सीने में दर्द या सांस लेने में दिक्‍कत जैसी समस्‍याएं पैदा होने से पहले किसी का भी ध्‍यान इस बात पर नहीं जाता है कि उनमें हृदय रोग के संकेत दिख रहे हैं। हृदय रोग होने से पहले शरीर कई तरह के संकेत देता है। इन में से कुछ संकेतों को सिर्फ इसलिए नजरअंदाज कर दिया जाता है क्‍योंकि वो हृदय से जुड़े नहीं होते हैं।

आप यहां दिए ब्लू लिंक पर क्लिक करके हृदय रोग का इलाज विस्तार से जान सकते हैं।

दुनियाभर में प्रतिवर्ष होने वाली 31 फीसदी मौतों का कारण हृदय ही है। स्‍वस्‍थ जीवनशैली की मदद से हृदय को भी स्‍वस्‍थ एवं रोग मुक्‍त रखा जा सकता है लेकिन अगर आप समय पर हृदय रोग के संकेतों को समझ जाएं तो बीमारी को बढ़ने से पहले ही इलाज से ठीक किया जा सकता है।

आज इस लेख में आप उन 4 प्रमुख लक्षणों के बारे में जानेंगे, जो हृदय रोग की ओर संकेत करते हैं -

  1. इन लक्षणों पर दें ध्यान
  2. सारांश
ये संकेत हो सकते हैं हृदय रोग की चेतावनी के डॉक्टर

यहां हम उन लक्षणों के बारे में बता रहे हैं, जिनकी मदद से हम हृदय रोग का अंदाजा लगा सकते हैं -

खर्राटे

नींद के दौरान वायु मार्ग में ऊतकों के वाइब्रेट होने पर खर्राटे आते हैं जो कि सामान्‍य बात है। हालांकि, तेज खर्राटे स्‍लीप एपनिया का संकेत हो सकते हैं। इस स्थिति में व्‍यक्‍ति की हर घंटे में पांच से 30 बार सांस रूक जाती है। ऐसे में मस्तिष्‍क को पर्याप्‍त ऑक्‍सीजन नहीं मिल पाता है और रात में नींद बार-बार टूटती है।

स्‍लीप एपनिया कार्डियोवस्‍कुलर स्थितियों का सबसे सामान्‍य कारण है। हार्वर्ड मेडिकल स्‍कूल की ऑनलाइन वेबसाइट में प्रकाशित लेख के अनुसार स्‍लीप एपनिया से ग्रस्‍त मरीजों में हृदय रोग से मरने की आशंका पांच गुना ज्‍यादा होती है। इसके अलावा स्‍लीप एपनिया के 47-83% मरीज कार्डियोवस्‍कुलर स्थितियों, 35% हाई ब्‍लड प्रेशर और 12-53% हार्ट फेलियर से ग्रस्‍त हैं।

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दांत हिलने लगते हैं

दांत हिलना और मसूड़ों से जुड़े रोग खराब सेहत का संकेत होते हैं। अब शोधकर्ताओं ने ये खुलासा किया है कि मसूड़ों से जुड़ी बीमारी से ग्रस्‍त व्‍यक्‍ति में स्‍वस्‍थ दांत वाले व्‍यक्‍ति की तुलना में हृदय रोग का खतरा तीन गुना ज्‍यादा होता है।

खराब जीवनशैली और धूम्रपान की वजह से ही हृदय एवं मसूड़ों से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ता है। लेकिन इससे एक बात तो साबित होती है कि खराब ओरल हैल्‍थ किसी कार्डियोवस्‍कुलर स्थिति का संकेत हो सकता है।

बैक्‍टीरिया बढ़ने की वजह से दांत कमजोर होने लगते हैं और धीरे-धीरे आसपास के हिस्‍सों में भी ये बैक्‍टीरिया पहुंचने लगता है। जब ये बैक्‍टीरिया रक्‍त वाहिकाओं तक पहुंच जाता है तो इस स्थिति में यह हृदय के वॉल्‍व या बाहरी परत को नुकसान पहुंचा सकता है। इस स्थिति को इंफेक्टिव एंडोकार्डिटिस कहते हैं।

(और पढ़ें - हार्ट फेल (फेलियर) के कारण)

लगातार खांसी का बने रहना

खांसी एक सामान्‍य स्थिति है। हालांकि, अगर खांसी लगातार बनी रहे तो ये हार्ट फेलियर का संकेत हो सकती है। अगर आप सांस से संबंधित किसी समस्‍या के लिए दवा ले रहे हैं और आपको लगातार खांसी बनी हुई है तो इसे नजरअंदाज बिलकुल न करें। जब हृदय पूरे शरीर में पर्याप्‍त मात्रा में खून पंप करना बंद कर देता है तो हार्ट फेलियर की स्थिति उत्‍पन्‍न होती है। इसकी वजह से नसों पर दबाव बढ़ता है और फेफड़ों में फ्लूइड वापिस जाने लगता है। इस फ्लूइड को बाहर निकालने और शारीरिक तंत्र में संतुलन लाने के लिए खांसी उठती है।

(और पढ़ें - हृदय रोग से बचने के उपाय)

गर्दन के आसपास फैट

आपको जानकर हैरानी होगी कि गर्दन के आसपास जमा फैट भी आपको हृदय रोगी बना सकता है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के अनुसार गर्दन पर फैट जमने से शरीर के ऊपरी हिस्‍से के वजन और कुल कोलेस्‍ट्रोल में बढ़ोत्तरी होती है। ये दोनों ही हृदय रोग के प्रमुख कारण हैं।

अगर आपको उपरोक्‍त संकेत मिल रहे हैं तो एक बार हृदय रोग विशेषज्ञ से चेकअप करवा लें। इस बात का ध्‍यान रखें कि किसी भी बीमारी को उसके शुरुआती स्‍तर पर कंट्रोल करना सबसे आसान होता है।

(और पढ़ें - हृदय को स्वस्थ रखने के तरीके)

अगर किसी को इस लेख में बताए गए लक्षण महसूस होते हैं, तो उसे तुरंत डॉक्टर से अपना चेकअप करवाना चाहिए। समय रहते चेकअप करवाने और इलाज मिल जाने से हृदय रोग से जुड़ी किसी भी प्रकार की समस्या से बचा जा सकता है।

Dr. Farhan Shikoh

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