एंटी माइटोकॉन्ड्रियल एंटीबॉडी (एएमए) टेस्ट क्या है?

एएमए टेस्ट खून में एंटी माइटोकॉन्ड्रियल एंटीबॉडी की जांच करने के लिए किया जाता है। एंटी माइटोकॉन्ड्रियल एंटीबॉडी एक प्रकार के ऑटोएंटीबॉडी हैं जो कि माइटोकॉन्ड्रिया के विरुद्ध बनाए जाते हैं। माइटोकॉन्ड्रिया शरीर की कोशिकाओं का एक महत्वपूर्ण तत्व होता है। यह मुख्य रूप से मेटाबोलिक कार्यों के लिए ऊर्जा पैदा करता है। ऑटोएंटीबॉडी जिन स्वस्थ कोशिकाओं और ऊतकों  के विरोध में बनते हैं उन पर हमला कर के उन्हें नष्ट कर देते हैं जिससे शरीर की सामान्य कार्य-प्रक्रिया प्रभावित होती है। 

रक्त में एएमए का होना इस बात का संकेत है कि व्यक्ति को प्राथमिक पित्त कोहलेनजिटिस (पीबीसी) है जो कि एक ऑटोइम्यून डिजीज है जिसमें पित्त नलिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। एएमए टेस्ट पीबीसी की जांच करने के लिए किया जाता है।

  1. एएमए टेस्ट क्यों किया जाता है - AMA Kyu Kiya Jata Hai
  2. एएमए टेस्ट से पहले - AMA Test Se Pahle
  3. एएमए टेस्ट के दौरान - AMA Test Ke Dauran
  4. एएमए टेस्ट के परिणाम का क्या मतलब है - AMA Ke Parinam Ka Kya Matlab Hai

एएमए टेस्ट किसलिए किया जाता है?

डॉक्टर इस टेस्ट की सलाह तब देते हैं जब व्यक्ति में प्राथमिक पित्त कोहलेनजिटिस (पीबीसी) के लक्षण दिखाई देते हैं। इस स्थिति में पित्त नलिकाएं एंटी माइटोकॉन्ड्रियल एंटीबॉडी द्वारा धीरे-धीरे खराब होने लगती हैं। पित्त नलिकाओं के क्षतिग्रस्त होने से लिवर फेल भी हो सकता है जिससे लिवर कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। 

निम्न लक्षण पीबीसी की तरफ संकेत कर सकते हैं:

  • थकान 
  • त्वचा में खुजली होना 
  • पीलिया 
  • हाथ-पैरों में सूजन 
  • पेट में द्रव जमा होना 
  • मुंह और आंखों का सूखापन  
  • अचानक से वजन कम होना  

उपरोक्त सभी को लिवर खराब होने का संकेत माना जाता है।

यदि लिवर टेस्ट के रिजल्ट असामान्य आते हैं तो एएमए टेस्ट किया जाएगा। हालांकि, परीक्षण की पुष्टि के लिए केवल एएमए टेस्ट अकेला काफी नहीं है। डॉक्टर इसके लिए कुछ अन्य टेस्ट भी कर सकते हैं।

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एएमए टेस्ट की तैयारी कैसे करें?

इस टेस्ट के लिए किसी विशेष तैयारी की जरूरत नहीं है। हालांकि कुछ मामलों में डॉक्टर टेस्ट से 6 घंटे पहले तक भूखे रहने के लिए कह सकते हैं।

ब्लड टेस्ट आसानी से हो जाए इसके लिए आप आरामदायक और ढीले कपड़े पहन कर जाएं। यदि आप कोई भी दवा या सप्लीमेंट ले रहे हैं तो डॉक्टर को इनके बारे में बता दें क्योंकि कुछ दवाएं टेस्ट के परिणामों को प्रभावित कर सकती हैं।

एएमए टेस्ट कैसे किया जाता है?

सुई लगने वाली जगह को पहले अल्कोहॉल युक्त दवा से साफ किया जाता है और फिर डॉक्टर आपकी बांह की नस में सुई लगाकर ब्लड सैंपल ले लेते हैं। सुई लगने से आपको हल्का सा दर्द हो सकता है। 

इस टेस्ट से निम्न खतरे हो सकते हैं:

हालांकि, सही सावधानियां बरतने पर इस इन खतरों को कम किया जा सकता है।

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एएमए टेस्ट के परिणाम का क्या मतलब है?

सामान्य परिणाम:
एक नेगेटिव रिजल्ट को सामान्य परिणाम माना जाता है जिसका मतलब है कि रक्त में एएमए नहीं है। 

असामान्य परिणाम:
पॉजिटिव रिजल्ट का मतलब होता है कि रक्त में एएमए मौजूद हैं ऐसा अधिकतर पीबीसी के कारण होता है। पॉजिटिव रिजल्ट कुछ और स्थितियों की तरफ संकेत कर सकते हैं। जैसे:

चूंकि एएमए टेस्ट विशेष रूप से पीबीसी या अन्य किसी भी स्थिति के परीक्षण के लिए नहीं होता। इसे अतिरिक्त टेस्ट के रूप में किया जाता है ताकि परीक्षण के परिणामों की पुष्टि की जा सके। इसके अलावा डॉक्टर लिवर बायोप्सी या कुछ इमेंजिग टेस्ट भी कर सकते हैं।

संदर्भ

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