स्किजोअफेक्टिव डिसऑर्डर - Schizoaffective disorder in Hindi

Dr. Ayush PandeyMBBS,PG Diploma

December 09, 2019

January 14, 2021

स्किजोअफेक्टिव डिसऑर्डर
स्किजोअफेक्टिव डिसऑर्डर

स्किजोअफेक्टिव डिसऑर्डर एक गंभीर मानसिक रोग है, जिसमें दो मानसिक विकार विकसित हो जाते हैं, स्किजोफ्रेनिया और बाइपोलर डिसऑर्डर (एक प्रकार का डिप्रेशन संबंधी विकार जो व्यक्ति के मूड को प्रभावित करता है)। डिप्रेशन एक ऐसी स्थिति होती है, जिसमें व्यक्ति खुद को निराश और बेकार महसूस करता है। इस स्थिति में व्यक्ति को ध्यान केंद्रित करने और चीज़ें याद करने में परेशानी होती है।

बाइपोलर डिसऑर्डर में व्यक्ति के मूड में बार-बार बदलाव आते रहते हैं, इस दौरान कभी उसे उन्माद (Mania) हो जाता है तो कभी डिप्रेशन महसूस होता है।

(और पढ़ें - स्किज़ोफ्रेनिया का आयुर्वेदिक इलाज)

स्किजोअफेक्टिव क्या है - What is Schizoaffective disorder in Hindi

स्किजोअफेक्टिव डिसऑर्डर क्या है?

यह मस्तिष्क को प्रभावित करने वाला विकार है, जो व्यक्ति के सोचने, कार्य करने, भावनाएं व्यक्त करने, वास्तविकता को समझने और दूसरों से संबंध रखने की क्षमता को प्रभावित करता है। स्किजोअफेक्टिव डिसऑर्डर जीवनभर रहने वाला रोग है, जो व्यक्ति के रोजाना की गतिविधियों को प्रभावित करता है, जिनमें निम्न शामिल है:

  • ऑफिस का काम करना
  • स्कूल जाना
  • लोगों से संपर्क करना
  • रिश्ते निभाना
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स्किजोअफेक्टिव डिसऑर्डर के प्रकार - Types of Schizoaffective disorder in Hindi

स्किजोअफेक्टिव डिसऑर्डर के कितने प्रकार हैं?

स्किजोअफेक्टिव विकार को मुख्य रूप से दो प्रकार में बांटा गया है, जिनमें बाइपोलर और डिप्रेसिव शामिल हैं।

  • बाइपोलर: इसमें व्यक्ति को कभी-कभी गंभीर उन्माद हो जाता है, तो कभी-कभी वह गंभीर रूप से डिप्रेशन का शिकार हो जाता है।
  • डिप्रेसिव: इस स्थिति में व्यक्ति को कई बार गंभीर रूप से डिप्रेशन हो जाता है।

स्किजोअफेक्टिव विकार के लक्षण - Schizoaffective disorder Symptoms in Hindi

स्किजोअफेक्टिव डिसऑर्डर के क्या लक्षण हैं?

हर व्यक्ति में स्किजोइफेक्टिव डिसऑर्डर से होने वाले लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं। कुछ लोगों को समय के साथ-साथ उनके लक्षणों में सुधार भी महसूस होने लगता है, जबकि कुछ लोगों के लक्षण स्थिर बने रहते हैं। स्किजोअफेक्टिव विकार में आमतौर पर देखे जाने वाले लक्षणों में निम्न शामिल हो सकते हैं।

  • भ्रम रोग:
    किसी स्थिति या घटना के प्रति सबूत न होने के बावजूद भी उसके प्रति मन में झूठी व निश्चित धारणा बनी रहना। उदाहरण के तौर पर किसी प्राकृतिक नुकसान के लिए किसी व्यक्ति को जिम्मेदार ठहराना।
     
