लेप्टोस्पाइरा एंटीबॉडीज टेस्ट लेप्टोस्पायरोसिस के लिए किया जाने वाला एक परीक्षणात्मक टेस्ट है। लेप्टोस्पायरोसिस एक संक्रामक रोग है जो लेप्टोस्पाइरा इंटेरोगंस बैक्टीरिया से होता है। हालांकि, यह टेस्ट रक्त में इस बैक्टीरिया की पहचान न कर के लेप्टोस्पाइरा एंटीबॉडीज के स्तर की जांच करता है।

लेप्टोस्पायरोसिस एक ज़ूनोटिक संक्रमण (जानवरों द्वारा फैलाया जाने वाला) है जो कि संक्रमित पानी और भोजन से फैलता है। यह बैक्टीरिया संक्रमित जानवरों जैसे कुत्ते, गाय, सूअर या घोड़ों के यूरिन में मौजूद होता है जो कि बाद में पेड़-पौधों अंदर और मिट्टी के जरिये साफ पानी में चला जाता है। यह बैक्टीरिया आपके शरीर में त्वचा पर लगी चोट और म्यूकस मेम्ब्रेन (नाक, गले, मुंह और जननांगों की नम परत) के द्वारा भी प्रवेश कर सकता है।

बैक्टीरिया के शरीर में जाने के बाद हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली इसके खिलाफ विशेष प्रोटीन या एंटीबॉडीज बनाने लगती है। किसी भी तरह का संक्रमण होने के दौरान शरीर दो प्रकार के एंटीबॉडीज बनाता है - आईजीजी और आईजीएम। आईजीएम बाद में बनता है और लंबे समय तक रहता है। हालांकि, किसी भी एंटीबॉडी को रक्त में दिखाई देने में दस से चौदह दिन का वक्त लग जाता है।

दुनिया में कई तरह के सेरोवार मौजूद हैं। यह ऐसे सूक्ष्मजीवों का समूह होता है जिनके लक्षण एक जैसे होते हैं लेकिन एंटीजन थोड़े अलग होते हैं या ये शरीर को अलग तरह के एंटीबॉडीज बनाने के लिए उत्तेजित करते हैं। लेप्टोस्पाइरा सेरोवार जो कि आमतौर पर भारत में पाए जाते हैं, उनमें लेप्टोस्पाइरा अंडमान, एल.पोमोना, एल.हैब्डोमडिस, एल.सेमोरांगा, एल.जेवनिका,  एल.ग्रिप्पोटायफोसा और एल.कनिकोला शामिल हैं।

लेप्टोस्पायरोसिस आमतौर पर महिलाओं से ज्यादा पुरुषों को प्रभावित करता है, ऐसा इसीलिए हो सकता है क्योंकि पुरुष संक्रमित वातावरण में महिलाओं की अपेक्षा ज्यादा काम करते हैं। किसान, पशुओं के डॉक्टर, सैनिक, मछुआरे और कसाइयों को इस रोग का अधिक खतरा होता है।

  1. लेप्टोस्पाइरा एंटीबॉडीज पैनल टेस्ट क्यों किया जाता है - Leptospira antibody Test kyon kiya jata hai
  2. लेप्टोस्पाइरा एंटीबॉडीज पैनल टेस्ट से पहले - Leptospira antibody Test in Hindi
  3. लेप्टोस्पाइरा एंटीबॉडीज पैनल टेस्ट के दौरान - Leptospira antibody Test ke dauran
  4. लेप्टोस्पाइरा एंटीबॉडीज पैनल टेस्ट के परिणाम का क्या मतलब है - Leptospira antibody Test ke result ka kya matlab hai

लेप्टोस्पाइरा एंटीबॉडीज टेस्ट लेप्टोस्पायरोसिस का परीक्षण करने के लिए किया जाता है। इस टेस्ट की मदद से लेप्टोस्पायरोसिस की तरह होने वाले संक्रमण जैसे फाल्सीपेरम मलेरिया, डेंगू, स्क्रब टाइफस, टाइफाइड और वायरल हेपेटाइटिस से अलग करता है। लेप्टोस्पायरोसिस के लक्षण आमतौर पर संक्रमण होने के दस दिन में दिखाई देते हैं लेकिन बैक्टीरिया के संपर्क में आने के दो से तीस दिन तक इसके लक्षण विकसित हो सकते हैं। 

