हृदय रोग - Heart Disease in Hindi

Dr. Nabi Darya Vali (AIIMS)MBBS

June 28, 2017

January 31, 2024

हृदय रोग
हृदय रोग

हृदय रोग (दिल की बीमारी) क्या है?

हृदय रोग (Heart disease) आपके हृदय को प्रभावित करने वाली कई स्थितियों के बारे में बताता है। हृदय रोग में अंतर्गत आने वाले रोगों में रक्त वाहिका रोग, जैसे कोरोनरी धमनी रोग (coronary artery disease), हृदय के धड़कने में होने वाली समस्या (arrhythmias) और जन्म से ही होने वाले हृदय दोष (congenital heart defects), आदि आते हैं।

"हृदय रोग" को चिकित्सीय बाशा में अक्सर "कार्डियोवास्कुलर रोग" (cardiovascular disease) कहा जाता है। कार्डियोवास्कुलर रोग आम तौर पर उन स्थिति को संदर्भित करता है, जिनमें रक्त वाहिकाओं के संकुचित या अवरुद्ध होने की वजह से दिल का दौरा, एनजाइना (angina) या स्ट्रोक आने का खतरा रहता है। हृदय की अन्य स्थितियों में आपके दिल की मांसपेशियों, वाल्व या हृदय धड़कनों का प्रभावित होना भी हृदय रोग का एक रूप माना जाता है।

स्वस्थ जीवन शैली को अपनाकर कई प्रकार के हृदय रोगों को रोका या ठीक किया जा सकता है।

हृदय रोग (दिल की बीमारी) के प्रकार - Types of Heart Disease in Hindi

ह्रदय रोग के कितने प्रकार होते हैं? ह्रदय रोग कौन-कौन से हैं?

ह्रदय रोग के निम्नलिखित प्रकार होते हैं -

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हृदय रोग (दिल की बीमारी) के लक्षण - Heart Disease Symptoms in Hindi

ह्रदय रोग के क्या लक्षण व संकेत होते हैं?

हृदय के सब रोगों में निम्नलिखित में से सब या एक या अधिक समान लक्षण होते हैं -

यदि हृदय रोगों के यह लक्षण ठीक नहीं होते और जीभ के नीचे नाइट्रो-ग्लिसरीन रखने के बाद भी नहीं जाते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श करें।

हृदय रोग (दिल की बीमारी) के कारण - Heart Disease Causes & Risk Factors in Hindi

ह्रदय रोग के कारण क्या हैं ?

ह्रदय रोग के कारण उसके प्रकार पर निर्भर करते हैं।

कार्डियोवास्कुलर (Cardiovascular) रोग
कार्डियोवास्कुलर रोग विभिन्न हृदय या रक्त वाहिकाओं की समस्याओं के लिए उपयोग किया जा सकता है लेकिन अक्सर इसका प्रयोग एथेरोस्क्लेरोसिस (atherosclerosis) द्वारा आपके दिल या रक्त वाहिकाओं को हुए नुकसान के लिए किया जाता है। इसके निम्नलिखित कारण हो सकते हैं -

अनियमित दिल की धड़कन

जन्मजात हृदय दोष
जन्मजात हृदय संबंधी दोष आमतौर पर तब विकसित होते हैं जब बच्चा गर्भ में होता है और उसका दिल विकसित होता है या गर्भधारण के एक महीने के बाद और जब रक्त का प्रवाह बदलता है। कुछ चिकित्सा समस्याएं, दवाएं और अनुवांशिक कारक ऐसे दोष पैदा करने में एक भूमिका निभा सकते हैं।

(और पढ़ें - गर्भावस्था में होने वाली समस्याएं)

कार्डियोमायोपैथी (Cardiomyopathy)
कार्डियोमायोपैथी (दिल की मांसपेशियों का मोटा होना या बढ़ाना) के कारण उसके प्रकार पर निर्भर करते हैं -

