न्यूमोकॉकल रोग - Pneumococcal Disease in Hindi

Dr. Ajay Mohan (AIIMS)MBBS

March 07, 2018

December 19, 2023

न्यूमोकॉकल रोग
न्यूमोकॉकल रोग

परिचय: 

न्यूमोकॉकल एक ऐसा रोग है, जो शरीर के कई भागों के प्रभावित करता है। न्यूमोकॉकल रोग एक संक्रमण से होता है, जो स्ट्रैपटोकॉकस निमोनिया (S. pneumoniae) नाम के बैक्टीरिया से होता है। इस बैक्टीरिया को न्यूमोकॉकस (Pneumococcus) के नाम से भी जाना जाता है। न्यूमोकॉकल से कई प्रकार की बीमारियां हो जाती हैं, इसके अलावा इससे गंभीर संक्रमण भी हो सकता है। न्यूमोकॉकल रोग वैसे तो किसी को भी हो जाता है, लेकिन उम्र और कुछ निश्चित प्रकार की मेडिकल स्थितियां, इसके खतरे को बढ़ा देती है। वैसे तो यह रोग किसी भी समय और किसी भी मौसम में हो सकता है, लेकिन आमतौर पर सर्दियों और वसंत ऋतू में इसके होने का खतरा बढ़ जाता हैं। 

इस स्थिति का परीक्षण करने के लिए डॉक्टर आपके लक्षणों की जांच करते हैं। जांच के दौरान कुछ माइक्रोस्कोपिक परीक्षण भी किए जा सकते हैं। माइक्रोस्कोप के द्वारा मरीज के खून, बलगम व अन्य सैंपल लेकर उनमें बैक्टीरिया की जांच की जाती है।

न्यूमोकॉकल से बचाव रखने के लिए बैक्टीरिया के खिलाफ रक्षा प्रदान करने वाला टीका लगाना और सामान्य स्वच्छता अपनाना बहुत जरूरी होता है। न्यूमोकॉकल के इलाज में एंटीबायोटिक व अन्य नसों में दी जाने वाली दवाएं दी जाती है और मरीज को रेस्ट करने को कहा जाता है। यदि न्यूमोकॉकल रोग से मेनिनजाइटिस, सेप्टिसीमिया या निमोनिया जैसी कोई समस्या हो गई है, तो मरीज को अस्पताल में भर्ती भी किया जा सकता है।

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न्यूमोकॉकल रोग क्या है - What is Pneumococcal disease in Hindi

न्यूमोकॉकल रोग एक सामान्य प्रकार के बैक्टीरिया के कारण होता है, जिसे न्यूमोकॉकस के नाम से जाना जाता है। यह बैक्टीरिया शरीर के कई भागों को प्रभावित कर सकता है। इसके अलावा न्यूमोकॉकस बैक्टीरिया के कारण निमोनिया, मेनिनजाइटिस, मध्य कान संक्रमण, साइनस संक्रमण और खून में संक्रमण (सेप्सिस) जैसे रोग हो सकते हैं।

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न्यूमोकॉकल रोग के प्रकार - Types of Pneumococcal disease in Hindi

न्यूमोकॉकल के कितने प्रकार हैं?

न्यूमोकॉकल रोग के मुख्य दो प्रकार होते हैं:

  • इनवेसिव (Invasive):
    इसमें शरीर के किसी प्रमुख अंग के अंदर या खून में संक्रमण होता है। इसे एक गंभीर संक्रमण माना जाता है। 
  • नोन इनवेसिस (Non-invasive):
    यह प्रकार शरीर में मुख्य अंगों व खून आदि की बजाए शरीर के दूसरे भागों में होता है। इसको इनवेसिव से कम खतरनाक माना जाता है। 

इनवेसिव न्यूमोकॉकल रोग -

इनवेसिव न्यूमोकॉकल में कई रोग शामिल हैं, जैसे:

