हटाए जा सकते हैं क्योंकि इन्हें साधारण ब्रेसेस की तरह तार से फिक्स नहीं किया जाता है और ये पारदर्शी भी होते हैं इसलिए वयस्क लोगों में अधिक स्वीकार्य होते हैं।

क्लियर अलाइनर दांतों को सही करने में अधिक वक्त लगा सकते हैं किंतु फिर भी नियमित उपयोग करने पर अधिक प्रभावशाली होते हैं। हालाँकि, कई लोगों को दांतों की परेशानी ठीक करने के फिक्स ब्रेसेस की ही जरूरत होती है।

आधुनिक तकनीक और नए मटीरियल से बनाने के कारण ब्रेसेस लगाने का अनुभव अब पहले से अधिक सहज हो गया है।

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टीथ ब्रेसेस के निम्नलिखित प्रकार होते हैं -

मेटल ब्रेसेस या पारंपरिक ब्रेसेस
ये मेटल के वो ब्रैकेट और तार है जिसकी फोटो आपके दिमाग में आती है जब भी आप ब्रेसेस के बारे में सुनते हैं। हालाँकि, आधुनिक ब्रैकेट्स आकार में छोटे और कम ध्यान आकर्षित करने वाले होते हैं। साथ ही गर्मी से सक्रिय होने वाले नए प्रकार के तार आपके शरीर की गर्मी का उपयोग करके दांतों को जल्दी सही कर देते हैं और इसमें पहले की अपेक्षा कम दर्द होता है।

  • खूबी - सबसे सस्ते होते हैं। ये अलग-अलग रंग में भी आते हैं जो बच्चों को स्वयं को अभिव्यक्त करने का मौका देते हैं।
  • खामी - ये सबसे अधिक ध्यान आकर्षित करने वाले ब्रेसेस होते हैं।

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सिरेमिक ब्रेसेस
सिरेमिक ब्रेसेस आकार और आकृति में मेटल ब्रेसेस जैसे ही होते हैं। लेकिन इनका रंग दांतों के रंग से मिलता है या पारदर्शी होते हैं। कुछ लोग तो दांतों के रंग का ही तार भी उपयोग करते हैं। जिससे ये बहुत कम दिखते हैं।

  • खूबी - मेटल ब्रेसेस के मुकाबले कम ध्यान आकर्षित करते हैं और प्लास्टिक अलाइनर की तुलना में दांत जल्दी ठीक होते हैं।
  • खामी - मेटल ब्रेसेस की तुलना में अधिक खर्च लगता है। अगर ब्रेसेस लगाने वाला उनकी सही से सफाई न रखें तो ब्रैकेट्स के आस-पास आसानी से दाग बन सकते हैं।

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लिंगुअल ब्रेसेस
ये पारंपरिक मेटल ब्रेसेस की तरह ही होते है, अंतर केवल इतना है कि इसमें ब्रैकेट और तार दांतों के अंदर की और लगाए जाते हैं।

  • खूबी - बाहर से नहीं दिखते।
  • खामी - साफ़ करना मुश्किल होता है। अधिक महंगे होते हैं। गंभीर मामलों के लिए सही नहीं होते और शुरुआत में कई अधिक असुविधाजनक हो सकते हैं।

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इनविसलाइन
इनविसलाइन 18 से 30 विशेष रूप से निर्मित क्लियर प्लास्टीक अलाइनर्स की तरह के माउथ गार्ड की श्रंखला होती होती है। इनको निकाला जा सकता हैं और हर दो हफ्ते में बदला जाता है।

  • खूबी - लगभग पूरी तरह पारदर्शी होते हैं। इनको लगाने वाला कुछ भी खा और पी सकता है।
  • खामी - गंभीर दांतों की परेशानी के लिए सही नहीं है। बच्चों के लिए उपलब्ध नहीं है। अधिक महंगा विकल्प है। इलाज में अधिक समय लगता है। इसके खोने की भी संभावन रहती है और बदलना भी काफी महँगा होता है।

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जब आपको दांतों में तार लगाए जाते हैं तो “चीक रिट्रेक्टर” (गालों को पकड़ कर दांतों से दूर रखने वाला उपकरण) का उपयोग किया जाता है ताकि आपके दांत सही से दिखे और प्रक्रिया के दौरान सूखे रहे। दांतों को सबसे पहले पॉलिश किया जाता है ताकि ब्रैकेट सही से जुड़ सकें, उसके बाद उन्हें हवा से सुखाया जाता है।

दांतों की सामने वाली सतह पर 30 सेकंड तक कंडीशनर (एक प्रकार का एसिड सॅाल्यूशन होता) का उपयोग किया जाता है ताकि उन्हें ब्रैकेट जोड़ने के लिए तैयार किया जा सके। इसे साफ़ करके दांतों को फिर से सुखा दिया जाता है और जोड़ को मजबूत करने के लिए दांतों पर चिपकाने वाला प्राइमर लगाया जाता है।