  • डाइलेटेड कार्डियोमायोपैथी (Dilated cardiomyopathy) - इसका कारण अभी तक अज्ञात है। यह दिल के दौरे, संक्रमण, विषाक्त पदार्थ और कुछ दवाओं के कारण हो सकता है। यह अनुवांशिक भी हो सकता है।
  • हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी (Hypertrophic cardiomyopathy) - यह प्रकार आमतौर पर अनुवांशिक होता है लेकिन यह हाई ब्लड प्रेशर या उम्र बढ़ने की वजह से समय के साथ भी हो सकता है।
  • रेस्ट्रिक्टिव कार्डियोमायोपैथी (Restrictive cardiomyopathy) - यह प्रकार बिना किसी ज्ञात कारण के हो सकता है या संयोजी ऊतक संबंधी विकार, शरीर में अत्यधिक आइरन का निर्माण, असामान्य प्रोटीन का निर्माण या कुछ कैंसर के उपचार से भी हो सकता है।

दिल के संक्रमण
दिल का संक्रमण जैसे एन्डोकैरडाइटिस (endocarditis), तब होता है जब एक संक्रमण करने वाला पदार्थ (जैसे जीवाणु, वायरस या रासायनिक पदार्थ) आपके हृदय तक पहुंच जाता है।

हृदय वाल्व रोग
आपके दिल के वाल्व के नुकसान कई कारण होते हैं। आपको यह जन्म से भी हो सकता है या किसी स्थिति की वजह से भी हो सकता है। जैसे कि -

  • रूमेटिक फीवर
  • संक्रमण (संक्रामक एंडोकार्डाइटिस)
  • कनेक्टिव ऊतक विकार

ह्रदय रोग के जोखिम कारक क्या हैं ?

हृदय रोग के विकास के लिए जोखिम कारक निम्नलिखित हैं -

  1. उम्र - उम्र के साथ धमनियों के संकुचित होने का खतरा बढ़ जाता है और हृदय की मासपेशियां कमजोर होती हैं।
  2. लिंग - पुरुष आमतौर पर हृदय रोग के अधिक जोखिम पर होते हैं। हालांकि, रजोनिवृत्ति के बाद महिलाओं का जोखिम बढ़ जाता है।
  3. परिवार का इतिहास - हृदय रोग का पारिवारिक इतिहास कोरोनरी धमनी की बीमारी का खतरा बढ़ाता है, खासकर यदि माता-पिता को एक कम उम्र में हुआ हो।
  4. धूम्रपान - निकोटीन आपकी रक्त वाहिकाओं को संकुचित कर देता है और कार्बन मोनोऑक्साइड उनकी आंतरिक परत को नुकसान पहुंचा सकता है, जो उन्हें एथेरोस्क्लेरोसिस के प्रति अधिक संवेदनशील बनता है। धूम्रपान करने वालों में हार्ट अटैक अधिक आम है।
  5. आहार - अगर आपकी डाइट में फैट, नमक, चीनी और कोलेस्ट्रॉल ज़्यादा है, तो हृदय रोग होने का खतरा बढ़ जाता है।
  6. हाई ब्लड प्रेशर - अनियंत्रित हाई ब्लड प्रेशर से आपकी धमनियां सख्त और मोटी हो सकती हैं, जिससे वाहिकाएं संकुचित होती हैं।
  7. हाई कोलेस्ट्रॉल - रक्त में कोलेस्ट्रॉल के उच्च स्तर से एथेरोस्क्लेरोसिस का खतरा बढ़ सकता है।
  8. शुगर - शुगर से हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है। (और पढ़ें - शुगर कम करने के उपाय)
  9. मोटापा - ज़्यादा वजन से आमतौर पर अन्य जोखिम कारकों की स्थिति बिगड़ जाती है। (और पढ़ें - मोटापा कम करने के घरेलू उपाय)

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  10. तनाव - तनाव आपकी धमनियों को नुकसान पहुंचा सकता है और हृदय रोग के अन्य जोखिम वाले कारकों को खराब करता है।
  11. स्वच्छता न रखना - नियमित रूप से हाथ न धोने और अन्य अस्वच्छ आदतों से वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण होते हैं, जिससे दिल के संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है, खासकर यदि आपको पहले से ही अंतर्निहित हृदय की कोई बीमारी है। खराब दंत स्वास्थ्य से भी हृदय रोग हो सकते हैं। (और पढ़ें - स्वच्छता से संबंधित गलत आदतें)

हृदय रोग (दिल की बीमारी) से बचाव - Prevention of Heart Disease in Hindi

ह्रदय रोग होने से कैसे रोका जा सकता है?

