गर्दन में दर्द अधिकतर मांसपेशियों में खिंचाव के कारण होता है। आमतौर पर गलत पोस्‍चर, गर्दन को सहारा न देने या तनाव के कारण गर्दन की मांसपेशियों में खिंचाव आता है। इससे दर्द होने लगता है।

हालांकि, स्लिप डिस्‍क या किसी दुर्घटना या हादसे की वजह से (जिसमें गर्दन में अचानक से पीछे और फिर आगे की ओर झटका आ जाए) भी गर्दन में दर्द हो सकता है। स्लिप डिस्‍क को हर्नियाग्रस्त डिस्‍क या बल्जिंग डिस्‍क या कार दुर्घटना में गर्दन में झटका (एक प्रकार से गर्दन में मोच) आने की वजह से गर्दन में दर्द की शिकायत हो सकती है।

रीढ़ की हड्डी में मौजूद हड्डियों (Vertebrae: कशेरुका) को सहारा देने के लिए छोटी-छोटी गद्देदार डिस्क होती हैं जो रीढ़ की हड्डी को झटकों से बचाती हैं और उसे लचीला रखती हैं। जब एक डिस्क क्षतिग्रस्त हो जाती है तो यह सूज या टूटकर खुल सकती है, जिसे स्लिप डिस्क कहते हैं।

सर्वाइकल स्‍पोंडिलोसिस (गर्दन में आर्थराइटिस) की वजह से वृद्ध लोगों में गर्दन में दर्द की समस्‍या हो सकती है।

गर्दन में दर्द का प्रमुख लक्षण गर्दन पीड़ा महसूस होना है। ये दर्द गर्दन से कंधों और छाती के ऊपरी हिस्‍से तक पहुंच जाता है। गर्दन में दर्द से ग्रस्‍त व्‍यक्‍ति को अक्‍सर गर्दन में अकड़न भी महसूस होती है और गर्दन को हिलाने या सिर को एक तरफ से दूसरी तरफ घुमाने में दिक्‍कत होती है।

गर्दन में दर्द के अन्‍य लक्षणों में बांह और हाथ में सुन्‍नता, झुनझुनाहट या कमजोरी महसूस होना है। चोट लगने की स्थिति में दर्द लगातार और बढ़ सकता है। यदि गर्दन में दर्द एक या दो दिन में अपने आप ठीक नहीं होता है, तो डॉक्‍टर को जरूर दिखाना चाहिए। मरीज की स्थिति के अनुसार उचित उपचार चुनने के लिए डॉक्‍टर गर्दन में दर्द के कारण के बारे में पूछेंगे।

गर्दन के किस हिस्‍से में दर्द हो रहा है, ये जानने के लिए डॉक्‍टर शारीरिक परीक्षण भी कर सकते हैं। इमेजिंग टेस्‍ट जैसे कि एक्‍स-रे या सीटी स्‍कैन या एमआरआई स्‍कैन भी करवाना पड़ सकता है, जिससे कि ये पता चल सके कि दर्द किस हिस्‍से में हो रहा है। इसी के आधार पर मरीज को ट्रीटमेंट दिया है।

आमतौर पर दर्द से कुछ समय तक राहत दिलाने के लिए स्‍ट्रेंथ ट्रेनिंग के साथ दर्द निवारक दवा दी जाती है, जबकि गंभीर मामलों में सर्जरी की जरूरत पड़ती है।

मांसपेशियों में दर्द के इलाज के लिए होम्‍योपैथी सुरक्षित और संपूर्ण चिकित्‍सा पद्धति है। ये न केवल बीमारी को ठीक करती है बल्कि मरीज की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत भी करती है।

एलोपैथी की दर्द निवारक दवाओं की तरह होम्‍योपैथिक ट्रीटमेंट के कोई साइड इफेक्‍ट भी नहीं होते हैं। गर्दन में दर्द और इससे जुड़े लक्षणों को कम करने के लिए होम्‍योपैथिक दवाओं में ब्रायोनिया, हाइपेरिकम परफोरेटम और सरकोलैक्‍टिकम एसिडम को जाना जाता है।

