पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) और त्वचा पर अनचाहे बाल आने के बीच काफी मजबूत संबंध होता है। आमतौर पर पीसीओएस में अनचाहे बाल उगने की स्थिति को हर्सुटिज्म (Hirsutism) के नाम से जाना जाता है। हर्सुटिज्म में महिलाओं की त्वचा पर (पुरुषों की तरह) मोटे बाल उगने लग जाते हैं। आमतौर पर जन्म से ही महिलाओं के शरीर पर हल्के बाल होते हैं, जैसे ऊपरी होठ, ठोड़ी, छाती और पीठ आदि। लेकिन पीसीओएस जैसे हार्मोन संबंधी विकार विकसित होने पर उनकी त्वचा के बालों की संरचना बदल जाती है साथ ही वे अधिक मोटे व गहरे रंग के हो जाते हैं। पीसीओएस से ग्रस्त लगभग 70 प्रतिशत महिलाओं को त्वचा पर अनचाहे बाल (हर्सुटिज्म) आ जाते हैं। 

(और पढ़ें - अनचाहे बाल हटाने के घरेलू उपाय)

  1. पीसीओएस में अनचाहे बाल आने के कारण - PCOS Me Anchahe Baal Aane Ke Karan
  2. पीसीओएस में अनचाहे बालों का इलाज - PCOS Me Anchahe Baalon Ka Ilaaj

पीसीओएस में त्वचा पर अनचाहे बाल क्यों आते हैं?

इसके निम्न कारण हो सकते हैं, जैसे:

  • एंड्रोजन हार्मोन अधिक मात्रा में बनना:
    एंड्रोजन हार्मोन महिलाओं व पुरुषों दोनो के शरीर में स्रावित होता है, लेकिन इसका स्राव महिलाओं के मुकाबले पुरुषों में अधिक होता है। एक स्वस्थ महिला के शरीर में एंड्रोजन अंडाशय और एड्रिनल ग्रंथि द्वारा स्रावित किया जाता है। पीसीओएस के मामलों में एंड्रोजन का स्तर बढ़ने लग जाता है। एंड्रोजन का बढ़ा हुआ स्तर महिलाओं की त्वचा पर आने वाले बालों की मोटाई व उनके बढ़ने की गति को बढ़ा देता है।
     
  • एंड्रोजन के प्रति बाल अत्यधिक संवेदनशील हो जाना:
    आमतौर पर बाल एंड्रोजन के प्रति संवेदनशील होते हैं, इसलिए जब महिलाओं के शरीर में एंड्रोजन का स्तर बढ़ता है तो इससे बालों की संरचना में बदलाव आ जाता है और मोटाई बढ़ जाती है।
     
  • इन्सुलिन रेसिसटेंसस:
    इन्सुलिन प्रतिरोध होना भी पीसीओएस संबंधी एक समस्या होती है, जिसके परिणामस्वरूप हाइपरइन्सुलिनोमा हो जाता है। हाइपरइन्सुलिनोमा फैटी ऊतकों (एडीपोज टिश्यु) से एंड्रोजन बनने की प्रक्रिया को उत्तेजित कर देता है, जिसके कारण भी अधिक मात्रा में त्वचा पर ऊतक बढ़ने लग जाते हैं।

(और पढ़ें - पीसीओएस में क्‍या खाएं

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पीसीओएस में अनचाहे बालों का इलाज कैसे करें?

महिलाओं के शरीर पर पुरुषों की तरह बाल आने लगना, उनके आत्मविश्वास को कमजोर बना सकता है। आमतौर पर पीसीओएस व हर्सुटिज्म से ग्रस्त महिलाएं मानसिक रूप से काफी प्रभावित रहती हैं। हालांकि कुछ तरीके हैं, जिनकी मदद से शरीर में कहीं भी विकसित हो रहे अनचाहे बालों से छुटकारा पाया जा सकता है। इसमें कई ऐसे सर्वोतम तरीके मौजूद हैं, जिनकी मदद से अनचाहे बालों को जड़ समेत निकाल दिया जाता है।

हर्सुटिज्म या अनचाहे बालों का इलाज करवाने के दौरान थोड़ा इंतजार करना चाहिए, क्योंकि बालों के रोम (Hair follicle) का जीवन चक्र 6 महीने में पूरा होता है। इसीलिए इलाज का रिजल्ट दिखने में भी 6 महीने का समय लग जाता है। इस दौरान अनचाहे बालों से बचने के लिए कुछ अन्य वैकल्पिक दवाओं का इस्तेमाल भी किया जा सकता है, जैसे:

पीसीओएस हेयर रिमूवल

  • शेविंग:
    यह अनचाहे बालों को हटाने का सबसे आम व सरल तरीका है। हालांकि इसे नियमित रूप से करना पड़ता है।
     
  • वैक्सिंग:
    इस प्रक्रिया के दौरान त्वचा पर गर्म वैक्स लगाई जाती है, फिर उस पर एक वैक्सिंग शीट लगाई जाती है। वैक्स के ठंडा होने के बाद शीट को खींचा जाता है, जिसमें बाल जड़ समेत निकल जाते हैं। यदि यह प्रक्रिया उचित तरीके से ना की जाए तो, ऐसे में बाद में त्वचा पर थोड़ी लालिमा व सूजन भी आ सकती है। हेयर वैक्सिंग के 2 से 3 हफ्ते के बाद बाल फिर से उग जाते हैं।
     