  • मतिभ्रम:
    एक मानसिक रोग जिसमें व्यक्ति को कुछ ऐसी चीजें दिखाई देती हैं और ऐसी आवाजें सुनाई देती हैं, जो कि वास्तव में नहीं होती।
     
  • बातचीत करने की क्षमता प्रभावित होना:
    इस स्थिति में व्यक्ति अपने मित्रों, परिवारजनों व अन्य लोगों के साथ कई बार सामान्य रूप से बोलचाल नहीं रख पाता है। उसमें अक्सर तर्कहीन व बेतुकी बातें करना और असामान्य व्यवहार करना आदि लक्षण देखे जाते हैं।
     
  • डिप्रेशन के लक्षण:
    इसमें व्यक्ति को उदास, बेकार और खालीपन सा महसूस होने लगता है और वह खुद को किसी काम के लायक नहीं समझता। कभी-कभी ऐसी स्थिति में उनके शरीर में ऊर्जा बढ़ जाती है और कई दिनों तक उसे ठीक से नींद भी नहीं आ पाती है। व्यक्ति कई बार अपने चरित्र से बाहर होकर बातें करने लग जाता है।
     
  • कार्य करने की क्षमता प्रभावित होना:
    इस स्थिति में व्यक्ति घर व ऑफिस आदि के कार्यों को सामान्य रूप से नहीं कर पाता है। साथ ही वह खुद के शरीर की भी ठीक से देखभाल नहीं कर पाता है, जैसे साफ-सफाई और ठीक से कपड़े पहनना।
     
  • खुदकुशी का विचार आना:
    कुछ गंभीर मामलों में मरीज आत्महत्या करने का प्रयास भी कर सकता है। अकेला रहना, मृत्यु की बात करना और एकांत जगह ढूंढना आदि खुदकुशी करने के लक्षण हो सकते हैं।

डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?

यदि आपके परिवार में किसी को, आपके दोस्त या फिर आपकी जान पहचान के किसी व्यक्ति में स्किजोअफेक्टिव डिसऑर्डर के लक्षण दिखाई दे रहे हैं, तो ऐसे में आपको उनकी परेशानियों के बारे में पूछना चाहिए। हालांकि यह भी ध्यान रखना जरूरी है कि आप उनसे कुछ जबरदस्ती पूछने की कोशिश ना करें और ना ही उनको डॉक्टर के पास जाने के लिए दबाव डालें। आप उन्हें डॉक्टर के पास जाने के लिए प्रोत्साहित करें। 

यदि आपको लगता है कि मरीज के खुदकुशी करने का डर है या फिर वह पहले खुदकुशी करने का प्रयास कर चुका है, तो कोशिश करें कि कोई व्यक्ति हमेशा उनके साथ रहे। ऐसी स्थिति में जितना जल्दी हो सके व्यक्ति को डॉक्टर के पास ले जाएं या इमर्जेंसी नंबर पर कॉल कर दें।

स्किजोअफेक्टिव डिसऑर्डर के कारण व जोखिम कारक - Schizoaffective disorder Causes & Risk Factors in Hindi

स्किजोअफेक्टिव डिसऑर्डर क्यों होता है?

अभी तक स्किजोअफेक्टिव विकार के कारण का पता नहीं लग पाया है। यह मस्तिष्क में मौजूद रसायनों (केमिकल) में किसी प्रकार के बदलाव के कारण हो सकता है जैसे सेरोटोनिन या डोपामाइन के स्तर में बदलाव होना। मस्तिष्क में केमिकल की गड़बड़ी किसी आनुवंशिक स्थिति के कारण भी हो सकती है। कुछ स्थितियां हैं, जो कुछ मामलों में स्किजोअफेक्टिव डिसऑर्डर का कारण बन सकती हैं:

  • आनुवंशिक:
    व्यक्ति को अपने माता-पिता से भी स्किजोअफेक्टिव विकार व उससे संबंधित समस्याएं प्राप्त हो सकती हैं।
     