  1. गर्दन में दर्द की होम्योपैथिक दवा - Gardan me dard ki homeopathic dawa
  2. होम्योपैथी में गर्दन में दर्द के लिए खान-पान और जीवनशैली में बदलाव - Homeopathy me Neck Pain ke liye khan pan aur jeevanshaili me badlav
  3. गर्दन में दर्द की होम्योपैथी औषधि कितनी लाभदायक है - Gardan me dard ki homeopathic medicine kitni faydemand hai
  4. गर्दन में दर्द के होम्योपैथिक इलाज के नुकसान और जोखिम कारक - Neck Pain ki homeopathic dawa ke nuksan aur jokhim karak
  5. गर्दन में दर्द के होम्योपैथिक उपचार से जुड़े अन्य सुझाव - Neck Pain ke homeopathic upchar se jude anya sujhav
गर्दन में दर्द का होम्योपैथिक इलाज और दवा के डॉक्टर

गर्दन में दर्द के लिए निम्‍नलिखित होम्‍योपैथिक दवाओं का इस्‍तेमाल किया जाता है –

  • ब्रायोनिया (Bryonia)
    सामान्‍य नाम –
    वाइल्‍ड हॉप (Wild hops)
    लक्षण – ब्रायोनिया ऐसे मांसपेशियों में दर्द के इलाज में उपयोगी है, जिसमें हल्‍का सा हिलने या काम करने पर ही दर्द बढ़ जाता है। ये दवा खासतौर पर सांवले रंग और तेज प्‍यास लगने वाले लोगों पर असर करती है।

    मरीज को चिड़चिड़ापन और शारीरिक कमजोरी भी महसूस होती है। ब्रायोनिया नीचे बताए गए लक्षणों से राहत दिलाने में मददगार है –
    • गर्दन में अकड़न के साथ गर्दन में दर्द
    • गर्दन के पीछे खिंचाव या दर्द महसूस होना
    • गर्दन के दोनों तरफ लाल रंग के धब्‍बे दिखना
    • गर्दन पर खुजली होना
    • पूरी पीठ में ऐंठन के साथ चुभने वाला दर्द
    • कंधे में दर्द होना जो कि गहरी सांस लेने पर बढ़ जाए
    • कंधे की हड्डी में दर्द होना
    • पीठ दर्द और गर्दन में दर्द होना जो कि अधिक खनिज पदार्थों से युक्‍त पानी या अचानक मौसम में बदलाव होने पर बढ़ जाए

लक्षण सुबह के समय और गरमाई में या गर्म सिकाई से और बढ़ जाते हैं। दर्द वाले हिस्‍से पर दबाव बनाने या ठंडी सिकाई से लक्षणों में आराम मिलता है।

  • कॉस्‍टिकम (Causticum)
    सामान्य नाम -
     हैनिमैनस टिंक्चुरा एक्रिस साइन कैली (Hahnemann’s Tinctura acris sine Kali)
    लक्षण – रात के समय बेचैन रहने की प्रवृत्ति रखने वाले और जोड़ों एवं हड्डियों में तेज दर्द की शिकायत करने वाले लोगों पर ये दवा बेहतर असर करती है।

    इन लोगों को त्‍वचा में जलन महसूस होती है और खासतौर पर चेहरे पर मस्‍से होते हैं। अन्‍य निम्‍न लक्षणों में भी कॉस्टिकम का इस्‍तेमाल किया जाता है –
    • गर्दन की हड्डी में अकड़न, खुजली, तनाव और दर्द
    • गर्दन की हड्डी पर चोट लगने जैसा एहसास होना
    • गर्दन के साथ-साथ कंधों पर भी फोड़े-फुंसियां होना
    • गर्दन के लिम्‍फ नोड्स में सूजन
    • बांह और कंधों में दर्द, जिसमें मरीज को ऐसा महसूस हो जैसे कि कोई उसकी मांसपेशियां खींच रहा है
    • पीठ में खुजली और झनझनाहट महसूस होना
    • याददाश्‍त कमजोर होना
    • लगातार चिंता रहना
    • किसी काम पर ज्‍यादा समय तक ध्‍यान न लगा पाना
    • बोलने में दिक्‍कत

शुष्‍क, ठंडे और तूफानी मौसम में लक्षण बढ़ जाते हैं, जबकि बारिश के मौसम में मरीज को बेहतर महसूस होता है।