  • डेपीलेटरी और ब्लीचिंग क्रीम:
    डेपीलेटरी क्रीम बालों को घोलने का काम करती है जबकि ब्लीचिंग क्रीम बालों का रंग बदल कर त्वचा जैसा बना देती है। कुछ महिलाओं को इन क्रीम में पाए जाने वाले केमिकल एजेंट से सेंसिटीविटी भी हो सकती है। इसलिए इस्तेमाल करने से पहले इन क्रीम की थोड़ी सी मात्रा को अपनी त्वचा पर लगाकर टेस्ट कर लेना चाहिए।
     
  • इलेक्ट्रोलिसिस (Electrolysis):
    बालों को हटाने के लिए की जा रही इस प्रक्रिया में, एक छोटी सुई को त्वचा में रोम कूपों की गहराई तक डाला जाता है और फिर इसके माध्यम से एक निश्चित मात्रा में करंट छोड़ा जाता है। इस प्रक्रिया से भी बालों को त्वचा से हटाया जा सकता है। इलेक्ट्रोलिसिस प्रक्रिया का इस्तेमाल आमतौर पर त्वचा के छोटे क्षेत्रों के लिए किया जाता है। हालांकि इसे कई बार करके त्वचा के एक बड़े भाग के लिए भी किया जा सकता है। लेकिन यह प्रक्रिया अपेक्षाकृत महंगी होती है और इसमें दर्द भी अधिक होता है।
     
  • क्रीम:
    तेजी से बढ़ रहे अनचाहे बालों को रोकने के लिए एफ्लोरनीथिन हाइड्रोक्लोराइड (Eflornithine Hydrochloride) क्रीम का इस्तेमाल किया जाता है। यह क्रीम बालों को पूरी तरह से नहीं हटा पाती है और इसका रिजल्ट 6 से 8 हफ्तों के बाद दिखता है। इस क्रीम का इस्तेमाल करना छोड़ देने के 8 हफ्तों के भीतर बाल फिर से उगने लग जाते हैं।

पीसीओएस में वजन घटाना

महिलाओं के शरीर का वजन कम होने के साथ-साथ उनके शरीर में एंड्रोजन हार्मोन बनने का स्तर भी काफी हद तक कम हो जाता है। ऐसा होने पर हर्सुटिज्म और इससे संबंधित अन्य लक्षण कम होने लग जाते हैं। यहां तक कि वजन कम करने पर अनियमित रूप से हो रहे मासिक धर्म में भी सुधार हो जाता है।

पीसीओएस के लिए दवाएं

डॉक्टर व स्वास्थ्य विशेषज्ञ पीसीओएस को कंट्रोल करने के लिए कुछ विशेष प्रकार की दवाएं दे सकते हैं। ये दवाएं पीसीओएस और हर्सुटिज्म दोनों को एक साथ कंट्रोल कर लेती हैं। इनमें निम्न दवाएं शामिल हो सकती हैं, जैसे:

  • गर्भनिरोधक गोलियां:
    खाई जाने वाली कुछ तरह की गर्भनिरोधक गोलियां भी सीरम में एंड्रोजन के स्तर को कम करती हैं और अंडाशय में एंड्रोजन स्रावित होने से रोकती है। एंडोक्राइन सोसायटी नामक एक मेडिकल कंपनी के अनुसार जो महिलाएं गर्भधारण नहीं कर रही हैं, उनको इलाज के रूप में सबसे पहले गर्भनिरोधक गोलियां ही दी जाती हैं। गर्भनिरोधक गोलियां अनियमित मासिक धर्म को भी सामान्य अवधि में लाने में मदद करती हैं।
     
  • एंटी-एंड्रोजन:
    ये दवाएं एंड्रोजन के स्राव को रोक देती हैं, जिससे बालों के रोमकूप उसके संपर्क में बहुत ही कम आ पाते हैं। जो महिलाएं गर्भधारण करना चाहती हैं, ये दवाएं उनको नहीं दी जाती हैं क्योंकि इससे गर्भ में पल रहे शिशु में जन्म संबंधी विकार हो सकते हैं। कुछ स्थितियों में एंडोक्राइन सोसायटी एंटी-एंड्रोजन दवाएं लेने से मना करती है, क्योंकि ये दवाएं लिवर फेलियर का कारण भी बन सकती हैं।
  • इन्सुलिन लोअरिंग एजेंट:
    जैसा कि इसके नाम से पता चलता है। इन दवाओं का इस्तेमाल पीसीओएस से ग्रस्त महिलाओं के शरीर में इन्सुलिन के स्तर को कम करने के लिए किया जाता है। इनमें मुख्य रूप से मेटाफोर्मिन शामिल है। ये दवाएं पीसीओएस से संबंधित लक्षणों को कम कर देती हैं, जिनमें अनचाहे बाल आने की समस्या भी कम हो जाती है। हालांकि कभी-कभी ये दवाएं धीरे-धीरे काम कर पाती हैं। 

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