एसपरजिलस एक प्रकार का फंगस (कवक) है, जो वातावरण में भरपूर मात्रा में मौजूद होता है। ज्यादातर लोग सांस लेने के दौरान एसपरजिलस को अपने अंदर ले लेते हैं और उनके स्वास्थ्य पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। हालांकि, जिन लोगों की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है, उनके अंदर ये फंगस संक्रमण और एलर्जी पैदा कर सकते हैं। कुछ लोगों में एसपरजिलस संक्रमण होने का खतरा अधिक होता है, जिनमें कैंसर, टीबी, एम्फसीमा और सिस्टिक फाइब्रोसिस के मरीज शामिल हैं।

एस्परजिलोसिस, एसपरजिलस के कारण होने वाला सबसे आम संक्रमण है। यह श्वसन तंत्र को प्रभावित करने वाला रोग है, जो नाक के वायुमार्गों में एसपरजिलस की वृद्धि होने पर होता है। एसपरजिलोसिस संक्रमण के सबसे गंभीर प्रकार को "इनवेसिव एसपरजिलोसिस" के नाम से जाना जाता है। इस स्थिति में संक्रमण रक्तवाहिकाओं और ऊतकों में फैल जाता है। यदि इनवेसिव एसपरजिलोसिस का समय पर इलाज न किया जाए तो इसके कारण मरीज की मृत्यु भी हो सकती है।

जब कोई व्यक्ति इनवेसिव एसपरजिलोसिस से ग्रस्त होता है, तो एसपरजिलस एक विशेष प्रकार के प्रोटीन को खून में स्रावित कर देता है। इस प्रोटीन को गैलेक्टोमेनन कहा जाता है। इसलिए इस गंभीर संक्रमण का परीक्षण करने के लिए एसपरजिलस गैलेक्टोमेनन एंटीजन टेस्ट किया जाता है।

(और पढ़ें - एस्परजिलस एंटीबॉडी पैनल क्या है)

  1. एसपरजिलस एंटीजन (गैलेक्टोमेनन) टेस्ट क्यों किया जाता है - Aspergillus antigen test kyoj kiya jata hai
  2. एसपरजिलस एंटीजन (गैलेक्टोमेनन) टेस्ट से पहले - Aspergillus antigen test se pahle
  3. एसपरजिलस एंटीजन (गैलेक्टोमेनन) टेस्ट के दौरान - Aspergillus antigen test ke dauran
  4. एसपरजिलस एंटीजन टेस्ट केे रिजल्ट का क्या मतलब है - Aspergillus antigen test ke result ka kya matlab hai

यदि आपके शरीर में इनवेसिव एसपरजिलोसिस के लक्षण दिखाई दे रहे हैं, तो डॉक्टर यह टेस्ट करवाने की सलाह दे सकते हैं। इनवेसिव एसपरजिलोसिस से शरीर का जो अंग प्रभावित हुआ है, उसके अनुसार इसके लक्षण भी अलग-अलग हो सकते हैं। हालांकि, इस संक्रमण में देखे जाने वाले कुछ आम लक्षणों में निम्न शामिल हैं :

कुछ गंभीर मामलों में निम्न लक्षण भी देखे जा सकते हैं जैसे :

आमतौर पर इस संक्रमण का परीक्षण करने के लिए प्रभावित ऊतकों का सैंपल चाहिए होता है। लेकिन कुछ मामलों में मरीज का स्वास्थ्य अधिक नाजुक होने के कारण ये सैंपल लेना थोड़ा कठिन हो सकता है, क्योंकि इसमें त्वचा पर चीरा देने की आवश्यकता पड़ती है।

दूसरी ओर, खून में गैलेक्टोमेनन की जांच करने के लिए किसी प्रकार का चीरा लगाने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। इस टेस्ट प्रक्रिया के परिणाम भी सात से चौदह (अपेक्षाकृत जल्दी) दिन में आते हैं, जिसमें समय पर इलाज शुरू करने में भी मदद मिलती है।