  • सिमिसिफुगा (Cimicifuga)
    सामान्‍य नाम –
    ब्‍लैक स्‍नेक रूट (Black snake root)
    लक्षण – रीढ़ की हड्डी से संबंधित प्रणाली और मांसपेशीय तंत्र पर सिमिसिफुगा व्‍यापक रूप से असर करती है। ये गठिया के लक्षणों और मांसपेशियों में ऐंठन एवं चुभने वाले दर्द से राहत दिलाने में बहुत उपयोगी है। नीचे बताए गए लक्षणों को भी सिमिसिफुगा से ठीक किया जा सकता है –
    • रीढ़ की ह‍ड्डी के ऊपरी हिस्‍से में दर्द और संवेदनशीलता महसूस होना
    • गर्दन और पीठ में अकड़न
    • गर्दन से नीचे की ओर जांघों तक दर्द पहुंचना
    • पीठ में ऐंठन महसूस होना
    • हाथ और पैरों में असहजता
    • मांसपेशियों में दर्द
    • दर्द बर्दाश्‍त न कर पाना
    • लगातार डिप्रेशन होना
    • रीढ़ की हड्डी और गर्दन वाले हिस्‍से में दबाव पड़ने से जी मितली और उल्‍टी की समस्‍या

सुबह के समय और महिलाओं में माहवारी के दौरान ये सभी लक्षण गंभीर रूप ले लेते हैं। गरमाई में और खाना खाने के बाद लक्षणों में सुधार आता है।

  • चेलिडोनियम मेजस (Chelidonium Majus)
    सामान्‍य नाम –
    सैलेंडाइन (Celandine)
    लक्षण – सैलेंडाइन प्रमुख तौर पर लिवर से जुड़ी समस्‍याओं के इलाज में उपयोगी है। ये दर्द से जुड़े लक्षणों के इलाज में भी मदद करती है।

    थकान और लकवे के दर्द के साथ सिर के पिछले हिस्‍से से गर्दन के पीछे अत्‍यधिक ठंड महसूस होने की शिकायत करने वाले लोगों को य दवा दी जाती है। इनमें आगे की ओर गिरने की प्रवृत्ति ज्‍यादा होती है। चेलिडोनियम से नीचे बताए गए लक्षणों से भी राहत पाई जा सकती है –
    • गर्दन के पीछे वाले हिस्‍से में दर्द
    • गर्दन में अकड़न, व्‍यक्‍ति को अपनी गर्दन घुमाने में दिक्‍कत महसूस होना
    • गर्दन के दर्द का कंधों तक बढ़ना
    • बाएं कंधे की हड्डी में तेज दर्द होना
    • दाएं कंधे की हड्डी के अंदरूनी और निचले हिस्‍से में दर्द
    • गर्दन में दर्द की वजह से बांह को हिलाने में दिक्‍कत आना
    • आगे या पीछे की ओर झुकने पर पीठ में खींचने जैसा दर्द होना

सुबह के समय, चलने पर, दाईं करवट लेटने और प्रभावित हिस्‍से को छूने पर लक्षण और बढ़ सकते हैं। आमतौर पर डिनर करने के बाद या प्रभावित हिस्‍से पर दबाव बनाने पर लक्षणों में आराम मिलता है।

  • जेल्सीमियम (Gelsemium)
    सामान्‍य नाम –
    यैलो जास्‍मीन (Yellow jasmine)
    लक्षण – जेल्‍सीमियम प्रमुख तौर पर केंद्रीय तंत्रिका तंत्र पर कार्य करती है और मांसपेशियों में कमजोरी से लड़ने में मदद करती है।

    जिन्‍हें हमेशा चक्‍कर आने, कांपने और मांसपेशियों में तालमेल की कमी की शिकायत रहती है, उन लोगों पर जेल्‍सीमियम बेहतर असर करती है। ये दवा नीचे बताए गए लक्षणों के इलाज में मददगार है –
    • पीठ में हल्‍के और तेज दर्द, खासतौर पर पीठ के निचले हिस्‍से में। ये दर्द नीचे से ऊपर की ओर बढ़ता है
    • मांसपेशियों में चोट लगने जैसा एहसास होना
    • गर्दन की ऊपरी मांसपेशियों में दर्द
    • बहुत जल्‍दी और आसानी से थक जाने की प्रवृत्ति
    • गर्दन के दाएं हिस्‍से में सिकुड़ने जैसा दर्द होना
    • गर्दन में दर्द के साथ बाएं कंधे की हड्डी में दर्द
    • रात के समय कंधों में दर्द
    • सिरदर्द जो कि आमतौर पर गर्दन में दर्द के साथ हो

