मुंबई के पारेल ग्लोबल अस्पताल के डॉक्टरों ने ऑपरेशन कर एक व्यक्ति के पेट से 12 किलो से ज्यादा वजनी किडनी निकालने में सफलता पाई है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, डॉक्टरों की टीम ने मरीज के पेट से दो किडनियां निकाली हैं। इनमें एक किडनी का वजन 7 किलो और दूसरी किडनी का वजन 5.8 किलोग्राम है। यानी दोनों किडनियों का वजन 12.8 किलो है। इससे पहले दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल के डॉक्टरों ने 56 साल के एक मरीज का ऑपरेशन कर उसके शरीर से 7.4 किलोग्राम की किडनी निकाली थी, जो दुनिया की तीसरी और भारत में सबसे भारी किडनी थी।

एक दशक से किडनी की समस्या से था ग्रस्त
जानकारों के मुताबिक, सामान्य तौर पर एक वयस्क की किडनी का वजन 120 ग्राम से 150 ग्राम तक होता है और लंबाई आठ से दस सेंटीमीटर तक होती है। लेकिन मुंबई के अस्पताल में जिस 41 वर्षीय मरीज का ऑपरेशन हुआ, उसके पेट में दोनों किडनियों की लंबाई करीब 26 सेंटीमीटर और 21 सेंटीमीटर थी।

डॉक्टरों के अनुसार, कुछ आनुवंशिक परिस्थितियों के चलते मरीज की किडनी खराब हो गई थी। इससे मरीज ऑटोसोमल डोमिनेंट पॉलिसिस्टिक किडनी डिजीज (एडीपीकेडी) नामक बीमारी से ग्रसित हो गया। इस दौरान उसकी किडनी में बड़े-बड़े फोड़े (सिस्ट्स) विकसित हो गए, जिन्होंने बाद में सामान्य ऊतकों (टिशूज) की जगह ले ली। पीड़ित करीब एक दशक से इस समस्या से परेशान था। वहीं, डेढ़ साल पहले हालत ऐसी हो गई कि पीड़ित को सांस लेने में तकलीफ होने लगी थी। इस बारे में अस्पताल प्रशासन ने बताया कि यह एक असामान्य परिस्थिति है, जो किडनी की समस्या से जुड़े पांच प्रतिशत मरीजों को होती है।

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किडनी के इतना बड़ा होने का क्या है कारण?
myUpchar की टीम से जुड़े डॉक्टरों का कहना है कि ऑटोसोमल डोमिनेंट पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज यानी एडीपीकेडी आनुवांशिक सिस्टम में एक प्रकार के बदलाव के कारण होती है। इसकी वजह से किडनी के आकार में असामान्य परिवर्तन आने लगता है जो कि बाद में जाकर गंभीर समस्या का कारण बनता है। आंकड़ों से पता चलता है कि यह बीमारी 700 से लेकर 1000 लोगों में किसी एक को होती है। इस बीमारी का एक ही बेहतर इलाज है कि किडनी खराब होने की स्थिति में डायलिसिस या फिर किडनी को रिप्लांट किया जाए।

बीमारी में कैसे प्रभावित होती है किडनी?
पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज में पीड़ित व्यक्ति की दोनों किडनी में पानी से भरे सिस्ट (फोड़े) विकसित हो जाते हैं। इसके कारण किडनी में सूजन आ जाती है और वह खराब हो जाती है। इस स्थिति में रोगी के पेट में दायीं ओर दर्द हो सकता है। इसके अलावा मरीज को बुखार आता है और सांस लेने में दिक्कत हो सकती है।

किडनी निकालने की जरूरत क्यों पड़ती है?
डॉक्टरों का कहना है कि इस बीमारी में मरीज के शरीर में अंदर खून का रिसाव होने और सिस्ट यानी फोड़े के साथ किडनी में इन्फेक्शन होने की आशंका बढ़ जाती है। चूंकि मरीज पर एंटीबायोटिक दवाओं का असर होना बंद हो जाता है। इसलिए समस्या लगातार बढ़ने लगती है। इस स्थिति में ही किडनी ऑपरेशन करने का फैसला किया जाता है।

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अमेरिका में दुनिया की सबसे भारी किडनी निकालने का रिकॉर्ड
जानकारी के मुताबिक, दिल्ली की घटना से पहले दो बार सबसे भारी किडनी निकाली जा चुकी है। पहली घटना अमेरिका की है, जहां नौ किलोग्राम वजनी किडनी निकाली गई थी। वहीं, नीदरलैंड में 8.7 किलोग्राम की किडनी निकाली गई थी। इस लिहाज से दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में निकाली गई किडनी दुनिया की तीसरी सबसे वजनी किडनी थी।

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