धूल से एलर्जी - Dust Allergy in Hindi

Dr. Nadheer K M (AIIMS)MBBS

September 10, 2018

March 06, 2020

धूल से एलर्जी
धूल से एलर्जी

धूल से एलर्जी होना क्या है?

घर के अन्दर की धूल में पाए जाने वाले सूक्ष्म कीटों (Dust Mite या धूल कीट) से होने वाली एलर्जी को डस्ट एलर्जी या धूल से एलर्जी कहते हैं। डस्ट एलर्जी के लक्षण, हे फीवर (Hay Fever) जैसे हो सकते हैं, जैसे छींकें आना और नाक बहना आदि। जिन्हें डस्ट एलर्जी होती है उनमें से बहुतों में दमा के लक्षण भी दिखते हैं, जैसे गले में घरघराहट और सांस लेने में दिक्कत। 

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डस्ट माइट, किलनी और मकड़ी जैसी प्रजाति के होते हैं और बेहद सूक्ष्म होते हैं जिन्हें बगैर माइक्रस्कोप के नहीं देखा जा सकता है। डस्ट माइट मानव त्वचा से झड़ने वाली मृत कोशिका खाकर जिंदा रहते हैं और गरम तथा नम वातावरण में पनपते हैं। ज्यादातर घरों में ये डस्ट माइट बिस्तर, गद्देदार फर्नीचर या कालीन में पाए जाते हैं। 

यदि डस्ट माइट कम करने के उपाय करें तो इससे होने वाली एलर्जी पर भी नियंत्रण पाया जा सकता है। कई बार एलर्जी से उबरने और दमा को नियंत्रित रखने के लिए दवाओं और उपचार की जरुरत पड़ सकती है। 

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धूल से एलर्जी के लक्षण - Dust Allergy Symptoms in Hindi

धूल से एलर्जी के लक्षण क्या हैं?

श्वास नली में सूजन के कारण होने वाली डस्ट एलर्जी के लक्षण ऐसे हो सकते हैं -

यदि डस्ट एलर्जी से दमा हो जाये तो ये लक्षण दिख सकते हैं -

डस्ट एलर्जी की समस्या मामूली से गंभीर तक हो सकती है। यदि मामूली डस्ट एलर्जी है तो कभी-कभी नाक बहने, आँखों से पानी आना और छींकें आने जैसे लक्षण दिख सकते हैं। डस्ट एलर्जी गंभीर हो तो अक्सर यह पुराने रोग की स्थिति हो सकती है जिसमें छींकें आना, खांसी, बलगम का जमाव, चेहरे पर दबाव व दमे के गंभीर दौरे स्थाई लक्षण हो सकते हैं।

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डॉक्टर से कब संपर्क करें?

डस्ट एलर्जी के कुछ लक्षण जैसे नाक बहना या छींकें आना जुकाम जैसे हो सकते हैं। कई बार ये फर्क कर पाना मुश्किल हो जाता है कि आपको डस्ट एलर्जी है या जुकाम। यदि ये लक्षण, एक हफ्ते से ज्यादा समय बरकरार रहते हैं तो संभव है कि आपको एलर्जी हो। 

अगर नाक का बंद होना, सांस लेने में गरगराहट या सोने में दिक्कत होना जैसे गंभीर लक्षण दिख रहे हों तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें। यदि घरघराहट और सांस लेने की दिक्कत बढ़ जाये तो तुरंत आपातकालीन उपचार लें।

(और पढ़ें - जुकाम से कैसे छुटकारा पाएं)

धूल से एलर्जी के कारण - Dust Allergy Causes in Hindi

धूल से एलर्जी क्यों होती है?

