म्यूकोपोलिसेकेरीडोसिस टाइप II (एमपीएस 2) - Mucopolysaccharidosis Type II(MPS2) in Hindi

Dr. Ayush PandeyMBBS,PG Diploma

November 10, 2018

March 06, 2020

म्यूकोपोलिसेकेरीडोसिस टाइप II
म्यूकोपोलिसेकेरीडोसिस टाइप II

म्यूकोपोलिसेकेरीडोसिस टाइप II क्या है?

म्यूकोपोलिसेकेरीडोसिस टाइप II (एमपीएस II) को "हंटर सिंड्रोम" (Hunter syndrome) के नाम से भी जाना जाता है। यह रोग शरीर के काफी हिस्सों को प्रभावित कर देता है और यह खासतौर पर पुरुषों में ही होता है। एमपीएस II लगातार बढ़ने वाला और मरीज को कमजोर कर देने वाला विकार होता है। हालांकि इसके बढ़ने की गति प्रभावित व्यक्ति के स्वास्थ्य पर निर्भर करती है।

(और पढ़ें - कमजोरी दूर करने के घरेलू उपाय)

एमपीएस II के क्या लक्षण हैं?

हंटर सिंड्रोम के 75 प्रतिशत मामलों में यह मस्तिष्क को प्रभावित करता है, ऐसे मामलों में 18 महीने से 4 साल की उम्र के बीच लक्षण शुरू होने लग जाते हैं। यदि रोग गंभीर नहीं है, तो इसके लक्षण विकसित होने में 2 साल का अतिरिक्त समय भी लग सकता है। 

हंटर सिंड्रोम से ग्रस्त लड़के के शरीर में निम्न बदलाव होते हैं:

  • चेहरे के गालों का आकार बढ़ना
  • नाक का आकार बढ़ना (और पढ़ें - नाक की हड्डी बढ़ने का कारण)
  • मोटे होंठ होना और जीभ का आकार बढ़ जाना
  • भौहें बढ़ जाना
  • सिर का आकार बढ़ना
  • शरीर का विकास धीरे-धीरे होना
  • त्वचा मोटी व कठोर हो जाना

(और पढ़ें - त्वचा की देखभाल कैसे करें)

हंटर सिंड्रोम में आमतौर पर ये लक्षण देखे जा सकते हैं:

(और पढ़ें - फैटी लिवर का इलाज)

हंटर सिंड्रोम क्यों होता है?

आइडीएस (IDS) जीन में किसी प्रकार का बदलाव होने का कारण म्यूकोपोलिसेकेरीडोसिस टाइप II  होता है। यह जीन आइटूएस (I2S) एंजाइम बनाने में मदद करता है, जो शुगर के बड़े अणुओं (glycosaminoglycans) को तोड़ने के काम आता है। 

आइडीएस जीन में बदलाव होने से आइटूएस एंजाइम के कार्य पूरी तरह से बंद हो जाते हैं या कम हो जाते हैं। आइटूएस एंजाइम की गतिविधियां कम होने पर कोशिकाओं में ग्लाइकोसअमिनोग्लाइकन्स जमा होने लग जाता है, खासकर लाइसोसोम में।

(और पढ़ें - शुगर का घरेलू उपाय)

म्यूकोपोलिसेकेरीडोसिस टाइप II का इलाज कैसे किया जाता है?

समय पर इलाज करने से एमपीएस से होने वाली कुछ दीर्घकालिक समस्याओं से बचाव किया जा सकता है। 

एमपीएस II का इलाज आमतौर पर एंजाइम रिप्लेसमेंट थेरेपी (ERT) के साथ किया जाता है। जिन लोगों में हंटर सिंड्रोम के लक्षण गंभीर नहीं होते इस थेरेपी की मदद से स्थिति में कुछ सुधार किया जा सकता है। इस थेरेपी से शरीर में उस प्रोटीन की पूर्ति की जाती है, जिसको शरीर बनाने में असमर्थ हो जाता है। ईआरटी की मदद से निम्न में सुधार किया जाता है:

जिन बच्चों का मस्तिष्क हंटर सिंड्रोम से प्रभावित नहीं हुआ है, उनके लिए ईआरटी सबसे पहला इलाज होता है। क्योंकि यह रोग मस्तिष्क के हंटर सिंड्रोम को कम नहीं करता। 

(और पढ़ें - मांसपेशियों में दर्द का इलाज)