  • सेप्टिक अार्थराइटिस: जोड़ों में संक्रमण होना
  • मेनिनजाइटिस: इसे दिमागी बुखार भी कहा जाता है, इस स्थिति में मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी को ढकने वाली झिल्ली में इन्फेक्शन हो जाता है। (और पढ़ें - बच्चे के बुखार का इलाज)
  • ओस्टियोमाइलाइटिस: हड्डियों के संक्रमण का एक प्रकार (और पढ़ें - हड्डियों में संक्रमण का इलाज)
  • बैक्टीरिमीया: खून में बैक्टीरिया की उपस्थिति
  • सेप्टिसीमिया: एक गंभीर प्रकार का खून का संक्रमण

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नोन इनवेसिव न्यूमोकॉकल रोग -

नोन इनवेसिव न्यूमोकॉकल रोग में शामिल हैं:

  • ब्रोंकाइटिस: इस स्थिति में फेफड़ों में वायु पहुंचाने वाली नलियों में संक्रमण हो जाता है। इन नलियों को ब्रोंकाई (Bronchi) कहा जाता है। (और पढ़ें - ब्रोंकाइटिस का इलाज)
  • ओटाइटिस मीडिया: यह कान के संक्रमण का एक प्रकार होता है। (और पढ़ें - ओटाइटिस मीडिया का कारण)
  • साइनसाइटिस: साइनस के संक्रमण को साइनसाइटिस कहा जाता है। (और पढ़ें - साइनसाइटिस का इलाज)

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न्यूमोकॉकल रोग के लक्षण - Pneumococcal disease Symptoms in Hindi

न्यूमोकॉकल रोग के क्या लक्षण हैं?

शरीर के जिस भाग में संक्रमण होता है, उसी के अनुसार इसके लक्षण होते हैं।

न्यूमोकॉकस बैक्टीरिया के कारण कुछ ऐसे संक्रमण भी हो सकते हैं, जो कम गंभीर होते हैं जैसे:

  • मध्य कान संक्रमण
  • साइनसाइटिस
  • ब्रोंकाइटिस

न्यूमोकॉकस बैक्टीरिया के कारण होने वाले कुछ अधिक गंभीर संक्रमण जैसे:

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इस स्थिति में व्यक्ति पूरी तरह से अस्वस्थ हो जाता है, वह या तो पूरी तरह से सुस्त लगता है या फिर तनाव ग्रस्त दिखाई देता है। बड़े बच्चों और वयस्क व्यक्तियों को न्यूमोकॉकस होने पर उनके सिर में दर्द और अधिक रोशनी से आंखों में दर्द होने लग जाता है। (और पढ़ें - तनाव को दूर करने के उपाय)

डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?

यदि आपके बच्चे में अचानक से निम्न में से कोई भी लक्षण महसूस होने लगा है, तो जल्द से जल्द उसको डॉक्टर के पास ले जाएं:

(और पढ़ें - खांसी में क्या खाना चाहिए)

यदि किसी वयस्क को नीचे दिए गए लक्षण महसूस हो रहे हैं, तो उसे जल्द से जल्द डॉक्टर के पास चले जाना चाहिए:

  • सिरदर्द
  • तेज बुखार
  • रोशनी के प्रति अतिसंवेदनशीलता
  • गर्दन में अकड़न

(और पढ़ें - सायकोसिस का कारण)

न्यूमोकॉकल रोग के कारण व जोखिम कारक - Pneumococcal disease Causes & Risk Factors in Hindi

न्यूमोकॉकल क्यों होता है?

न्यूमोकॉकल इन्फेक्शन, स्ट्रेप्टोकॉकस निमोनिया नामक बैक्टीरिया के कारण होता है, इसे न्यूमोकॉकस के नाम से भी जाना जाता है। यह बैक्टीरिया स्वस्थ व्यक्तियों के श्वसन तंत्र में पाया जाता है। 