उमस और बारिश के मौसम और बहुत ज्‍यादा भावुक होने पर लक्षण गंभीर रूप ले लेते हैं। प्रभावित हिस्‍से को हिलाने, आगे झुकने और खुली हवा में जाने पर लक्षणों में आराम मिलता है।

  • हाइपेरिकम परफोरेटम (Hypericum Perforatum)
    सामान्‍य नाम –
    सैंट. जॉन वोर्ट (St. John’s wort)
    लक्षण – नसों में चोट लगने के कारण हुए दर्द के इलाज में हाइपेरिकम अत्‍यंत प्रभावशाली दवा है। सिर में हथौड़े बजने जैसे दर्द के साथ बहुत ज्‍यादा प्‍यास लगने और कंधों में तेज दर्द महसूस करने वाले लोगों को इस दवा की जरूरत पड़ती है।

    इन्‍हें पीठ की मांसपेशियों में झटका लगने और फड़कने की शिकायत भी रहती है। निम्‍न लक्षणों की पहचान होने पर भी हाइपेरिकम दवा उपयोगी है –
    • गर्दन के पिछले हिस्‍से में दर्द
    • पीठे के निचले हिस्‍से में दबाव महसूस होना
    • रीढ़ की हड्डी में चोट
    • रीढ़ की हड्डी के बीच स्थित छोटी-सी त्रिकोणाकार हड्डी (टेल बोन) में चोट लगने की वजह से रीढ़ की हड्डी में दर्द होना
    • तेज दर्द की वजह से चलने में दिक्‍कत
    • गिरने के बाद बांह या गर्दन को हल्‍का सा हिलाने पर तेज दर्द

ठंड, उमस और बंद कमरों में लक्षण बढ़ जाते हैं, जबकि सिर को पीछे की ओर झुकाने पर व्‍यक्‍ति को बेहतर महसूस होता है।

  • सरकोलैक्‍टिकम एसिडम (Sarcolacticum Acidum)
    सामान्‍य नाम –
    सरकोलैक्टिक एसिड (Sarcolactic acid)
    लक्षण – अत्‍यधिक थकान और नींद आने में दिक्‍कत से जूझ रहे लोगों को सरकोलैक्टिक एसिड की जरूरत पड़ती है। से दवा मांसपेशियों में कमजोरी के इलाज में भी मददगार है। इस दवा से लाभ पाने वाले लोगों में नीचे बताए गए लक्षण देखे जाते हैं –
    • कंधों में कमजोरी
    • पीठ और गर्दन की मांसपेशियों में थकान
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होम्‍योपैथी दवाएं बड़ी आसानी से आपकी दैनिक दिनचर्या का हिस्‍सा बन जाती हैं, क्‍योंकि शरीर की सामान्‍य कार्यप्रणाली पर बहुत कम ही प्रभाव डालने की संभावना होती है। हालांकि, जीवनशैली और आहार से जुड़ी कुछ चीजें होम्‍योपैथिक दवाओं की प्रभावशीलता पर असर डाल सकती हैं, इसलिए होम्‍योपैथी ट्रीटमेंट के दौरान कुछ बातों का ध्‍यान जरूर रखना चाहिए।

अत: होम्‍योपैथिक दवा लेने के दौरान नीचे बताई गई बातों का पालन करना चाहिए –

क्‍या करें

क्‍या न करें

  • अत्‍यधिक मसालेदार खाना, मीठी या नमकीन चीजें खाने से बचें
  • धूम्रपान या शराब के सेवन से बचें
  • कॉफी और चाय जैसे पेय पदार्थ कम पिएं
  • एयर कंडीशनर और रूम हीटर जैसी मशीनों का इस्‍तेमाल न करें
  • तेज खुशबू वाली चीजों जैसे कि रूम फ्रेशनर और परफ्यूम के प्रयोग से बचें