संक्रमण की पहली अवस्था पांच से सात दिन होती है, जिसमें हल्के लक्षण दिखाई देते हैं, जैसे:

दुर्लभ मामलों में, शुरुआती लक्षणों के साथ-साथ तीन से चार दिनों में द्वितीय अवस्था के लक्षण दिखाई देने लगते हैं। इस अवस्था में गंभीर लक्षण दिखाई देते हैं व अंदरुनी अंग डैमेज भी हो सकता है और इसे वेल्स रोग कहते हैं। द्वितीय अवस्था में निम्न लक्षण दिखाई दे सकते हैं :

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इस टेस्ट के लिए किसी भी तैयारी की जरूरत नहीं होती। आप जो भी दवाएं ले रहे हैं इनके बारे में डॉक्टर को बता दें।

डॉक्टर या नर्स आपकी बांह की नस में सुई लगाकर एक शीशी में ब्लड सैंपल ले लेंगे। 

इस प्रक्रिया में कुछ मिनट का समय लगता है। टेस्ट के बाद आपको इंजेक्शन लगी जगह पर हल्का सा नील भी पड़ सकता है लेकिन ये लक्षण जल्द ही ठीक हो जाते हैं। यदि नील या तकलीफ ठीक नहीं होते हैं तो अपने डॉक्टर को बताएं।

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लेप्टोस्पाइरा सेरोवार (बैक्टीरिया, वायरस और इम्यून कोशिकाओं के बीच में मौजूद विशिष्टता) की पहचान करने और सेरोवार के विरुद्ध एंटीबॉडी टाइटर करने के लिए माइक्रोस्कोपिक एग्ल्यूटिनेशन टेस्ट (एमएटी) किया जाता है।

सामान्य परिणाम

प्रत्येक सेरोवार के लिए 50 से कम एंटीबॉडी टाइटर का मतलब है कि परिणाम सामान्य हैं। सामान्य परिणाम का मतलब है कि आपको लेप्टोस्पायरोसिस का संक्रमण नहीं हुआ है या एंटीबॉडीज के स्तर इतने कम है कि उनकी पहचान नहीं की जा सकती ऐसा संक्रमण की शुरुआती अवस्था में होता है।

यदि आपको लेप्टोस्पायरोसिस के सभी लक्षण दिखाई दे रहे हैं तो डॉक्टर यह टेस्ट 10-14 दिनों में दोबारा कर सकते हैं क्योंकि एंटीबॉडीज दिखाई देने में 14 दिन या अधिक का समय लग सकता है।

असामान्य परिणाम

असामान्य परिणाम को निम्न तरह से लिखा जाता है

  • यदि एंटीबॉडी टाइटर 50 से अधिक है तो यह ज्यादा नहीं है और इसे लो टाइटर लिखा जाता है। लो टाइटर संक्रमण की शुरुआती अवस्था की ओर संकेत करते हैं। हालांकि ऐसा पहले हुए संक्रमण के कारण भी हो सकता है क्योंकि पिछले संक्रमण के बाद एंटीबॉडी का स्तर धीरे-धीरे कम होता है और इसके कम स्तर संक्रमण के दस साल बाद तक भी रह सकते हैं। 
  • यदि एंटीबॉडी टाइटर ≥ 400 से अधिक है या पिछले टाइटर से अधिक है तो यह हाल ही में हुए संक्रमण की ओर संकेत करता है। यदि 10-14 दिनों के भीतर दो बार सैंपल लेकर जांच की जाती है और दूसरे सैंपल के अंदर टाइटर में दो से चार गुना अधिक वृद्धि संक्रमण की पुष्टि करता है। हालांकि, यदि एक बार भी टाइटर अधिक होता है तो इसका मतलब है कि व्यक्ति संक्रमित है लेकिन यह परीक्षणात्मक नहीं होता क्योंकि संक्रमण के कुछ महीनों बाद भी टाइटर अधिक रह सकता है।

परिणाम रोग की अवस्था के अनुसार भी लिखे जा सकते हैं :

  • 1:200 से अधिक का आईजीएम टाइटर लेप्टोस्पायरोसिस के संक्रमण की तीव्र (एक्यूट) अवस्था की ओर संकेत कर सकता है।
  • आईजीजी एंटीबॉडी टाइटर में कंवलसेन्ट अवस्था (संक्रमण के एक हफ्ते बाद) के दौरान चार गुना वृद्धि लेप्टोस्पायरोसिस की पुष्टि कर देती हैं।

संदर्भ

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