जिन लोगों का पहले ही इनवेसिव एसपरजिलोसिस का इलाज चल रहा है, उनका भी यह टेस्ट किया जा सकता है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि इलाज कितने अच्छे से काम कर पा रहा है।

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एसपरजिलस एंटीजन टेस्ट करने से पहले डॉक्टर कुछ विशेष खाद्य पदार्थों को खाने से मना कर सकते हैं, जैसे चावलपास्ता आदि जिनमें गैलेक्टोमेनन होता है।

यदि साइटोटॉक्सिक थेरेपी, इरिडेशन या ग्राफ्ट-वर्सेस-होस्ट-डिजीज के कारण भी पेट की अंदरूनी परत में कोई क्षति हो गई है, तो उससे भी टेस्ट के परिणाम प्रभावित हो सकते हैं।

क्रोनिक ग्रैन्युलोमेटस डिजीज और जॉब सिंड्रोम जैसे रोग भी एसपरजिलस (गैलेक्टोमेनन) एंटीजन टेस्ट के रिजल्ट को प्रभावित कर सकते हैं।

इसलिए टेस्ट करवाने से पहले ही डॉक्टर को अपने स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं और आप कैसा भोजन खाते हैं इस बारे में बता दें। जरूरत पड़ने पर डॉक्टर टेस्ट से पहले आपके आहार में कुछ परिवर्तन करने के लिए कह सकते हैं।

इसके अलावा यदि आप किसी भी प्रकार की दवा, हर्बल प्रोडक्ट या फिर कोई सप्लीमेंट ले रहे हैं, तो इस बारे में डॉक्टर को बता दें। ऐसा इसलिए क्योंकि एमोक्सिसीलिन और पिपेरेसिलिन जैसी कुछ दवाएं हैं, जो एसपरजिलस एंटीजन टेस्ट के परिणाम को प्रभावित कर सकती हैं।

यह टेस्ट ब्लड सैंपल या ब्रोंकोएल्विओलर लैवेज फ्लूइड सैंपल दोनों पर किया जा सकता है।

ब्लड टेस्ट

इसके लिए डॉक्टर आपकी बांह की नस से पर्याप्त मात्रा में खून का सैंपल निकाल लेंगे। नस में सुई लगने के दौरान आपको हल्की सी चुभन व दर्द महसूस हो सकता है। हालांकि, यह कुछ ही समय में कम हो जाता है। खून निकलने के बाद कुछ लोगों को चक्कर भी आ सकता है और सुई लगी जगह पर छोटा सा नील भी पड़ सकता है। ये समस्याएं भी आम हैं और कुछ ही समय में ठीक हो जाती हैं। हालांकि, यदि इनमें से कोई भी समस्या ठीक नहीं हो रही है, तो डॉक्टर से इस बारे में बात कर लेनी चाहिए।

ब्रोन्कोएल्विओलर लैवेज

इस प्रक्रिया में प्रभावित जगह से ऊतकों का एक छोटा सा टुकड़ा सैंपल के रूप में निकाल लिया जाता है। उदाहरण के लिए यदि यह संक्रमण फेफड़ों में हुआ है, तो सैंपल लेने के लिए इस प्रकिया का पालन करना चाहिए :

  • इस प्रक्रिया में एक ब्रोंकोस्कोप ट्यूब ली जाती है और उसे फेफड़ों के उस हिस्से तक डाला जाता है जहां पर सबसे अधिक संक्रमण है।
  • फेफड़ों में 50 मिली लीटर सेलाइन द्रव डाल दिया जाता है।
  • इसके बाद डॉक्टर कुछ सेकेंड के लिए इंतजार करते हैं और फिर एक प्रेशर मशीन के साथ इस द्रव को पूरी तरह से चूस कर निकाल दिया जाता है।
  • इस प्रक्रिया को तीन बार किया जाता है और फिर इस सैंपल को लैब में परीक्षण करने के लिए भेज दिया जाता है।
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सामान्य रिजल्ट