यदि कोई स्वस्थ व्यक्ति संक्रमित व्यक्ति के थूक या बलगम आदि से सीधे संपर्क में आता है, तो वह न्यूमोकॉकल बैक्टीरिया से संक्रमित हो सकता है। संक्रमित व्यक्ति के करीब रहने से भी न्यूमोकॉकस रोग हो जाता है। संक्रमित व्यक्ति के मुंह या नाक से निकलने वाली द्रव की सूक्ष्म बूंदों में बैक्टीरिया होता है और जब ये बूंदें किसी स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में जाती हैं, तो उसे भी संक्रमित बना देती हैं। ये बूंदे मुख्य रूप से खांसने, छींकने और किस आदि करने से दूसरे व्यक्ति में फैल सकती है। यदि कोई स्वस्थ बच्चा किसी संक्रमित बच्चे के खिलौने से खेलता है, तो उसको भी न्यूमोकॉकल हो सकता है। 

कई लोगों खासकर बच्चों की नाक या गले में पहले से ही न्यूमोकॉकल बैक्टीरिया होता है, लेकिन वे बीमार नहीं पड़ते।

न्यूमोकॉकल होने का खतरा कब बढ़ता है?

निम्न स्थितियों से जुड़े लोगों में न्यूमोकॉकल होने का खतरा अधिक होता है:

(और पढ़ें - एचआईवी टेस्ट क्या है)

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न्यूमोकॉकल रोग से बचाव - Prevention of Pneumococcal disease in Hindi

न्यूमोकॉकल रोग से बचाव कैसे करें?

स्वच्छता संबंधी कुछ सामान्य तरीके अपना कर आप न्यूमोकॉकल इन्फेक्शन से बचाव कर सकते हैं।

इनमें शामिल हैं:

  • न्यूमोकॉकल रोग की रोकथाम करने में न्यूमोकॉकल वैक्सीन काफी प्रभावी रूप से काम करती है। शिशु व छोटे बच्चों में यह रोग होने के जोखिम अधिक होते हैं, क्योंकि उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली उस समय तक ठीक से विकसित नहीं हो पाती। इसलिए न्यूमोकॉकल टीके की मदद से उनमें संक्रमण की रोकथाम की जा सकती है। (और पढ़ें - बैक्टीरियल संक्रमण का इलाज)
  • न्यूमोकॉकल के टीके दो प्रकार के होते है, इनमें से एक बच्चों के लिए और दूसरा वयस्कों के लिए होता है। (और पढ़ें - टीकाकरण चार्ट)
  • अपने हाथों को नियमित रूप से और अच्छे से धोएं, खासकर नाक या मुंह को हाथ लगाने के बाद और भोजन को छूने से पहले।
  • खांसने व छींकने के दौरान टिश्यु पेपर का इस्तेमाल करें और उपयोग करके उसे दूर फेंक दें। खांसने या छींकने के तुरंत बाद भी अपने हाथ अच्छे से धो लेने चाहिए।
  • धूम्रपान ना करें और धूम्रपान करने वाले लोगों से भी दूर रहें।
  • अपने बर्तनों को किसी दूसरे व्यक्ति के साथ शेयर ना करें।

(और पढ़ें - धूम्रपान छोड़ने के घरेलू उपाय)

न्यूमोकॉकल रोग का परीक्षण - Diagnosis of Pneumococcal disease in Hindi

न्यूमोकॉकल का परीक्षण कैसे किया जाता है?

स्थिति का परीक्षण करने के लिए डॉक्टर आपसे आपकी पिछली मेडिकल स्थिति के बारे में पूछेंगे और आपका शारीरिक परीक्षण करेंगे। 

यदि डॉक्टर को न्यूमोकॉकल रोग का संदेह हो रहा है, तो वे स्टेथोस्कोप की मदद से आपके सीने की आवाज सुनते हैं। इनवेसिव न्यूमोकॉकस इन्फेक्शन से छाती में द्रव बनने लगता है, जिससे छाती से असाधारण सी आवाजें आने लग जाती हैं। 

हालांकि अन्य कई प्रकार के बैक्टीरिया न्यूमोकॉकल रोग जैसे लक्षण पैदा कर देते हैं, इसलिए स्ट्रेप्टोकॉकस की उपस्थिति की जांच करने के लिए विशेष टेस्ट करना जरूरी होता है।

