साइक्लोस्पोरिन टेस्ट क्या है?

साइक्लोस्पोरिन टेस्ट रक्त में साइक्लोस्पोरिन ड्रग के स्तर की जांच करने के लिए किया जाता है। साइक्लोस्पोरिन एक इम्यूनोसप्रेसेंट (प्रतिरक्षा प्रणाली को दबाने वाला) है, जो कि ऑर्गन ट्रांसप्लांट करवाने वाले मरीजों को दिया जाता है। यह प्रत्यारोपित अंग रिजेक्ट (प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा अंग स्वीकार ना करना) होने से रोकता है। यह प्रतिरक्षी विकारों जैसे अप्लास्टिक एनीमिया, क्रोन  डिजीज, रूमेटाइड आर्थराइटिस और सोरायसिस के इलाज के लिए भी प्रयोग में लाया जा सकता है।

जब कोई व्यक्ति अंग प्रत्यारोपण करवाता है, तो शरीर उस अंग को बाहरी पदार्थ समझ कर उस पर हमला करने लगते है जैसा शरीर में किसी वायरस या बैक्टीरिया के आने पर होता है। साइक्लोस्पोरिन सफेद रक्त कोशिकाओं पर कार्य करता है और उनके कार्यों को थोड़ा बदल देता है ताकि शरीर नए अंग को रिजेक्ट न करें। ट्रांसप्लांट के मरीज को आमतौर पर सर्जरी के बाद इस दवा की अधिक खुराक दी जाती है, हालांकि समय के साथ इस दवा की खुराक को कम कर दिया जाता है। इसके विपरीत स्व-प्रतिरक्षित स्थितियों में साइक्लोस्पोरिन थेरेपी कम खुराक से शुरू की जाती है और लक्षणों में सुधार लाने के लिए खुराक को बढ़ा दिया जाता है।

साइक्लोस्पोरिन कैप्सूल और सिरप दोनों में मौजूद हैं। सिरप को पानी, सेब के रस या संतरे के रस साथ लिया जा सकता है। इस दवा को चालोतरे के रस के साथ न लें, क्योंकि चालोतरे के जूस से साइक्लोस्पोरिन के स्तर बढ़ जाते हैं, और शरीर में विषाक्तता हो जाती है।

(और पढ़ें - ब्लड टेस्ट क्या है)

  1. साइक्लोस्पोरिन टेस्ट क्यों किया जाता है
  2. साइक्लोस्पोरिन टेस्ट से पहले - Cyclosporine Test Se Pahle
  3. साइक्लोस्पोरिन टेस्ट के दौरान - Cyclosporine Test Ke Dauran
  4. साइक्लोस्पोरिन टेस्ट के परिणाम का क्या मतलब है - Cyclosporine Test Ke Parinam Ka Kya Matlab Hai

साइक्लोस्पोरिन टेस्ट किसलिए किया जाता है?

शरीर में इस दवा का सही जमाव बनाए रखने के लिए और विषाक्तता से बचने के लिए साइक्लोस्पोरिन के स्तर पर नजर रखना जरूरी होता है। इसे थेराप्यूटिक ड्रग मॉनिटरिंग कहा जाता है। साइक्लोस्पोरिन के स्तर की जांच करने से डॉक्टर को खुराक निश्चित करने में मदद मिलती है। यदि स्तर में काफी कमी आई है, तो ऐसा ट्रांसप्लांट के मरीजों में रिजेक्शन के कारण हो सकता है कि स्व-प्रतिरक्षित रोग के मरीजों में लक्षणों में कोई सुधार नहीं हुआ है। ऐसे मामलों में डॉक्टर साइक्लोस्पोरिन की खुराक बढ़ा देते हैं। यदि इसका स्तर अधिक है, तो खुराक को कम किया जा सकता है क्योंकि अत्यधिक स्तर से साइक्लोस्पोरिन के विषाक्त प्रभाव हो सकते हैं।

यदि आपको निम्न में से कोई भी लक्षण दिखाई देते हैं तो जल्द से जल्द डॉक्टर से मिलें:

 कुछ साइड इफेक्ट जो रक्त में साइक्लोस्पोरिन के अधिक स्तर से जुड़े हुए नहीं है, वे निम्न हैं:

साइक्लोस्पोरिन टेस्ट की तयारी कैसे करें?