गर्दन में दर्द को ठीक करने के लिए होम्‍योपैथी समग्र समाधान देती है और लक्षणों को दोबारा होने से भी रोकती है। होम्‍योपैथिक ट्रीटमेंट गर्दन में दर्द पैदा करने के आम कारण सूजन और मरीज की स्थिति में सुधार लाने के लिए शरीर की खुद ठीक होने की क्षमता को बढ़ाती है।

होम्‍योपैथी में हर मरीज के लिए उपचार की व्‍यक्‍तिगत पद्धति का इस्‍तेमाल किया जाता है। व्‍यक्‍ति की पूर्व और वर्तमान की स्‍वास्‍थ्‍य स्थिति को जानने के बाद ही होम्‍योपैथी दवा दी जाती है।

(और पढ़ें - गर्दन के दर्द के लिए एक्सरसाइज)

इसमें जीवनशैली, बीमारी के कारण, लक्षण और लक्षणों की गंभीरता शामिल है। इससे मरीज के लिए सही, सुरक्षित और असरकारी होम्‍योपैथिक ट्रीटमेंट और परहेज के बारे में जानने में मदद मिलती है।

औषधीय गुणों से युक्‍त प्राकृतिक तत्‍वों से बनने के कारण होम्‍योपैथिक दवाएं सुरक्षित होती हैं। इन दवाओं को सुरक्षित मात्रा में तैयार किया जाता है और ये बहुत पतली होती हैं। मरीज की स्थिति और आवश्‍यकता के अनुसार होम्‍योपैथी दवा दी जाती है।

(और पढ़ें - गर्दन में दर्द का आयुर्वेदिक इलाज)

मरीज की मानसिक और शारीरिक स्‍वास्‍थ्‍य स्थिति (पहले और वर्तमान में) की जांच और उसे अच्‍छी तरह से समझने के बाद ही कोई होम्‍योपैथी दवा लिखी जाती है। इस वजह से होम्‍योपैथिक दवा के कोई साइड इफेक्‍ट या एलर्जी होने की संभावना बहुत कम होती है। अनुभवी होम्‍योपैथिक चिकित्‍सक की देखरेख में दवा लेना सुरक्षित और दुष्‍प्रभाव से रहित होता है।

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आराम करने से कुछ ही दिनों में गर्दन में हल्के दर्द को कम किया जा सकता है। हालांकि, गंभीर चोट या बीमारी की स्थिति में दर्द लगातार हो सकता है और मरीज को कमजोर भी कर सकता है। अगर समय पर इसका इलाज न किया जाए तो इसकी वजह से कोई स्‍थायी नुकसान पहुंच सकता है और व्‍यक्‍ति का जीवन भी प्रभावित हो सकता है।

(और पढ़ें - गर्दन में दर्द के घरेलू उपाय)

होम्‍योपैथी दर्द से राहत दिलाने का असरकारी समाधान है। ये मांसपेशियों को मजबूत करता है और गर्दन में दर्द के अंतर्निहित कारण को नियंत्रित करता है। होम्‍योपैथिक दवाओं को प्राकृतिक तत्‍वों से तैयार किया जाता है, इसलिए इनका उपयोग बच्‍चों, गर्भवती महिलाओं और वृद्धजनों में भी सुरक्षित होता है। होम्‍योपैथिक चिकित्‍सक की सलाह के बिना कोई भी दवा नहीं लेनी चाहिए।

Dr. Rupali Mendhe

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होमियोपैथ
21 वर्षों का अनुभव

Dr. Rubina Tamboli

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होमियोपैथ
7 वर्षों का अनुभव

Dr. Anas Kaladiya

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होमियोपैथ
5 वर्षों का अनुभव

Dr. Prabhash Kumar Chaudhari

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होमियोपैथ
5 वर्षों का अनुभव

संदर्भ

  1. MedlinePlus Medical Encyclopedia: US National Library of Medicine; Neck pain
  2. British Homeopathic Association. Muscle and joint problems. London; [Internet]
  3. William Boericke. Homeopathic Materia Medica. Kessinger Publishing: Médi-T 1999, Volume 1 Homoeopathic Materia Medica
  4. National Center for Homeopathy [Internet] Mount Laurel, New Jersey, U.S Causticum
  5. Samuel Hahnemann.Organon of Medicine Organon of Medicine, 6th edition, Noida: B Jain Publishers, aphorisms 261-263, 1842, Pg 282
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