न्यूमोकॉकस रोग के लक्षणों के अनुसार इसका परीक्षण करने के लिए कई टेस्ट करने की आवश्यकता पड़ सकती है, जिनमें निम्न शामिल हैं:

  • बलगम की जांच (और पढ़ें - ​​​बलगम की जांच क्या है)
  • पीसीआर (Polymerase chain reaction)
  • खून टेस्ट: कम्पलीट ब्लड काउंट और ब्लड कल्चर (और पढ़ें - ब्लड टेस्ट क्या है)
  • छाती का एक्स रे: इस टेस्ट की मदद से छाती में जमे द्रव का पता लगाया जाता है। यदि छाती में द्रव जमा हुआ है तो वह छाती में संक्रमण का संकेत देता है। (और पढ़ें - एक्स-रे क्या है)
  • एमआरआई या सीटी स्कैन: निमोनिया या मेनिनजाइटिस आदि की स्थिति में एमआरआई या सीटी स्कैन जैसे टेस्ट किए जा सकते हैं। 
  • यूरीनरी एंटीजन टेस्ट: यह अन्य प्रकार के टेस्ट के मुकाबले नया है, जो न्यूमोकॉकल से होने वाले इन्फेक्शन का पता लगाने में मदद करता है। (और पढ़ें - यूरिन टेस्ट क्या है)
  • सेरेब्रोस्पाइनल द्रव टेस्ट: इस टेस्ट प्रक्रिया में मस्तिष्क के चारों तरफ पाए जाने वाले द्रव का सेंपल लिया जाता है। इस द्रव को सेरेब्रोस्पाइनल द्रव कहा जाता है। इस टेस्ट के दौरान इस द्रव में बैक्टीरिया की उपस्थिति की जांच की जाती है।

(और पढ़ें - लैब टेस्ट क्या है)

न्यूमोकॉकल रोग का इलाज - Pneumococcal disease Treatment in Hindi

न्यूमोकॉकल का इलाज कैसे करें?

इस रोग का इलाज करने के लिए एंटीबायोटिक दवाएं ली जाती हैं। 

डॉक्टर आपको एंटीबायोटिक दवाओं का कोर्स पूरा करने को कहेंगे और इलाज के दौरान पर्याप्त तरल पदार्थ पीने और आराम करने का सुझाव भी देंगे।

(और पढ़ें - एंटीबायोटिक के प्रकार)

यदि आपको कुछ दिन दवाएं खाने के बाद ही आराम महसूस होने लगता है, तो कोर्स को बीच में नहीं छोड़ना चाहिए। क्योंकि दवाओं का कोर्स पूरा ना करने पर शरीर से बैक्टीरिया पूरी तरह से खत्म नहीं हो पाते और वे फिर से इन्फेक्शन कर देते हैं। 

यदि आपके लक्षण गंभीर हैं, तो आपको अस्पताल में भर्ती होना पड़ सकता है। ऐसी स्थिति में आपको नसों के द्वारा एंटीबायोटिक दवाएं दी जाती हैं। इसके अलावा आपके शरीर में पानी की कमी को पूरा करने के लिए आपको अन्य तरल पदार्थ भी दिए जाते और यदि आपको सांस लेने में दिक्कत हो रही है तो आपको ऑक्सीजन भी दी जाती है। 

(और पढ़ें - दवा की जानकारी)

यदि आपको इलाज से आराम मिल रहा है, तो कुछ दिन बाद डॉक्टर नसों में दी जाने वाली एंटीबायोटिक दवाओं की बजाए टेबलेट के रूप में ये दवाएं दे सकते हैं। अस्पताल से छुट्टी मिलने में काफी समय लग सकता है, क्योंकि यह आपके लक्षणों  की गंभीरता पर निर्भर करता है। न्यूमोकॉकल इन्फेक्शन के कुछ गंभीर प्रकार जैसे मेनिनजाइटिस आदि को पूरी तरह से ठीक होने में काफी समय लगता है। 