इस टेस्ट के लिए आपको भूखे रहने की जरूरत नहीं है। साइक्लोस्पोरिन के अलावा यदि आप कोई भी दवा ले रहे हैं, तो इसके बारे में डॉक्टर को बता दें। इसमें सप्लीमेंट, हर्बल दवाएं और ओटीसी आदि भी शामिल हैं।

जब आप साइक्लोस्पोरिन ले रहे हैं, तो कोई और दवा शुरू करने से पहले डॉक्टर से पूछ लें। बहुत सी दवाएं साइक्लोस्पोरिन और अन्य ट्रांसप्लांट दवाओं के साथ ठीक से काम नहीं कर पाती। बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी दर्द निवारक गोली या दवाएं ना लें।

यह टेस्ट सुबह की खुराक लेने से पहले किया जाता है। टेस्ट से पहली रात को दवा लेना न भूलें, क्योंकि ये रक्त में दवा के सबसे कम स्तर को मापता है। यदि आप रात की दवा लेना भूल गए हैं, तो इसके बारे में डॉक्टर को बता दें क्योंकि इससे टेस्ट के परिणाम प्रभावित हो सकते हैं।

साइक्लोस्पोरिन टेस्ट कैसे किया जाता है?

साइक्लोस्पोरिन टेस्ट एक रूटीन ब्लड टेस्ट है, जिसमें बांह की नस में सुई लगाकर 5-10 mL खून ले लिया जाता है। इसमें दो से तीन मिनट का समय लगता है। डॉक्टर सैंपल लेने से पहले आपको टेस्ट की प्रक्रिया समझा देंगे। 

इंजेक्शन लगी जगह पर छोटा सा नील पड़ सकता है, हालांकि ये जल्दी ही ठीक हो जाएगा। यदि नील थोड़े समय में ठीक नहीं होता तो इसके बारे में डॉक्टर को बताएं।

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साइक्लोस्पोरिन टेस्ट के परिणाम क्या बताते हैं?

सामान्य परिणाम:
सामान्य परिणाम इस बात का संकेत है कि साइक्लोस्पोरिन के स्तर अनुकूलतम प्रभाव के लिए उचित रेंज में हैं। इसका मतलब यह है कि ऑपरेशन द्वारा प्रत्यारोपित किए गए अंग को प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा स्वीकार करने की अधिक संभावना है और स्व-प्रतिरक्षित स्थितियों संबंधी लक्षण होने की संभावना भी अधिक है। लैब से आपको सामान्य वैल्यू दिए जाएंगे और यदि दवा में कोई भी बदलाव करने की आवश्यकता होगी तो आपके डॉक्टर इस बारे में आपको बता देंगे।

असामान्य परिणाम:
असामान्य परिणाम या तो इस बात का संकेत करते हैं कि साइक्लोस्पोरिन के स्तर बहुत कम हैं और इसका प्रभाव भी कम है या फिर स्तर बहुत अधिक होने का संकेत दे सकते हैं, जिसके कारण आपको विषाक्तता के लक्षण महसूस हो सकते हैं। यदि स्तर कम है तो ट्रांसप्लांट के बाद ऑर्गन रिजेक्ट हो सकता है या ऑटोइम्यून रोग के लक्षण ठीक नहीं होते। 

साइक्लोस्पोरिन की सामान्य वैल्यू नैनोग्राम प्रति मिलीलीटर (ng/mL) या ननोमॉल्स प्रति लीटर (nm/L) के रूप में प्रदर्शित की जाती है, जो निम्न हैं:

  • अनुकूलतम प्रभाव के लिए साइक्लोस्पोरिन का जमाव 125 ng/mL से 104 nmol/L कम नहीं होना चाहिए 
  •  साइक्लोस्पोरिन का जमाव 200 ng/mL या 166 nmol/L से अधिक होने से शरीर में इसके टॉक्सिक प्रभाव देखे जा सकते हैं। 

इसकी थेराप्यूटिक रेंज जिसमें अनुकूल प्रभाव देखे जा सकते हैं वो ऊपर दी गई वैल्यू के बीच में आते हैं। 

सामान्य वैल्यू हर लैब की अलग-अलग आ सकती है इसलिए परिणामों की तुलना नहीं की जानी चाहिए और यदि टेस्ट दोबारा करवाना है तो उसी लैब से करवाएं। साथ ही यह भी समझना जरूरी है कि हर व्यक्ति का शरीर साइक्लोस्पोरिन के प्रति अलग-अलग तरह से प्रतिक्रिया करता है। डॉक्टर आपको आपकी रिपोर्ट्स देखकर परिणामों का सही मतलब समझा देंगे।

संदर्भ

  1. MedlinePlus Medical Encyclopedia: US National Library of Medicine; Cyclosporine
  2. American Society of Transplantation [internet]. New Jersey (US). Medicines to keep your new organ healthy
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  5. National Institute of Health. US National Library of Medicine [internet]: Bethesda (MA), US. US Department of Health and Human Services Drug label information
  6. Camil-Eugen Vari. Therapeutic drug monitoring of cyclosporine in transplanted patients. Possibilities, controversy, causes for failure. Farmacia 60(5):595-601. September 2012 
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