  • वातावरण:
    कुछ शोधकर्ताओं के अनुसार यदि आपको स्किजोअफेक्टिव डिसऑर्डर होने का खतरा है, तो वायरल इन्फेक्शन या फिर अधिक तनावपूर्ण स्थितियां इस खतरे को और अधिक बढ़ा सकती हैं। हालांकि ऐसा क्यों होता है, इस बारे में अभी तक कोई जानकारी उपलब्ध नहीं हो पाई है।
     
  • दवाओं का इस्तेमाल:
    मस्तिष्क को प्रभावित करने वाली कुछ दवाएं भी हैं, जो स्किजोअफेक्टिव डिसऑर्डर होने का खतरा बढ़ा सकती हैं। डॉक्टर अक्सर इन दवाओं को साइकोएक्टिव या साइकोट्रोपिक दवाएं कहते हैं।

स्किजोअफेक्टिव डिसऑर्डर होने का अधिक खतरा किन्हें है?

स्किजोअफेक्टिव विकार आमतौर पर किशोरावस्था के अंतिम या युवावस्था के शुरुआती चरणों में विकसित होता है (अक्सर 16 से 30 साल के बीच)। पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को इसके होने की संभावना अधिक होती है और बच्चों में इसके मामले काफी कम देखे जाते हैं।

स्किजोअफेक्टिव डिसऑर्डर होने का खतरा बढ़ाने वाले अन्य कारक

कुछ अन्य कारक भी हैं, जो स्किजोअफेक्टिव विकार होने का खतरा बढ़ा देते हैं, जिनमें निम्न शामिल हैं:

  • माता-पिता या सगे भाई-बहन को पहले से स्किजोअफेक्टिव या अन्य कोई मानसिक रोग होना
  • कोई तनावपूर्ण घटना जो इन लक्षणों को पैदा कर सकती हैं 
  • मस्तिष्क को प्रभावित करने वाली दवाएं लेना, यदि आप पहले से ही स्किजोअफेक्टिव डिसऑर्डर से ग्रस्त हैं तो स्थिति और बदतर हो सकती है।
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स्किजोअफेक्टिव विकार से बचाव - Prevention of Schizoaffective disorder in Hindi

स्किजोअफेक्टिव डिसऑर्डर की रोकथाम कैसे करें?

स्किजोअफेक्टिव डिसऑर्डर होने से बचाव या उसकी रोकथाम करने के लिए अभी तक कोई तरीका नहीं मिल पाया है। इस स्थिति का समय पर परीक्षण व इलाज करने इस स्थिति को गंभीर होने से रोका जा सकता है। साथ ही यदि समय रहते इस स्थिति का परीक्षण करके इसका इलाज शुरु कर दिया जाए तो व्यक्ति का जीवन प्रभावित होने से बचाया जा सकता है।

स्किजोअफेक्टिव डिसऑर्डर का परीक्षण - Diagnosis of Schizoaffective disorder in Hindi

स्किजोअफेक्टिव डिसऑर्डर का परीक्षण कैसे किया जाता है?

जब व्यक्ति में स्किजोफ्रेनिया और मूड संबंधी विकारों के लक्षण एक साथ दिखाई दे रहे हों लेकिन परीक्षण के दौरान दोनों में से किसी भी रोग की पुष्टि ना हो पाए, तो स्किजोअफेक्टिव डिसऑर्डर का परीक्षण किया जाता है। परीक्षण की सटीक रूप से पुष्टि करने के लिए रोग की अवधि के दौरान नियमित रूप से जांच करवाते रहना आवश्यक होता है।

परीक्षण के दौरान कुछ लैब टेस्ट भी किए जा सकते हैं, जिनमें निम्न शामिल हैं:

परीक्षण के साथ-साथ साइकोलॉजिक टेस्टिंग करना भी आवश्यक माना जाता है।

कुछ अन्य परीक्षण भी हैं, जो परीक्षण में मददगार हो सकते हैं, इनमें मुख्य रूप से निम्न शामिल हैं:

स्किजोअफेक्टिव डिसऑर्डर का इलाज - Schizoaffective disorder Treatment in Hindi

स्किजोअफेक्टिव डिसऑर्डर का इलाज कैसे करें?

