क्या आप खाना धीरे खाते हैं या जल्दी-जल्दी? अगर धीरे-धीरे खाते हैं तो ये बहुत अच्छी बात है, और अगर नहीं तो शोधकर्ताओं ने इस पर एक रिसर्च की है, जो आपके लिए जाननी बेहद ज़रूरी है।

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तो आइये आपको रिसर्च के बारे में बताते हैं –

रिसर्च का कहना है कि “जो लोग खाना जल्दी-जल्दी खाते हैं, उनका वजन तेज़ी से बढ़ने लगता है। तो वजन कम करने के लिए खाने को अच्छे से चबाकर खाएं, धीरे-धीरे खाएं और अगला कौर (बाइट) लेने से पहले थोड़ा रुक जाएँ। एक के बाद एक कौर बिना चबाये तेजी से न खाते चले खाएं”।

ये तो आप सभी जानते हैं वजन को कम करना कोई आसान बात नहीं है। इसमें मेहनत, अनुशासन, निष्ठा, इच्छा-शक्ति और आत्म-संयम की ज़रूरत पड़ती है क्योंकि वजन कम करना एक धीमी और नियमित प्रक्रिया है। ज़्यादातर लोग किसी भी हद तक अपने लक्ष्य को पाने के लिए कुछ भी कर सकते हैं, जैसे कई तरह की डाइट को अपनाते हैं जो उनकी पौष्टिक आवश्यकताओं को तो पूरा करे ही और साथ ही वजन घटाने में भी प्रभावी साबित हो। लेकिन ज़्यादातर लोग वजन कम करने की यात्रा को बीच में ही छोड़ देते हैं क्योंकि उनका धैर्य टूट चुका होता है।

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वजन बढ़ने का कारण जानने के लिए एक जापान में रिसर्च की गयी जिसमे 60,000 लोगों को शामिल किया गया। इसमें देखा गया कि खाना धीरे-धीरे खाने से कितने लोगों का वजन घटा या जल्दी-जल्दी खाने से कितनों का वजन बढ़ा। 'जापान क्यूशू यूनिवर्सिटी' की रिसर्च के अनुसार "खाना खाने की तेज़ी में बदलाव करने से मोटापे, बॉडी मास इंडेक्स और कमर की चौडाई पर भी बदलाव देखने को मिल सकता है। साथ ही खाने की तेज़ी कम करने से बढ़ते मोटापे को रोका जा सकता है और स्वास्थ सम्बन्धी जोखिम को भी कम किया जा सकता है।

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मोटापा मापने के लिए बीएमआई यानि बॉडी मास इंडेक्स का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें देखा जाता है कि आपकी लम्बाई के अनुसार क्या आपका वजन सही है या नहीं। 'वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन' के तहत जिनका बीएमआई 25 या 30 से अधिक होता है, वो अधिक मोटापे से ग्रस्त माने जाते हैं।

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इस शोध के लिए 25 से ऊपर के बीएमआई को अत्यधिक मोटापे से ग्रस्त होना (obsese) माना गया। ये 'जापानी सोसाइटी फॉर स्टडी ऑफ़ ओबेसिटी' के द्वारा दिए गए मापदंड के अनुसार था। शोधकर्ताओं ने 59,717 टाइप2 डाइबिटीज से पीडित लोगो का चिकित्सीय इतिहास भी पढ़ा। आपको याद दिला दें कि ये बिमारी आमतौर पर वयस्कों में देखी जाती है, और वजन अधिक बढ़ने की वजह से होती है। 

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इन प्रतिभागियों का 2008 से 2013 तक नियमित चेकउप होता था, जिसकी सारी जानकारी उनके मेडिकल रिकॉर्ड (चिकित्सीय इतिहास) में दर्ज की जाती थी। इस चिकित्सीय इतिहास में उनकी उम्र और लिंग, बीएमआई, कमर की चौड़ाई, ब्लड प्रेशर, खाने की आदत, शराब का सेवन और तम्बाकू का इस्तेमाल करने, जैसी जानकारियां शामिल थी।

सबसे पहले, 4,192 लोगो का समूह जो धीरे-धीरे खाता था, उनके वजन से जुड़े आंकड़े देखे गए। शोधकर्ताओं ने पाया कि इन लोगों की कमर की चौड़ाई कम थी, बीएमआई औसतन 22.3 था और कम लोग मोटापे से ग्रस्त थे (सिर्फ 21.5 प्रतिशत)।

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तुलनात्मक रूप में, फिर उस समूह पर अध्ययन किया गया जो तेजी से खाना खाते थे। इस समूह में 22,070 लोग थे। इस समूह में देखा गया कि 44% से ज़्यादा लोग मोटापे से ग्रस्त थे और उनका बीएमआई औसतन 25 था।

साथ ही शोधकर्ताओं ने छः वर्षों में खाना खाने में बदलाव भी देखे और इस समूह के आधे से ज़्यादा लोगो ने अपने अंदर बदलाव का उल्लेख भी किया। उन्होंने पाया कि "खाने की तेज़ी कम करने से मोटापे और बीएमआई में फर्क नज़र आने लगता है"। शोध के अनुसार, अन्य कारक जो वजन कम करने में मदद करते हैं, वो हैं - रात के खाने के बाद स्नैक न खाना और सोने से दो घंटे पहले भी खाना न खाना।

साथ ही ये भी पाया गया कि सुबह नाश्ता छोड़ने से वजन में कोई बदलाव नहीं आया।

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अनुसंधान पर टिप्पणी करते हुए, 'इम्पीरियल कॉलेज लंदन' के सिमोन कॉर्क का कहना है कि "हमारे बड़े-बुज़ुर्ग हमेशा हमें खाना धीरे धीरे खाने को कहते हैं। यह शोध उनकी इस बात की पुष्टि करता है। वाकई आराम-आराम से खाना खाने के बहुत लाभ हैं"। यह इस तथ्य के कारण हो सकता है कि हमारी तृप्ति (satiety) के संकेत पेट से मस्तिष्क तक जाने में थोड़ा समय लगाते है और जो लोग तेज़ी से खाते हैं, उनके मस्तिष्क को ये संकेत मिलने से पहले ही वो बहुत खा चुके होते हैं। 

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