बच्चों की बीमारी को लेकर हर माता-पिता चिंतित रहते हैं। शुरुआती दिनों में बच्चों को कई तरह के रोग होने की संभावनाएं अधिक होती है। स्तनपान करने वाले बच्चों का मां के दूध से कई रोगों से बचाव होता है, जबकि बड़े बच्चों को सही तरह से पके और पौष्टिक आहार से बीमारियों से बचाया जा सकता है।

लेकिन रोग फैलने के कई कारण (जैसे कीट और कीटाणु) ऐसे भी होते हैं जिनसे बच्चों को सुरक्षित रखना थोड़ा मुश्किल होता है। घर में मौजूद मच्छर बच्चों को बीमार करने का प्राथमिक कारण माने जाते हैं, इनकी वजह से ही बच्चों में डेंगू होता है। यदि डेंगू का सही समय पर इलाज न किया गया तो यह रोग बच्चों के लिए घातक साबित हो सकता है। 

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इस लेख में आपको बच्चों में डेंगू के बारे में विस्तार से बताया गया है। साथ ही इसमें आपको बच्चों में डेंगू के लक्षण, बच्चों में डेंगू के कारण, बच्चों का डेंगू से बचाव और बच्चों के डेंगू का इलाज आदि विषयों को भी विस्तार से बताने का प्रयास किया गया है। 

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  1. बच्चों में डेंगू के लक्षण - Bacho me dengue ke lakshan
  2. बच्चों में डेंगू के कारण - Bacho me dengue ke karan
  3. बच्चों का डेंगू से बचाव - Bacho ka dengue se bachav
  4. बच्चों का डेंगू से इलाज - Bacho ka dengue se ilaj

पहले डेंगू को “ब्रेकबोन फीवर” के नाम से जाना जाता था। ऐसा इसलिए कहा जाता था क्योंकि इस रोग में मरीज को हड्डी के टूटने जैसा अनुभव होता है। डेंगू के वायरस से संक्रमित होने के बाद व्यक्ति या बच्चे को चार से छह दिनों के बाद बुखार आना शुरू हो जाता है, जो करीब दस दिनों तक रहता है। डेंगू होने पर बच्चों में निम्नलिखित लक्षण दिखाई देते हैं।

कई बार बच्चों में डेंगू के लक्षण प्रमुखता से दिखाई नहीं देते हैं और इसको अन्य वायरल इन्फेक्शन समझ लिया जाता है। कुछ दुर्लभ मामलों में डेंगू गंभीर स्थिति में पहुंच जाता है, इसको डेंगू हिमोरैगिक फीवर (dengue hemorrhagic fever) और डेंगू शॉक सिंड्रोम (dengue shock syndrome) कहते हैं। यह एक घातक स्थिति होती है। डेंगू हिमोरैगिक फीवर के दौरान बच्चें में डेंगू के लक्षण दो से सात दिनों तक रहते हैं। बुखार ठीक होने पर अन्य लक्षण गंभीर होने लगते हैं और यह कुछ अन्य संकेतों को गंभीर कर देते हैं, जैसे:

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डेंगू का वायरस एडीस (aedes) प्रजाति के मच्छर से फैलता है। इस मच्छर को मादा टाइगर भी कहा जाता है। जब वायरस व्यक्ति के खून में पहुंचता है, तो यह सक्रिय होकर डेंगू का कारण बनता है। यह मच्छर नमी और गर्म वातावरण में पनपते हैं। यही कारण है कि मानसून के मौसम में जब जगह जगह पानी भर जाता है तो यह मच्छर तेजी से बढ़ते हैं। इसी समय डेंगू के मामलों में भी इजाफा होता है।

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व्यक्ति के संक्रमित होने के बाद डेंगू का वायरस 2-7 दिनों तक रक्त में फैलता है। अगर डेंगू से संक्रमित व्यक्ति को मादा टाइगर मच्छर काट ले, तो वह मच्छर भी संक्रमित हो जाता है। इसके बाद दूसरे लोगों को काटकर ये मच्छर उनको भी संक्रमित कर देता है।

इस प्रजाति का मच्छर सामान्यतः दिन व शाम के समय सक्रिय होकर व्यक्तियों को काटते हैं। डेंगू के मच्छरों के पैर और शरीर में काले और सफेद रंग की धारियां होती है, इससे भी आप इनको पहचान सकते हैं। डेंगू एक संक्रामक रोग नहीं है, यह छूने से नहीं फैलता है। 

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बच्चों को डेंगू से बचाव के लिए कई उपाय आजमा सकते हैं। यह उपाय केवल बचाव के लिए ही नहीं बल्कि बच्चे को डेंगू होने के बाद भी इसके लक्षणों को कम करने के लिए ये उपाय अपना सकते हैं। इस रोग से बच्चे को सुरक्षित रखने के लिए आपको नीचे बताए गए उपायों को आजमाना चाहिए।