इसके इलाज के दौरान मुख्य रूप से मरीज के मूड को स्थिर करने और मानसिक लक्षणों का इलाज करने के लिए दवाएं दी जाती हैं। इसके अलावा साइकोथेरेपी (मनोचिकित्सा) और कौशल परीक्षण (स्किल ट्रेनिंग) भी काफी मददगार हो सकती हैं, जिससे व्यक्तिगत और सामाजिक रिश्ते निभाने में काफी सुधार होता है। 

  • दवाएं:
    डॉक्टर आपके लक्षणों के आधार पर ही दवाएं देंगे, आपको डिप्रेशन या बाइपोलर डिसऑर्डर या फिर इनके साथ स्किजोफ्रेनिया के लक्षण महसूस हो रहे हैं, तो स्थिति के अनुसार आपको अलग-अलग दवाएं दी जा सकती हैं। मानसिक लक्षणों जैसे भ्रम, मतिभ्रम और सोचने संबंधी अन्य विकारों के लिए दी गई दवाओं को एंटी-साइकोटिक दवाएं कहा जाता है। ये सभी दवाएं कुछ मामलों में स्किजोअफेक्टिव विकार में मदद करती हैं, लेकिन पैलीपेरिडोन एक्सेटेंडेड (इनवेगा) ही ऐसी दवा है, जिसे एफडीए द्वारा स्वीकृति मिली है। मूड संबंधी लक्षणों के लिए डॉक्टर आपको एंटीडिप्रेसेंट्स (डिप्रेशन रोकने वाली) या मूड को स्थिर रखने वाली अन्य दवाएं दे सकते हैं।
     
  • साइकोथेरेपी:
    इस थेरेपी में मरीज को विशेष परामर्श (काउन्सलिंग) दिए जाते हैं, जिनका मुख्य लक्ष्य व्यक्ति को रोग के बारे में बताना, इलाज को निर्धारित करना और विकार के कारण हो रही रोजाना की समस्याओं से बचाव करना होता है। मरीज के परिवारजनों को भी इस बारे में जानकारी दी जाती है, ताकि वे पीड़ित व्यक्ति की और अच्छे से मदद कर पाएं, इस प्रक्रिया को फैमिली थेरेपी कहा जाता है।
     
  • कौशल परीक्षण:
    इस प्रक्रिया में व्यक्ति की कुछ विशेष प्रक्रियाओं पर ध्यान दिया जाता है, जैसे ऑफिस या स्कूल में व्यवहार, खुद की देखभाल व साफ-सफाई और अन्य रोजाना की गतिविधियां आदि।
     
  • अस्पताल में भर्ती होना:
    मानसिक लक्षणों के दौरान मरीज को अस्पताल में भर्ती होना पड़ सकता है, विशेष रूप से यदि मरीज खुदकुशी करने या किसी अन्य व्यक्ति को चोट पहुंचाने का प्रयास कर रहा हो।
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स्किजोअफेक्टिव डिसऑर्डर की जटिलताएं - Schizoaffective disorder Complications in Hindi

स्किजोअफेक्टिव डिसऑर्डर से क्या जटिलताएं हो सकती हैं?

स्किजोअफेक्टिव डिसऑर्डर का कोई इलाज नहीं है, इसलिए इस विकार से ग्रस्त लोगों को जीवनभर दवाएं लेने की आवश्यकता पड़ सकती है। जैसा कि यह एक मानसिक विकार है, इससे पीड़ित व्यक्तियों को व्यक्तिगत व सामाजिक कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि कई लोग उचित इलाज की मदद से कुछ हद तक एक सामान्य जीवन जीने में सक्षम हो जाते हैं।



संदर्भ

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