जब रोग प्रतिरोधक तंत्र पराग कण, पालतू जानवर के बाल या डस्ट माइट जैसे बाहरी तत्वों को बर्दाश्त नहीं कर पाता तो एलर्जी हो जाती है। रोग प्रतिरोधक तंत्र एंटीबॉडी (एक तरह का प्रोटीन) बनाते है जो शरीर को संक्रमण से बचाते हैं और बीमारियों से लड़ने में मदद करते हैं। 

जब एलर्जी होती हैं तो रोग प्रतिरोधक तंत्र एंटीबॉडी बनाने लगता है जो एलर्जेन विशेष की पहचान हानिकारक तत्व के तौर पर कर लेता है यदि यह हानिकारक न भी हो तब भी। जब आपका शरीर एलर्जेन के संपर्क में आता है तो प्रतिरक्षा तंत्र नाक की नली या फेफड़ों में सूजन पैदा कर देता है। बार-बार एलर्जेन के संपर्क में आने से दमे से जुड़ी क्रोनिक सूजन भी हो सकती है। 

(और पढ़ें - फेफड़े में संक्रमण)

डस्ट माइट मानव त्वचा से झड़ने वाली मृत कोशिकाएं खाते हैं और पानी पीने के बदले वातावरण की नमी से पानी सोखते हैं। 

धूल में डस्ट माइट का मल और मृत माइट भी होते हैं इनके अवशेष में मौजूद प्रोटीन ही डस्ट एलर्जी का मुख्य कारण होते हैं। 

निम्न कारक डस्ट एलर्जी का खतरा बढ़ाते हैं -

  • परिवार में इस बीमारी का इतिहास - यदि आपके परिवार के सदस्यों को ऐसी एलर्जी पहले से है तो आपको भी हो सकती है। 
  • डस्ट माइट के संपर्क में आना - अगर आपके जीवन के शुरुआती दिनों में ऐसे माहौल में रहे हों जहां डस्ट माइट बहुत हों तो एलर्जी का जोखिम बढ़ता है। 
  • यदि आप बच्चे या युवक हों -  बचपन या युवावस्था के शुरुआती सालों में डस्ट माइट से एलर्जी होने का खतरा सबसे अधिक होता है।

(और पढ़ें - एलर्जी का इलाज)

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धूल से एलर्जी का परीक्षण - Diagnosis of Dust Allergy in Hindi

धूल से एलर्जी का निदान कैसे होता है?

डॉक्टर आपके लक्षणों के आधार पर और आपके घर के बारे में कुछ सवाल पूछ कर एलर्जी के बारे में पता करने की कोशिश करेंगे। 

यह तय करने के लिए कि आपको हवा में मौजूद किस तत्व से एलर्जी है, डॉक्टर रोशनी वाले एक यन्त्र के जरिये नाक के अन्दर की सतह की जांच करेंगे। अगर हवा में मौजूद किसी तत्व से एलर्जी है तो नाक के अन्दर वाली सतह में सूजन रहेगी और वह हलकी पीली या नीली दिखेगी। 

(और पढ़ें - सूजन के उपाय)

यदि सोते या सफाई करते समय (जिस समय एलर्जेन पदार्थ कुछ देर के लिए हवा में होते हैं) और भी बढ़ जाते हैं तो यह भी डस्ट एलर्जी का संकेत हो सकता है। अगर आपके पास कोई पालतू जानवर है और वह आपके कमरे में ही सोता है तो इससे आपकी एलर्जी के कारण का पता लगाना और भी मुश्किल हो सकता है।  

  • त्वचा की एलर्जी जांच -
    आपकी एलर्जी का कारण पता करने के लिए डॉक्टर एक स्किन (त्वचा) एलर्जी टेस्ट करवाने को कह सकते हैं। इस जांच के दौरान एलर्जेन की कुछ मात्रा और डस्ट माइट के सत् त्वचा पर लगायी जाती है। यह जांच अक्सर हाथ पर की जाती है लेकिन यह पीठ के ऊपरी हिस्से में भी की जा सकती है। (और पढ़ें - एलर्जी के घरेलू उपाय)

    जांच के 15 मिनट बाद डॉक्टर एलर्जी सम्बन्धी प्रतिक्रिया पर गौर करेंगे। यदि आपको डस्ट माइट से एलर्जी है तो त्वचा के जिस हिस्से पर डस्ट माइट का सत लगाया गया था, वह हिस्सा लाल पड़ जाएगा, उसमें खुजली होगी और वह हिस्सा उभरा सा दिखाई देगा। इस जांच के दुष्परिणाम आधे घंटे की भीतर खत्म हो जाते हैं। (और पढ़ें - खुजली के उपाय)
     