ब्रैकेट के पीछे सीमेंट (साधारण सीमेंट से अलग एक विशेष प्रकार का सीमेंट होता है जो दांतों के विभिन्न तरह के इलाज में उपयोग किया जाता है) लगाकर उन्हें दांतों के ऊपर पूर्व निर्धारित जगह पर लगा दिया जाता है। जब ब्रैकेट अपनी जगह पर फिट हो जाते हैं तो फालतू सीमेंट को हटा दिया जाता है और फिर एक उच्च तीव्रता वाली लाइट से ब्रैकेट की मजबूती से चिपकाया जाता है। गालों से रिट्रेक्टर हटा दिए जाते हैं।

ब्रैकेट के लगाने और उसमें तार लगाने की पूरी प्रक्रिया में 10 से 20 मिनट का समय लगता है। आपको दर्द महसूस हो सकता है जो लगभग चार से छः घंटे तक रह सकता है। डेंटिस्ट द्वारा आपको इसके लिए ओवर द काउंटर दवाई लेने की सलाह दी जाती है।

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दांतों में तार लगाने के निम्नलिखित लाभ हो सकते हैं -

  • ब्रेसेस लगाने का सबसे बड़ा लाभ है कि ये आपके दांतों को सीधा करते हैं। टेढ़े दांत स्वास्थ्य परेशानी तो होते ही हैं, साथ ही सम्मान के लिए भी परेशानी बन जाते हैं। दांतों को सीधा करवा कर व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक रूप से अच्छा महसूस होता है।
  • ब्रेसेस मसूड़ों की बीमारी से भी बचाते हैं क्योंकि ये दांतों के बीच कि खाली जगह को भर देते हैं। जिससे यहाँ पर खाने के कण नहीं ठहरते और मसूड़ों में परेशानी पैदा नहीं कर पाते हैं।
  • ब्रेसेस भविष्य में टेढ़े मेढ़े दांतों के कारण होने वाली जबड़ों की कमजोरी और मांसपेशियों के दर्द से भी बचाते हैं।

दांतों में तार लगाना आमतौर पर एक सुरक्षित प्रक्रिया है लेकिन कुछ जोखिम हो सकते है जो निम्नलिखित हैं -

  • ब्रेसेस से दांतों के ऊपर छोटी जगह बन जाती है जहाँ भोजन के टुकड़े ठहर जाते है और अगर उन्हें सही से साफ नहीं किया जाता है तो आपके दांतों की ऊपरी सतह के मिनरल कम हो जाते हैं इससे दांतों पर हमेशा के लिए सफ़ेद रंग के दाग बन सकते हैं। आपको दांतों में सड़न या मसूड़ों की बीमारी भी हो सकती है।
  • दांत जब अपनी जगह से हटते है तो उस दौरान दांतों के रास्ते की कुछ हड्डियाँ घुल जाती हैं और इसके पीछे नई हड्डियाँ बन जाती हैं। इस प्रक्रिया में दांतों की जड़ों की लंबाई कम हो सकती हैं जिससे दांत कमजोर हो सकते हैं। हालाँकि, अधिकांश मामलों में इससे कोई परेशानी नहीं होती है।
  • अगर आप अपने ऑर्थोडॉन्टिस्ट के निर्देशों को ठीक से नहीं मानते हैं तो आपके ब्रेसेस निकलने के बाद, विशेष रूप से जब आप रिटेनर पहनते है तब आपके जो दांत सही हुए तो वो वापस पहले जैसे हो सकते हैं। इसलिए अपने ऑर्थोडॉन्टिस्ट के निर्देशों को ध्यान से सुने।
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मुख्य रूप से तीन प्रकार के ब्रेसेस भारत में उपलब्ध हैं  -

  • मेटल ब्रेसेस - इनकी कीमत लगभग 18,000 से 50,000 तक हो सकती है।
  • सिरेमिक ब्रेसेस - इनकी कीमत लगभग 30,000 से 80,000 तक हो सकती है।
  • अलाइनर या इनविसलाइन - इनकी कीमत लगभग 60,000 से शुरू होती है और 4 लाख तक जा सकती है।

यहाँ जो कीमत दी गयी है वह केवल सांकेतिक कीमत है और वास्तिविक कीमत थोड़ी ऊपर नीचे हो सकती है। टीथ ब्रेसेस की कीमत आपके शहर, डेंटिस्ट या क्लिनिक की ब्रांड वेल्यू और किस कंपनी के ब्रेसेस हैं। इन सभी बातों पर निर्भर करती है।

नोट - ये लेख केवल जानकारी के लिए है। myUpchar किसी भी सूरत में किसी भी तरह की चिकित्सा की सलाह नहीं दे रहा है। आपके लिए कौन सी चिकित्सा सही है, इसके बारे में अपने डॉक्टर से बात करके ही निर्णय लें।

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