  • डेंगू के मच्छर साफ और ठहरे हुए पानी में पनपते हैं। ऐसे में आपको यह ध्यान रखना चाहिए कि घर के आसपास ऐसी कोई जगह न हो जहां पर पानी जमा होता हो, साथ ही घर की छत पर पानी भरने वाली टंकी आदि को ढककर ही रखें। (और पढ़ें - बच्चों की सेहत के इन लक्षणों को न करें नजरअंदाज)
  • यदि आप घर के खिड़की दरवाजों को खुला रखते हैं तो ऐसे में उन पर मच्छर दानी की तरह पतला नेट लगाएं या जाली वाला गेट लगाएं। अगर आपका नेट कहीं से कटा हो तो उसे रिपेयर कर लें, क्योंकि इससे भी आपके घर में मच्छर आ सकते हैं। घर के खिड़की दरवाजों को दोपहर होते ही ढक दें और यदि आपके घर के आसपास मच्छर ज्यादा हों, दरवाजों और खिड़की में दोपहर के साथ ही रात को भी जाली से ढककर रखें। (और पढ़ें - नवजात शिशु के निमोनिया का इलाज)
  • बच्चे को मच्छरों से दूर रखने के लिए आप मच्छरों को मारने वाली दवाओं का भी इस्तेमाल कर सकती है। लेकिन इन दवाओं को इस्तेमाल करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह अवश्य लें। (और पढ़ें - दो साल के बच्चे को क्या खिलाना चाहिए)
  • बच्चे को गंदगी और मिट्टी वाली जगह में ना खेलने दें, क्योंकि ऐसी जगहों पर डेंगू फैलाने वाले मच्छर अधिक होते हैं। यदि बच्चा ऐसी जगह पर खेलकर आ रहा है तो घर आने पर उसके हाथ पैर अच्छी तरह से धुलवाएं।
  • बच्चे के पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनाएं। (और पढ़ें - बच्चों को भूख न लगने का कारण​)
  • बच्चे के सोने वाली जगह पर भी आप मच्छरदानी को लगाएं। इससे बच्चे की नींद भी बार-बार नहीं खुलती है और वह चैन की नींद ले पाता है। (और पढ़ें - बच्चे को नहलाने का तरीका)
  • अगर संभव हो तो घर में एसी लगाएं, क्योंकि मच्छर ठंड़े माहौल में जीवित नहीं रह पाते हैं।  

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बच्चों के डॉक्टर बच्चे के खून में मौजूद डेंगू के वायरस की जांच व पुष्टि के बाद ही डेंगू का इलाज शुरू करते हैं। वहीं कई विशेषज्ञ बच्चे के मात्र बुखार से ही इस रोग की पहचान कर लेते हैं। डॉक्टर आपके बच्चे में बुखार के लक्षण और मच्छर के काटने आदि के बारे में कुछ सवाल पूछ सकते हैं। ब्लड रिपोर्ट इस संक्रमण की गंभीरता और प्लेटलेट्स पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों को दर्शाती है। 

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अभी तक भारत में डेंगू के इलाज के लिए कोई दवा या टीका मौजूद नहीं हैं। लेकिन लक्षणों को कम करने, शरीर को आराम पहुंचाने और संक्रमण से लड़ने के लिए कई तरीके मौजूद हैं। इस संक्रमण में बच्चे के शरीर पर दबाव पड़ता है और उसको ठीक होने के लिए आराम की आवश्यकता होती है।

यदि आपका बच्चा उल्टी कर रहा हो तो ऐसे में उसके शरीर के पानी का स्तर सामान्य रखना जरूरी होता है, जिसके लिए आप स्तनपान व बाहरी डिब्बे वाला दूध बच्चे को अधिक मात्रा में दें। अगर बच्चा बड़ा हो तो उसके आहार में तरल खाद्य पदार्थों को शामिल करें।

यदि बच्चा तरल पदार्थ वाला आहार लेने से मना कर दें या उसको निगलने में परेशानी हो रही हो, तो डॉक्टर इलेक्ट्रोलाइटिक और शरीर में पानी के स्तर को बनाए रखने के लिए उसको नसों के माध्यम से पोषक तत्वों को प्रदान कर सकते हैं। इसको फ्लूइड थेरेपी (Fluid therapy) कहा जाता है। इस थेरेपी के बाद डेंगू के लक्षण कम होने लगते हैं और बच्चे को अन्य समस्या नहीं होती है।

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डेंगू के बुखार को कम करने के लिए डॉक्टर एसिटामिनोफेन दे सकते हैं। बुखार कम होने पर आपके बच्चे को निरंतर उल्टियां होने लगे, तो यह हिमोरैगिक डेंगू फीवर जैसी गंभीर स्थिति का संकेत होता है। ऐसे में आप अपने बच्चे को तुरंत किसी नजदीकी अस्पाल में लेकर जाएं। 

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