कई प्रकार के न्यूमोकॉकल बैक्टीरिया कुछ प्रकार की एंटीबायोटिक दवाओं के प्रतिरोधी बन जाते हैं। जैसा कि न्यूमोकॉकल एक गंभीर बीमारी होती है, इसलिए डॉक्टर टेस्ट के रिजल्ट का इंतजार नहीं करते और तुरंत एंटीबायोटिक दवाओं से इलाज शुरू कर देते हैं।

(और पढ़ें - बैक्टीरिया क्या है)

जब तक इनवेसिव न्यूमोकॉकस के टेस्ट का रिजल्ट नहीं आ जाता डॉक्टर ब्रॉड-स्पेक्ट्रम एंटीबायोटिक दवाएं देते हैं। ब्रॉड-स्पेक्ट्रम दवाएं कई प्रकार के बैक्टीरिया के खिलाफ लड़ती हैं। जब टेस्ट के रिजल्ट आ जाते हैं और इन्फेक्शन के प्रकार का ठीक से पता चल जाता है, तो प्रकार के अनुसार सटीक एंटीबायोटिक दवाएं दे दी जाती हैं।

(और पढ़ें - वायरल इन्फेक्शन का इलाज)

न्यूमोकॉकल रोग की जटिलताएं - Pneumococcal disease Complications in Hindi

न्यूमोकॉकल रोग से क्या जटिलताएं होती है?

न्यूमोकॉकल इन्फेक्शन के ज्यादातर प्रकार सौम्य (जो गंभीर नहीं होते) ही होते हैं। हालांकि इसके कुछ प्रकार लंबे समय तक रहते हैं और जीवन के लिए हानिकारक स्थिति भी पैदा कर सकते हैं। 

  • मेनिनजाइटिस:
    यह इनवेसिव न्यूमोकॉकल रोग का सबसे गंभीर प्रकार होता है। यदि किसी वृद्ध व्यक्ति को न्यूमोकॉकल मेनिनजाइटिस है, तो उसकी मृत्यु होने का खतरा काफी बढ़ जाता है। इसके अलावा अन्य कई लोगों में लंबे समय तक रहने वाली कुछ समस्याएं विकसित हो सकती हैं, जैसे बहरापन या शारीरिक विकास में देरी होना।
     
  • बैक्टीरेमिया:
    यह भी न्यूमोकॉकल रोग का एक प्रकार है, जिसमें खून में बैक्टीरियल इन्फेक्शन हो जाता है। 
     
  • निमोनिया:
    इस स्थिति में फेफड़ों के संक्रमण का एक प्रकार हो जाता है। इससे सौम्य या गंभीर प्रकार का संक्रमण हो जाता है और यह किसी भी उम्र के लोगों को हो सकता है। (और पढ़ें - फेफड़ों में इन्फेक्शन का इलाज)
     
  • न्यूमोकॉकल एंडोकार्डाइटिस:
    इस स्थिति में हृदय का वाल्व तेजी से क्षतिग्रस्त होने लग जाता है। 
     
  • साइनसाइटिस और कान का संक्रमण:
    ये दोनों आमतौर पर न्यूमोकॉकल इन्फेक्शन के सौम्य प्रकार के रूप में ही दिखाई देते हैं। 

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संदर्भ

  1. Center for Disease Control and Prevention [internet], Atlanta (GA): US Department of Health and Human Services; Diagnosis and Treatment.
  2. Center for Disease Control and Prevention [internet], Atlanta (GA): US Department of Health and Human Services; Symptoms and Complications.
  3. Better health channel. Department of Health and Human Services [internet]. State government of Victoria; Pneumococcal disease.
  4. MedlinePlus Medical Encyclopedia: US National Library of Medicine; Pneumococcal Infections.
  5. SA Health [Internet]. Government of South Africa; Pneumococcal infection - including symptoms, treatment and prevention.

न्यूमोकॉकल रोग की ओटीसी दवा - OTC Medicines for Pneumococcal Disease in Hindi

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