  • एलर्जी सम्बन्धी खून की जांच -
    जिन्हें त्वचा की कोई बीमारी हो या कोई ऐसी दवा लेते हैं जिससे जांच का नतीजा प्रभावित हो सकता है तो वे त्वचा की एलर्जी जांच नहीं करा सकते।विकल्प के तौर पर डॉक्टर आपको एक ब्लड टेस्ट (खून की जांच) करवाने की सलाह दे सकते हैं ताकि एलर्जी के कारण का पता लग सके। इस जांच से यह भी पता चलेगा कि आप एलर्जेन के प्रति कितने संवेदनशील हैं। 

(और पढ़ें - क्रिएटिनिन टेस्ट क्या होता है)

धूल से एलर्जी का इलाज - Dust Allergy Treatment in Hindi

डस्ट माइट का इलाज क्या है?

डस्ट माइट एलर्जी का पहला उपाय है कि हरसंभव डस्ट माइट से अपना बचाव करें। अगर आप डस्ट माइट के संपर्क में कम आते हैं तो एलर्जी होने का खतरा कम होगा। हालांकि डस्ट माइट को अपने वातावरण के पूरी तरह हटा पाना संभव नहीं है। लक्षणों पर नियंत्रण के लिए आपको इन उपचारों की जरूरत पड़ सकती है।

(और पढ़ें - तीव्रग्राहिता के उपचार)

एलर्जी की दवायें 

नाक की एलर्जी से लक्षणों में सुधार के लिए डॉक्टर ये दवाएं दे सकते हैं। 

  • एंटीहिस्टामाइन -
    ऐसी दवाएं प्रतिरक्षा तंत्र में ऐसे रसायन का उत्पादन कम करने के लिए दी जाती हैं जो एलर्जी के प्रति सक्रिय होते हैं। इनसे खुजली, छींक और नाक बहने जैसी परेशानियां कम होती हैं। (और पढ़ें - नकसीर फूटने का इलाज)
     
  • कॉर्टिकोस्टेरॉयड -
    इस समूह की दवाएं स्प्रे के रूप में दी जाती है। यह सूजन और परागज बुखार (हे फीवर) को कम करने में मदद करती है। स्प्रे के रूप में दिए जाने वाले कॉर्टिकोस्टेरॉयड के दुष्परिणाम (साइड इफेक्ट)  मुंह से ली जाने वाली दवाओं के मुकाबले कम होते हैं। (और पढ़ें - स्टेरॉयड के दुष्प्रभाव)
     
  • बंद नाक खोलने वाली दवाएं -
    ये दवाएं नासिका मार्ग के ऊतकों की सूजन को कम कर सकती हैं जिससे आपके लिए नाक से सांस लेना आसान हो जाता है। यह दवाई अक्सर आपके बी.पी को बढ़ा देती है। इसलिए यदि आपको उच्च रक्तचाप है  या काला मोतियाबिंद या फिर कोई दिल की बीमारी है तो ऐसी दवाएं न लें। जिन पुरुषों की पौरुष ग्रंथि(प्रोस्टेट) बढ़ी हुई हो तो इस दवा से उनकी परेशानी और बढ़ सकती है। ऐसी दवाएं लेने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लें। बगैर डॉक्टरी सलाह के लिए जाने वाले स्प्रे से आपको अस्थाई तौर पर आराम मिल सकता है। लेकिन यदि आप ऐसे स्प्रे का इस्तेमाल लगातार तीन दिन से ज्यादा तक करते हैं, तो इससे आपकी हालत और बिगड़ सकती है। (और पढ़ें - प्रोस्टेट बढ़ने के कारण
     
  • ल्यूकोट्रीन मॉडिफायर -
    ये दवाएं रोग प्रतिरोधक तंत्र के कुछ रसायनों की सक्रियता को रोकती है। इन दवाओं के संभावित दुष्परिणाम में ऊपरी श्वसन तंत्र में संक्रमण, सिर दर्द और बुखार शामिल है। इससे व्यवहार और मूड में बदलाव, अवसाद या तनाव जैसी भी कुछ समस्या हो सकती है। (और पढ़ें - अवसाद के उपाय)