कुछ प्रकार के हृदय रोगों को रोका नहीं जा सकता। हालांकि, आप कई अन्य प्रकार की हृदय रोगों को जीवन शैली में परिवर्तन से रोक सकते हैं जिससे आपके हृदय रोग में सुधार हो सकता है, जैसे -

(और पढ़ें - हृदय को स्वस्थ रखने के लिए खाएं ये आहार)

हृदय रोग (दिल की बीमारी) का परिक्षण - Diagnosis of Heart Disease in Hindi

ह्रदय रोग का निदान/ परिक्षण कैसे किया जाता है?

हृदय रोग का पता लगाने के लिए जिन परीक्षणों की आवश्यकता होगी, वह निर्भर करता है कि आपके चिकित्सक क्या सोचते हैं। आपके चिकित्सक एक शारीरिक जांच करेंगे और कोई भी परीक्षण करने से पहले आपके व्यक्तिगत और पारिवारिक चिकित्सा इतिहास के बारे में पूछेंगे। रक्त परीक्षण और छाती के एक्स-रे के अलावा, हृदय रोग के निदान के लिए निम्नलिखित परीक्षण किए जाते हैं -

इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ईसीजी)
ईसीजी विद्युत संकेतों को रिकॉर्ड करता है और आपके चिकित्सक को आपके दिल की लय और संरचना में अनियमितता का पता लगाने में मदद करता है। आपका ईसीजी आराम करते समय या व्यायाम करते समय किया जा सकता है।

  • हॉलटर मॉनिटरिंग (Holter monitoring)
    हॉलटर मॉनिटर एक उपकरण होता है जिसे आप लगातार ईसीजी रिकॉर्ड करने के लिए पहनते हैं, आमतौर पर 24 से 72 घंटे तक। हॉलटर मॉनिटरिंग का उपयोग हृदय की लय की अनियमितताओं का पता लगाने के लिए किया जाता है जो नियमित ईसीजी परीक्षा के दौरान पता नहीं चलते हैं।
     
  • इकोकार्डियोग्राम (Echocardiogram)
    यह परीक्षण आपकी छाती का अल्ट्रासाउंड करता है और आपके दिल की संरचना और कार्य के विस्तृत चित्र दिखाता है।
     
  • स्ट्रेस टेस्ट 
    इस प्रकार के परीक्षण में हृदय की गति व्यायाम या दवा से बढ़ाई जाती है और परीक्षण किए जाते हैं यह देखने के लिए कि आपका दिल कैसी प्रतिक्रिया देता है।
     
  • कार्डिएक कैथेराइज़ेशन (Cardiac catheterization)
    इस परीक्षण में, एक छोटी सी ट्यूब आपके पैर या बांह की नस या धमनी में डाली जाती है। फिर इस छोटी ट्यूब में एक लम्बी लचीली ट्यूब (गाइड कैथेटर) डाली जाती है। मॉनिटर पर एक्स-रे की छवियों की सहायता से, आपके डॉक्टर उस धमनी में गाइड कैथेटर को आगे करते जाते हैं जब तक वह आपके दिल तक नहीं पहुंच जाती है।
     
  • कार्डिएक सीटी स्कैन
    यह परीक्षण अक्सर हृदय की समस्याओं की जांच करने के लिए किया जाता है। कार्डिएक सीटी स्कैन में, मशीन के अंदर की एक्स-रे ट्यूब आपके शरीर के चारों ओर घूमती है और आपके दिल और छाती की छवियों को एकत्रित करती है।
     
  • कार्डिएक एमआरआई
    इस परीक्षण में, आप एक मेज पर एक लंबी ट्यूब की तरह मशीन पर लेटते हैं जो एक चुंबकीय क्षेत्र बनाती है। आपके चिकित्सक को आपके दिल का मूल्यांकन करने में मदद करने के लिए चुंबकीय क्षेत्र चित्रों का उत्पादन करता है।

(और पढ़ें - लैब टेस्ट)

हृदय रोग (दिल की बीमारी) का इलाज - Heart Disease Treatment in Hindi

ह्रदय रोग का उपचार कैसे होता है ?