यदि व्यक्ति स्वस्थ है, तो इस टेस्ट का रिजल्ट नेगेटिव आता है। यदि एसपरजिलस एंटीबॉडी टेस्ट का रिजल्ट नेगेटिव आता है, तो इसका मतलब है कि यह शरीर में एसपरजिलस एंटीबॉडी मौजूद नहीं हैं। टेस्ट के नेगेटिव होने के लिए सीरम की वैल्यू 0.5 या उससे नीचे और ब्रोंकोएल्वियोलर की वैल्यू 1 से 2 के बीच आना जरूरी है, इन्हें कट-ऑफ वैल्यू कहा जाता है। यदि नेगेटिव रिजल्ट आने के बाद भी डॉक्टर को संक्रमण होने का संदेह होता है, तो वे फिर से टेस्ट करवाने की सलाह भी दे सकते हैं।

असामान्य रिजल्ट

यदि टेस्ट की वैल्यू कट-ऑफ से अधिक आ रही है, तो टेस्ट के रिजल्ट को पॉजिटिव माना जाता है। पॉजिटिव रिजल्ट संकेत देता है कि आपके शरीर में एसपरजिलस एंटीबॉडी मौजूद हैं, जिसका मतलब है कि आपको इनवेसिव एस्परजिलोसिस संक्रमण है। परीक्षण के दौरान इस टेस्ट के साथ कुछ अन्य टेस्ट भी किए जा सकते हैं जैसे हिस्टोलॉजिकल एक्जाम ऑफ बायोप्सी, माइक्रोबायोलॉजिकल कल्चर या रेडियोग्राफिक एविडेंस।

यदि सभी के परिणाम पॉजिटिव आते हैं, तो टेस्ट को उसी सैंपल के अन्य भाग पर किया जाना चाहिए और बाद में टेस्ट करने के लिए अन्य सैंपल लिया जाना चाहिए। यदि अलग-अलग सैंपल लेने पर भी दो या अधिक टेस्टों का रिजल्ट पॉजिटिव आता है, तो इनवेसिव एस्परजिलोसिस इन्फेक्शन की पुष्टि हो जाती है।

कुछ स्थितियों में, इनवेसिव एस्परजिलोसिस संक्रमण न होने के बावजूद भी यह टेस्ट पॉजिटिव रिजल्ट दे सकता है। ऐसा निम्न स्थितियों में देखा जाता है :

  • कुछ प्रकार की एंटीबायोटिक दवाएं लेना जैसे पाइपरेसिलिन/टेजोबैक्टम और एमोक्सिलिन/सल्बैक्टम।
  • कुछ अन्य दवाएं लेना जैसे मेरोपेनम और सेफ्लोस्पोरिन।
  • कुछ प्रकार के खाद्य पदार्थों का सेवन करना जैसे पास्ता या दही आदि।
  • आंत संबंधी कुछ विकारों से ग्रस्त लोग (जैसे जिन लोगों को कीमोथेरेपी के बाद म्यूकोसाइटिस हो जाता है)

कुछ मामलों में यह भी संभव है कि इनवेसिव एस्परजिलोसिस इन्फेक्शन मौजूद होने पर भी टेस्ट के रिजल्ट नेगेटिव आते हैं। ऐसा निम्न स्थितियों में हो सकता है :

  • कुछ विशेष एंटीफंगल दवाएं लेना जैसे प्रोफिलैक्सिस के लिए इट्राकोनाजॉल और पोसेकोनाजॉल दवाएं लेना।
  • संक्रमण के शुरुआती चरणों में गैलेक्टोमेनन विकसित नहीं हो पाता है, जिसके कारण भी टेस्ट रिजल्ट नेगेटिव आ सकते हैं।

संदर्भ

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