अन्य उपचार 

  • इम्यूनोथेरेपी -
    आप अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को एलर्जेन के प्रति असंवेदनशील होना सिखा सकते हैं। यह कुछ एलर्जी के इंजेक्शन के माध्यम से किया जाता है जिसे इम्यूनोथेरेपी कहते हैं। आपको शुरुआत में हर हफ्ते एक या दो एलर्जेन के इंजेक्शन दिए जाते हैं। जैसे इस मामले में उस डस्ट माइट प्रोटीन का इंजेक्शन दिया जाता है जिससे एलर्जी हो। धीरे-धीरे इसकी खुराक बढ़ाई जाती है। आम तौर पर तीन से छह महीने की अवधि में। इस स्थिति को बरकरार रखने के लिए तीन से पांच साल तक हर चार हफ्ते पर इंजेक्शन की जरूरत पड़ती है। इस थेरेपी का इस्तेमाल अमूमन तब किया जाता है जब कोई अन्य उपचार काम नहीं आता। 
     
  • जल नेति -
    आप जल नेति की प्रक्रिया के लिए नेति पात्र या किसी बोतल का प्रयोग भी कर सकते हैं। नेति के लिए विशेष रूप से तैयार नमकीन पानी के साथ बलगम और साइनस से अन्य परेशानी पैसा करने वाले तत्व भी निकल आते हैं। अगर आप यह मिश्रण खुद बना रहे हैं तो ऐसे पानी का उपयोग करें जो साफ़ हो, उबालकर ठंडा किया गया हो या फिल्टर का पानी हो। इस्तेमाल के बाद नेति पात्र को शुद्ध पानी से ठीक से साफ कर सुखा लें।

(और पढ़ें - साइनस में क्या खाना चाहिए)

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धूल से एलर्जी की जटिलताएं - Dust Allergy Complications in Hindi

धूल से एलर्जी की जटिलताएं क्या हैं?

अगर आपको डस्ट एलर्जी है और आप इन डस्ट माइट या उनके अवशेष के संपर्क में आते हैं तो ये परेशानियां हो सकती हैं -

  • साइनस संक्रमण -
    डस्ट एलर्जी के कारण आपके नासिका मार्ग के ऊतकों में सूजन आ जाती है जिससे साइनस (खोखली कैविटी जो श्वास नली को जोड़ती हैं) अवरुद्ध हो सकता है। यह अवरोध साइनस के संक्रमण (sinusitis) का खतरा बढ़ा देता है। (और पढ़ें - साइनस के उपाय)
     
  • दमा -
    जिन्हें दमा और डस्ट एलर्जी दोनों हों उनके लिए दमा के लक्षणों पर नियंत्रण करना मुश्किल हो जाता है। उनमें दमा के दौरों का खतरा बढ़ जाता है जिसके लिए तुरंत डॉक्टरी इलाज या आपातकालीन देखभाल की जरूरत पड़ सकती है।

(और पढ़ें - दमा में क्या खाना चाहिए)



संदर्भ

  1. Lin Yang, Rongfei Zhu. Immunotherapy of house dust mite allergy. Hum Vaccin Immunother. 2017 Sep; 13(10): 2390–2396. PMID: 28853977
  2. Salo PM, Cohn RD, Zeldin DC. Bedroom Allergen Exposure Beyond House Dust Mites. Curr Allergy Asthma Rep. 2018 Aug 20;18(10):52. PMID: 30128784
  3. American College of Allergy, Asthma & Immunology. Dust Allergy. Illinois, United States. [internet].
  4. Better health channel. Department of Health and Human Services [internet]. State government of Victoria; House dust mite
  5. Asthma and Allergy Foundation of America. Allergy Facts and Figures. Maryland, United States. [internet].

धूल से एलर्जी की ओटीसी दवा - OTC Medicines for Dust Allergy in Hindi

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दवा का नाम

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