ह्रदय रोग का उपचार उसकी स्थिति पर निर्भर करता है। उदाहरण के लिए, यदि आपको ह्रदय का संक्रमण है, तो आपको संभवतः एंटीबायोटिक्स दिए जाएंगे। सामान्य तौर पर, हृदय रोग के लिए निम्नलिखित उपचार किए जाते हैं -

  • जीवन शैली में परिवर्तन
    जीवन शैली में परिवर्तन में कम वसा वाला खाना लेना, कम सोडियम वाला आहार खाना, सप्ताह के अधिकांश दिनों में कम से कम 30 मिनट का मध्यम व्यायाम करना, धूम्रपान छोड़ना और शराब का सेवन सीमित करना शामिल हैं। (और पढ़ें - हृदय को स्वस्थ रखने के लिए एक्सरसाइज)
     
  • दवाएं
    अगर जीवनशैली में परिवर्तन पर्याप्त नहीं हैं, तो आपके चिकित्सक हृदय रोग को नियंत्रित करने के लिए दवाएं लिख सकते हैं। दवा का प्रकार हृदय रोग के प्रकार पर निर्भर करेगा।
     
  • चिकित्सा प्रक्रियाएं या सर्जरी
    अगर दवाएं पर्याप्त नहीं हैं, तो संभव है कि आपके डॉक्टर विशिष्ट प्रक्रियाओं या सर्जरी करने की सलाह दें। प्रक्रिया का प्रकार हृदय रोग के प्रकार और आपके दिल की क्षति पर निर्भर करेगा। (और पढ़ें - बाईपास सर्जरी)

(और पढ़ें - वॉल्व रिप्लेसमेंट सर्जरी)

हृदय रोग (दिल की बीमारी) की जटिलताएं - Heart Disease Risks & Complications in Hindi

ह्रदय रोग की जटिलताएं क्या हैं ?

  • दिल की विफलता - हृदय रोग की सबसे आम जटिलताओं में से एक, दिल की विफलता है जो तब होती है जब आपका दिल आपके शरीर की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त रक्त नहीं पंप कर पाता है।
  • दिल का दौरा - एक खून का थक्का जो रक्त वाहिका में रक्त के प्रवाह को अवरुद्ध करता है, से दिल का दौरा पड़ सकता है।
  • स्ट्रोक - हृदय रोगों के जोखिम कारक स्ट्रोक भी कर सकते हैं, जो तब होता है जब आपके मस्तिष्क की धमनियां संकुचित या अवरुद्ध हो जाती हैं जिससे बहुत कम खून आपके दिमाग तक पहुंचता है।
  • एन्यूरिज़्म (Aneurysm) - एन्यूरिज़्म एक गंभीर जटिलता जो आपके शरीर में कहीं भी हो सकती है। इसमें आपकी धमनी की दीवार में उभार आता है। अगर एन्यूरिज़्म फट जाए, तो आपको आंतरिक जानलेवा रक्तस्त्राव हो सकता है।


संदर्भ

  1. Center for Disease Control and Prevention [internet], Atlanta (GA): US Department of Health and Human Services; About Heart Disease
  2. National Heart, Lung, and Blood Institute [Internet]: U.S. Department of Health and Human Services; One in five women in the United States die from heart disease. But there’s a lot you can do to protect your heart.
  3. Center for Disease Control and Prevention [internet], Atlanta (GA): US Department of Health and Human Services; Heart Disease Fact Sheet
  4. MedlinePlus Medical Encyclopedia: US National Library of Medicine; How to Prevent Heart Disease
  5. National Organization for Rare Disorders. Endocarditis, Infective. [Internet]

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हृदय रोग के लिए बहुत दवाइयां उपलब्ध हैं। नीचे यह सारी दवाइयां दी गयी हैं। लेकिन ध्यान रहे कि डॉक्टर से सलाह किये बिना आप कृपया कोई भी दवाई न लें। बिना डॉक्टर की सलाह से दवाई लेने से आपकी सेहत को गंभीर नुक्सान हो सकता है।